कोटा. जिला परिषद के चुनाव में (Kota Zilla Parishad Election Updates) भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने टिकटों की घोषणा नहीं की. इसके पीछे प्रमुख रूप से कारण यह रहा कि जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, वे असंतुष्ट होकर कहीं निर्दलीय नामांकन दाखिल न कर दें. टिकटों की घोषणा नहीं होने के बाद भी कुछ लोगों ने अंतिम समय में पार्टी से बगावत करते हुए नामांकन दाखिल किए हैं.
जिले में नामांकन की बात की जाए तो 23 वार्ड के लिए 103 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए हैं. दाखिल नामांकनों की संख्या 120 है. जिले की पांच पंचायत समितियों के 91 वार्डों में 349 उम्मीदवारों ने 375 नामांकन दर्ज किए हैं. जिला निर्वाचन अधिकारी उज्ज्वल राठौड़ ने बताया कि पंचायत समिति लाड़पुरा के 15 वार्डों में 61 उम्मीदवारों ने 65 नामांकन पत्र दाखिल किए. इटावा के 17 वार्डों में 91 उम्मीदवारों ने 101, खैराबाद में 23 वार्डों में 80 उम्मीदवारों ने 88, सांगोद में 19 वार्डों में 63 उम्मीदवारों ने 66 और सुल्तानपुर में 17 वार्डों में 54 उम्मीदवारों ने 55 नामांकन पत्र दाखिल किए हैं. इन सभी नामांकन पत्रों की जांच शुक्रवार को की जाएगी.
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नहीं मिला दोनों विधायकों के बेटों को टिकट
भारतीय जनता पार्टी के विधायक मदन दिलावर और चंद्रकांता मेघवाल ने एक नंबर सीट को हॉट सीट बना दिया था. जहां से दोनों अपने परिजनों के लिए टिकट मांग रहे थे. मदन दिलावर के बेटे पवन दिलावर और चंद्रकांता मेघवाल के बेटे हनी वर्मा ने भी नामांकन दाखिल किया था. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने मुकेश वर्मा को टिकट दिया है. जबकि दोनों विधायक पुत्रों को टिकट नहीं मिला है. इस बार कोटा में जिला परिषद की सीट एससी के लिए रिजर्व है और दोनों ही विधायकों के पुत्र जिला प्रमुख के लिए ही तैयारी कर रहे थे.
राजावत बोले- चापलूस लोगों को बांट दिए टिकट
भाजपा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत का कहना है कि पार्टी ने नगर निगम चुनाव की तरह ही अनदेखी की है. इसके चलते चापलूस लोगों को ही टिकट बांट दिए हैं. उन्होंने कहा कि प्रभारियों, सहप्रभारियों और भाजपा के हाईकमान ने नगर निगम चुनावों में पार्टी का सूपड़ा साफ होने पर भी इन पंचायत चुनावों में संतुलन बनाकर निष्पक्षता से टिकिट वितरण करने के बजाय मनमर्जी से टिकट बांटे हैं.
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बिना जनाधार और प्रभाव वाले नेताओं को टिकट दिए हैं. जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं की अनदेखी की गई है. छोटे कार्यकर्ता तो जिला परिषद व पंचायत समिति चुनावों तक ही सीमित रहते हैं. उनको विधायक, सांसद नहीं बनना है, इसलिए उनकी अपेक्षाओं का सम्मान करते हुए उनको प्राथमिकता से टिकिट दिया जाना चाहिए था. लेकिन चुनावों में ऐसे निष्ठावान और कर्मठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी निराशाजनक है. क्योंकि 15 वर्षों तक इन जमीनी कार्यकर्ताओं ने ही मुझे राजनीति के शिखर पर पहुंचाया है. अब जिन्हें भी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है. इन चुनावों में वे उन्हें जिताने के लिए भरसक प्रयास करेंगे.
पंचायत समिति टिकट में सौदेबाजी कर हेरफेर का आरोप
भाजपा के पूर्व देहात जिला अध्यक्ष एलएन शर्मा ने सुल्तानपुर पंचायत समिति के चुनाव प्रभारी महेश विजय पर जारी अधिकृत सूची में सौदेबाजी कर हेरफेर करने का आरोप लगाया है. शर्मा ने कहा कि देहात जिलाध्यक्ष मुकुट नागर ने उनकी पत्नी सुमन शर्मा को वार्ड नंबर 10 से अधिकृत प्रत्याशी बनाने और नामांकन दाखिल करने की जानकारी दी. जिस पर मैने मंडल अध्यक्ष सहित अन्य प्रमुख पदाधिकारियों के साथ सुल्तानपुर जाकर नामांकन दाखिल करवाया. बाद में टिकट बदल दिया. उन्होंने कहा कि इससे मुझ जैसे जमीनी और पार्टी के कार्यकर्ता को काफी आघात लगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व से मिलकर सारी घटना से अवगत कराएंगे व अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करेंगे.