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घर पर ही ऑक्सीजन लगाकर कर रहे मरीजों का उपचार, सिलेंडर के लिए जेनरेशन प्लांट पहुंच रहे लोग

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Published : Apr 23, 2021, 11:17 PM IST

कोविड-19 के चलते अस्पतालों में तो ऑक्सीजन की कमी लगातार बनी हुई है, लेकिन कई मरीज ऐसे हैं, जिनको भर्ती अस्पताल में नहीं किया जा रहा है. क्योंकि ऑक्सीजन अस्पताल में पूरी मरीजों को नहीं मिल पा रही है. ऐसे में ये मरीज घर पर ही अपना इलाज ले रहे हैं और आक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत पड़ने पर सीधे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट में पहुंच रहे हैं.

oxygen generation plant, lack of oxygen in Kota
सिलेंडर के लिए जेनरेशन प्लांट पहुंच रहे लोग

कोटा. कोविड-19 के चलते अस्पतालों में तो ऑक्सीजन की कमी लगातार बनी हुई है. इसके अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल भी ऑक्सीजन की कमी से ही जूझ रहे हैं, लेकिन कई मरीज ऐसे हैं. जिनको भर्ती अस्पताल में नहीं किया जा रहा है. क्योंकि ऑक्सीजन अस्पताल में पूरी मरीजों को नहीं मिल पा रही है. ऐसे में यह मरीज घर पर ही अपना इलाज ले रहे हैं, लेकिन उन्हें आक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में यह लोग सीधे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट में पहुंच रहे हैं. जहां पर से अपने परिजनों के लिए ऑक्सीजन की मांग लगातार कर रहे हैं.

सिलेंडर के लिए जेनरेशन प्लांट पहुंच रहे लोग

कई ऐसे मरीज हैं, जिनको घंटों इंतजार भी वहां पर करना पड़ रहा है. इसके अलावा इंडस्ट्रीज यूज वाले आक्सीजन सिलेंडरों को भी अब मेडिकल उपयोग के लिए वाल्व लगाकर काम में लिया जाने लगा है. वहीं बाजार में वेल्डिंग वर्कर्स थे, उनके भी सिलेंडर को जुगाड़ करते हुए वाल्व लगाकर मरीजों के उपयोग का बनाया जाने लगा है, ताकि अपने अपने परिजनों की जान लोग बचा सके. साथ ही कई ऐसे परिजन भी पहुंचे थे, जो कि अपने घरों पर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इसके अलावा अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन भी ऑक्सीजन लेने के लिए पहुंच रहे हैं. यह लोग शहर भर में ऑक्सीजन के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और उसके बाद ऑक्सीजन प्लांटों के चक्कर काट रहे हैं.

कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ को जा रही है ऑक्सीजन

जिला प्रशासन ने लगातार ऑक्सीजन प्लांट की मॉनिटरिंग के लिए ड्रग कंट्रोल ऑफिसर को वहां तैनात किया हुआ है. इसके अलावा कई सरकारी कार्मिकों को भी ड्यूटी पर लगाया हुआ है, जो रूटीन में जारी होने वाले सिलेंडकों का पूरा लेखा-जोखा रख रहे हैं. ड्रग कंट्रोल ऑफिसर रोहिताश नागर का कहना है कि वह समन्वय बनाकर जो मरीज के परिजन सिलेंडर लेने आ रहे हैं, उन्हें भी दिया जा रहा है, ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके. इसके अलावा कोटा, बारां बूंदी व झालावाड़ से भी निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए आक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई यहां से की जा रही है, जो कि पूरी मॉनिटरिंग के तहत दी जा रही है. किसी भी जगह पर मांग से ज्यादा सिलेंडर नहीं दिए जा रहे हैं, क्योंकि पहले ही कमी बनी हुई है.

इसी तरह से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के प्रमोद का कहना है कि उन्होंने पहली बार ही इस तरह से लोगों की भीड़ को देखा है. पहले स्वाइन फ्लू में जरूर ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ी थी, लेकिन इतनी नहीं थी. पहले फेज के कोरोना के समय मांग थी, लेकिन तब मैनेज हो गया था. अब बिल्कुल भी मैनेज नहीं हो पा रहा है, जितना उत्पादन हो रहा है, उससे ज्यादा की मांग आ रही है.

