कोटा. बारां शिक्षा सहकारी समिति में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. इसमें अध्यक्ष संध्या राठौड़ पर (Fraud in Elections of Cooperative Society in Rajasthan) बेटी को बहन बना देने का आरोप लगाया गया है. ये आरोप शिक्षा सहकारी समिति के संचालक प्रकाश जायसवाल और अन्य ने लगाया है. उन्होंने इस संबंध में बुधवार को मीडिया से बातचीत की. संचालक प्रकाश जायसवाल, शिक्षक नेता कमल कुमार शर्मा, शिवराज गुर्जर और अनंत गंगवाल ने कहा कि राजस्थान में कोऑपरेटिव सोसायटी के अधीन तीन संतान वाला व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है. कोई भी व्यक्ति जानकारी छुपाकर अगर चुनाव लड़ता है, तो ये कानूनन अपराध है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान सहकारी सोसायटी सेक्टर 2001 के तहत समिति के सदस्य के रूप में निर्वाचन, सहयोजन और नाम निर्देशन दो से अधिक संतान वाला व्यक्ति नहीं कर सकता है. इस पूरे मामले पर अध्यक्ष संध्या राठौड़ का कहना है कि ये राज्य सरकार की सहकारी समिति है. इसमें 2002 से सरकार का कानून लागू होता है. जबकि 2003 में दो संतान का कानून लागू किया गया था. इसे हमने हाई कोर्ट में चैलेंज कर रखा है.
इस तरह से बना दिया बेटी को बहन: प्रकाश जायसवाल का आरोप है कि संध्या राठौड़ ने तथ्यों को छुपाकर चुनाव लड़ा है. उनकी पहली संतान 15 जुलाई 1995 को जन्मी प्राची सिंह है, दूसरी संतान 13 सितंबर 1996 को जन्मी पूर्वा सिंह है, और तीसरी संतान अभिनव सिंह का जन्म 21 फरवरी 2001 को हुआ. उन्होंने दूसरी संतान का अपने राशन कार्ड में जिक्र नहीं किया है. जबकि उसे अपने अजमेर निवासी माता-पिता के राशन कार्ड में जुड़वाया हुआ है. जिसमें उनके पिता अमर सिंह राठौड़ और मां संतोष राठौड़ की बेटी के रूप में पूर्वा सिंह को दिखाया हुआ है. अमर सिंह राठौड़ की उम्र 87 और पूर्वा सिंह की उम्र 24 साल है. ऐसे में दोनों की उम्र के बीच में करीब 53 साल का अंतर है.
ईश्वर सिंह ने बेटी को साली बनाकर लड़ा था चुनाव : प्रकाश जायसवाल ने ये भी आरोप लगाया है कि संध्या राठौड़ के पति ईश्वर सिंह दो बार इस संस्था के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने खुद अपनी बेटी को साली बनाकर चुवान लड़ा था. जायसवाल का कहना है कि इस संबंध में हाल ही खुलासा भी हुआ है. जिसके बाद हमने इसके पुख्ता डॉक्यूमेंट निकाले और पूरे मामले का खुलासा हुआ. कोटा, अजमेर व नोएडा से लेकर कई जगह पर जाकर तहकीकात की गई. प्रकाश जायसवाल ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ पूर्वा राठौड़ का कोटा नगर निगम का बना हुआ जन्म प्रमाण पत्र भी पेश किया. जिसमें संध्या राठौड़ और ईश्वर सिंह ही उसके मां पिता हैं.
ईश्वर सिंह ने स्वीकारी तीन बच्चों के होने की बात: शिक्षा सहकारी समिति के नॉमिनेटेड सदस्य ईश्वर सिंह का कहना है कि आरोप लगाने वालों को सबूत के साथ सच्चाई को साबित करनी चाहिए. पिछले 22 सालों से मेरा ही पैनल सहकारी के चुनाव में जीतता हुआ आ रहा है. दो बार मैं अध्यक्ष रहा हूं, उसके बाद में 2 बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं रहने का नियम आ गया. जिस पर मैंने अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया और वह अध्यक्ष बनी है. जहां तक 3 बच्चों का मामला है, इस कैटेगरी में हम लोग नहीं आते हैं. यह संस्था राज्य कर्मचारियों की है. राज्य कर्मचारियों पर 2002 का नियम लागू है. सहकारी का नियम 2003 में बना. जिसे 1995 से लागू किया है. यह भूतपक्षी प्रभाव से लागू किया गया है. नगर पालिका एक्ट को मिला भी कोर्ट से स्टे मिला हुआ है. इसी तरह से हमारी कोऑपरेटिव सोसायटी राजस्थान हाईकोर्ट से फरवरी में स्टे मिला है.
चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं, इसलिए उठा रहे मुद्दा : बच्चे गोद देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बच्चे तीन हैं, दो बेटियां एक साथ हुई थी. तो एक हमने गोद दे दिया था. ये सब 2002 के पहले का मामला है. अगर हमारे 2002 के बाद 3 बच्चे होते तो न नौकरी मिल सकती थी. न प्रमोशन हो पाता. आरोप लगाने वाले लोग आने वाले चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं. उन्होंने मेरी पत्नी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है.