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आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाने जाने के गहलोत कैबिनेट के फैसले का हुआ कोटा में विरोध - कोटा में प्रदर्शन

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि राजस्थान में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाई जाए. इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से उनका दृष्टिकोण मांगा था. हालांकि इसके विरोध में समता आंदोलन से जुड़े हुए लोग सामने आ गए हैं.

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आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाने जाने के गहलोत कैबिनेट के फैसले का हुआ कोटा में विरोध
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Published : Mar 17, 2021, 9:12 PM IST

कोटा. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि राजस्थान में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाई जाए. इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से उनका दृष्टिकोण मांगा था. हालांकि इसके विरोध में समता आंदोलन से जुड़े हुए लोग सामने आ गए हैं. आज बड़ी संख्या में लोग सिविल लाइंस में एकत्रित हुए. जहां से रैली निकालते हुए कलेक्ट्रेट पर पहुंच गए.

पढ़ें: 5 साल की मासूम बच्ची से Rape के आरोपी को फांसी की सजा, कोर्ट ने महज 17 दिन में सुनाया फैसला

सैकड़ों की संख्या में इन लोगों ने अशोक गहलोत सरकार और आरक्षण के खिलाफ नारेबाजी की. इन लोगों का कहना है कि सरकार ने अगर आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ा दी तो सरकार को गिराने का भी प्रयास वह लोग करेंगे और प्रदेश में दोबारा कभी भी कांग्रेस की सरकार नहीं आएगी. इस दौरान जिलाध्यक्ष वायके गुप्ता, महामंत्री कमल सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे. इन लोगों ने आरक्षण कोटा नहीं बढ़ाए जाने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम का ज्ञापन भी सौंपा है.

कोटा में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा करने के खिलाफ प्रदर्शन

समता आंदोलन के संभागीय अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा ने मीडिया से कहा कि राजस्थान की कमजोर और कायर सरकार ने जातिवादी तरीके को बढ़ावा देने के लिए गलत निर्णय कैबिनेट में लिया है. राजस्थान में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण किया जाए, यह कलंकित व्यवस्था है और हम इसका विरोध पहले भी करते हैं और लगातार करते रहेंगे. अगर सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का प्रयास किया तो देश के जो कर्मठ लोग हैं उन्हें बेरोजगार ही रहना पड़ेगा. इसीलिए हम सरकार को खुली चेतावनी देने आए हैं कि अगर आरक्षण को बढ़ाया गया तो वह सरकार को गिरा कर धराशाई कर देंगे. यह सरकार जातिवादी है और प्रदेश में वर्ग संघर्ष को बढ़ाना चाहती है.

उन्होंने कहा कि हम जातिवादी आरक्षण को रोकना चाहते हैं. आम नागरिक को आगे बढ़ने में इसके चलते समस्या आती है. लेकिन सरकार जातिवादी निर्णय पर सामान्य वर्ग के खिलाफ निर्णय लगातार लेती जा रही है. हम इस निर्णय की भी भर्त्सना करते हैं.

कोटा. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया है कि राजस्थान में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से आगे बढ़ाई जाए. इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से उनका दृष्टिकोण मांगा था. हालांकि इसके विरोध में समता आंदोलन से जुड़े हुए लोग सामने आ गए हैं. आज बड़ी संख्या में लोग सिविल लाइंस में एकत्रित हुए. जहां से रैली निकालते हुए कलेक्ट्रेट पर पहुंच गए.

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सैकड़ों की संख्या में इन लोगों ने अशोक गहलोत सरकार और आरक्षण के खिलाफ नारेबाजी की. इन लोगों का कहना है कि सरकार ने अगर आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ा दी तो सरकार को गिराने का भी प्रयास वह लोग करेंगे और प्रदेश में दोबारा कभी भी कांग्रेस की सरकार नहीं आएगी. इस दौरान जिलाध्यक्ष वायके गुप्ता, महामंत्री कमल सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे. इन लोगों ने आरक्षण कोटा नहीं बढ़ाए जाने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम का ज्ञापन भी सौंपा है.

कोटा में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा करने के खिलाफ प्रदर्शन

समता आंदोलन के संभागीय अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा ने मीडिया से कहा कि राजस्थान की कमजोर और कायर सरकार ने जातिवादी तरीके को बढ़ावा देने के लिए गलत निर्णय कैबिनेट में लिया है. राजस्थान में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण किया जाए, यह कलंकित व्यवस्था है और हम इसका विरोध पहले भी करते हैं और लगातार करते रहेंगे. अगर सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का प्रयास किया तो देश के जो कर्मठ लोग हैं उन्हें बेरोजगार ही रहना पड़ेगा. इसीलिए हम सरकार को खुली चेतावनी देने आए हैं कि अगर आरक्षण को बढ़ाया गया तो वह सरकार को गिरा कर धराशाई कर देंगे. यह सरकार जातिवादी है और प्रदेश में वर्ग संघर्ष को बढ़ाना चाहती है.

उन्होंने कहा कि हम जातिवादी आरक्षण को रोकना चाहते हैं. आम नागरिक को आगे बढ़ने में इसके चलते समस्या आती है. लेकिन सरकार जातिवादी निर्णय पर सामान्य वर्ग के खिलाफ निर्णय लगातार लेती जा रही है. हम इस निर्णय की भी भर्त्सना करते हैं.

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