मेडिकल स्टोर पर नहीं होगी सोशल डिस्टेंसिंग तो 1 महीने के लिए होगा बंद

दूसरी तरफ सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा ने भी आदेश जारी कर दी है. जिसके तहत मेडिकल स्टोर जहां पर की इमरजेंसी में 24 घंटे खोलने की अनुमति उन्हें मिली हुई है, वहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं होती है और मरीज भीड़ करके खड़े होते हैं, तो वहां पर ड्रग कंट्रोलर कार्रवाई करेंगे. जिसके तहत मेडिकल स्टोर का लाइसेंस 1 महीने के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. यह सख्त आदेश जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद की सहायक औषधि नियंत्रक ने निकाल दिए हैं और सभी मेडिकल स्टोर को इसके बारे में अवगत भी करा दिया गया है.

कोटा. कोविड-19 के चलते अस्पतालों में तो ऑक्सीजन की कमी लगातार बनी हुई है. इसके अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल भी ऑक्सीजन की कमी से ही जूझ रहे हैं, लेकिन कई मरीज ऐसे हैं. जिनको भर्ती अस्पताल में नहीं किया जा रहा है. क्योंकि ऑक्सीजन अस्पताल में पूरी मरीजों को नहीं मिल पा रही है. ऐसे में यह मरीज घर पर ही अपना इलाज ले रहे हैं, लेकिन उन्हें आक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में यह लोग सीधे ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट में पहुंच रहे हैं. जहां पर से अपने परिजनों के लिए ऑक्सीजन की मांग लगातार कर रहे हैं.

सिलेंडर के लिए जेनरेशन प्लांट पहुंच रहे लोग

कई ऐसे मरीज हैं, जिनको घंटों इंतजार भी वहां पर करना पड़ रहा है. इसके अलावा इंडस्ट्रीज यूज वाले आक्सीजन सिलेंडरों को भी अब मेडिकल उपयोग के लिए वाल्व लगाकर काम में लिया जाने लगा है. वहीं बाजार में वेल्डिंग वर्कर्स थे, उनके भी सिलेंडर को जुगाड़ करते हुए वाल्व लगाकर मरीजों के उपयोग का बनाया जाने लगा है, ताकि अपने अपने परिजनों की जान लोग बचा सके. साथ ही कई ऐसे परिजन भी पहुंचे थे, जो कि अपने घरों पर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इसके अलावा अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन भी ऑक्सीजन लेने के लिए पहुंच रहे हैं. यह लोग शहर भर में ऑक्सीजन के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और उसके बाद ऑक्सीजन प्लांटों के चक्कर काट रहे हैं.

कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ को जा रही है ऑक्सीजन

जिला प्रशासन ने लगातार ऑक्सीजन प्लांट की मॉनिटरिंग के लिए ड्रग कंट्रोल ऑफिसर को वहां तैनात किया हुआ है. इसके अलावा कई सरकारी कार्मिकों को भी ड्यूटी पर लगाया हुआ है, जो रूटीन में जारी होने वाले सिलेंडकों का पूरा लेखा-जोखा रख रहे हैं. ड्रग कंट्रोल ऑफिसर रोहिताश नागर का कहना है कि वह समन्वय बनाकर जो मरीज के परिजन सिलेंडर लेने आ रहे हैं, उन्हें भी दिया जा रहा है, ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके. इसके अलावा कोटा, बारां बूंदी व झालावाड़ से भी निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए आक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई यहां से की जा रही है, जो कि पूरी मॉनिटरिंग के तहत दी जा रही है. किसी भी जगह पर मांग से ज्यादा सिलेंडर नहीं दिए जा रहे हैं, क्योंकि पहले ही कमी बनी हुई है.

इसी तरह से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के प्रमोद का कहना है कि उन्होंने पहली बार ही इस तरह से लोगों की भीड़ को देखा है. पहले स्वाइन फ्लू में जरूर ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ी थी, लेकिन इतनी नहीं थी. पहले फेज के कोरोना के समय मांग थी, लेकिन तब मैनेज हो गया था. अब बिल्कुल भी मैनेज नहीं हो पा रहा है, जितना उत्पादन हो रहा है, उससे ज्यादा की मांग आ रही है.

मेडिकल स्टोर पर नहीं होगी सोशल डिस्टेंसिंग तो 1 महीने के लिए होगा बंद

दूसरी तरफ सहायक औषधि नियंत्रक प्रहलाद मीणा ने भी आदेश जारी कर दी है. जिसके तहत मेडिकल स्टोर जहां पर की इमरजेंसी में 24 घंटे खोलने की अनुमति उन्हें मिली हुई है, वहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं होती है और मरीज भीड़ करके खड़े होते हैं, तो वहां पर ड्रग कंट्रोलर कार्रवाई करेंगे. जिसके तहत मेडिकल स्टोर का लाइसेंस 1 महीने के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. यह सख्त आदेश जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद की सहायक औषधि नियंत्रक ने निकाल दिए हैं और सभी मेडिकल स्टोर को इसके बारे में अवगत भी करा दिया गया है.

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