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दिवाली पर ट्रेनें फुल, कोटा पढ़ने आए छात्रों की घर वापसी हुई मुश्किल...बसों ने तीन गुना बढ़ाया किराया

कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए कोचिंग पढ़ने आए विद्यार्थियों के सामने दीपावली पर घर वापसी मुश्किल हो गई है. पर्व के दिन ट्रेनों में नो रूम की स्थिति है. वेटिंग का टिकट भी नहीं मिल पा रहा है. यह देखते हुए निजी बस ऑपरेटरों ने किराया तीन गुना तक बढ़ा दिया है. इससे पढ़ने आए विद्यार्थियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है

students facing problem to return home on diwali
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Published : Oct 13, 2022, 9:48 PM IST

कोटा. इंजिनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने कोटा आए हजारों छात्र-छात्राओं के सामने दीपावली पर अपने घर पर जाना मुश्किल हो गया है. पर्व को लेकर सभी ट्रेनें फुल हो चुकी हैं. यहां तक कि वेटिंग टिकट (No ticket in trains on Diwali) भी नहीं जारी किया जा रहा है. दिवाली पर ट्रेनों में नो रूम के कारण विद्यार्थी बसों में टिकट देख रहे हैं लेकिन हालत ये है कि सभी निजी बस ऑपरेटरों ने भी मौके का लाभ उठाते हुए करीब 70 फीसदी तक (bus operators increase fare) किराया बढ़ा दिया है.

ऐसे में दिवाली पर कोचिंग छात्रों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. हालात ऐसे हैं कि जिस जगह पर किराया 1000 रुपए था, अब वहां तक के लिए 2700 से 2800 रुपए तक किराया देना पड़ रहा है. दूसरी तरफ परिवहन विभाग भी इस पर लाचारी जता रहा है. विभाग का कहना है कि कांटेक्ट कैरिज की बसों में किराया सरकार तय नहीं कर सकती है. कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें अधिकांश उन रूटों पर चलती हैं जहां पर रोडवेज की सेवाएं नहीं है. ऐसे में इन रूटों में ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है. इसमें उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, इंदौर, उज्जैन, लखनऊ, कानपुर, झांसी, ग्वालियर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली व अहमदाबाद शामिल हैं.

दिवाली पर ट्रेनें फुल

पढ़ें. रक्षाबंधन पर ट्रेनें फुल, टिकट कंफर्म नहीं होने से यात्री परेशान

परिवहन विभाग लाचार, कहा- हम नहीं कर सकते कार्रवाई
परिवहन विभाग भी इस पर एक्शन नहीं ले पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें संचालित होने के चलते उनपर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. इन कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसों में वह कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. इसमें कांट्रेक्टर और सवारी के बीच ही सीधा संबंध में किराए का रहता है. ऐसे में इन पर एक्शन नहीं ले सकते हैं.आरटीओ राजेश शर्मा का कहना है कि उन्हें इस संबंध में हमें कोई ऐसी शिकायत भी नहीं मिली है, ऐसे में कार्रवाई कैसे कर सकते हैं. कॉन्ट्रैक्ट कैरिज का लीगल मतलब ही यह है कि दो लोगों के बीच में कॉन्ट्रैक्ट. इसमें कोई विभाग या सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. इसके लिए कोई नियम भी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि शिकायत आने पर वे मामले को गंभीरता से लेंगे.

पढ़ें. त्योहारी सीजन पर रेलवे की सौगात, छठ पूजा तक 179 जोड़ी विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी

ऑपरेटरों ने यह बताई मजबूरी, अतिरिक्त टैक्स भारी पड़ता है
बस ऑपरेटर का कहना है कि किराया बढ़ने का कारण नॉर्मल बस नहीं है. उन्हें त्योहारी सीजन में बसें फुल हो जाने के चलते अतिरिक्त बसें लगानी पड़ती हैं, लेकिन जिस भी डेस्टिनेशन पर बस जाती हैं वहां से वापसी में सवारियां नहीं मिलती और उन्हें खाली लौटना पड़ता है. इसके अलावा टेंपरेरी परमिट भी इन कॉन्ट्रैक्ट कैरिज के लिए लेना पड़ता है जिनमें अलग-अलग स्टेट का टैक्स जमा होता है. यह टैक्स जमा होने के कारण उन्हें 1 दिन बस चलने पर भी 3 गुना पैसा देना पड़ता है. इसके अलावा वापसी में जब खाली लौटती है, तो उसका ऑपरेटिंग कॉस्ट भी इस किराए में जुड़ जाता है. कोटा ट्रैवल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार चांदना का कहना है कि यह खर्चा भी 50 से 60 फीसदी ही बढ़ता है, जिसे हम बढ़े हुए किराए के जरिए वसूल करते हैं.

पढ़ें. दिवाली-छठ से दो महीने पहले ट्रेनों में सीटें फुल, स्पेशल गाड़ियों की आस में लोग

ढाई से तीन गुना किराया देकर धक्के खाने को मजबूर छात्र
इन सब का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. क्योंकि बसों का ऑनलाइन भी किराया बढ़ गया है. साथ ही बसों की बुकिंग 1 महीने पहले नहीं होती है जिससे विद्यार्थियों को छुट्टियों का पता होने के बाद भी वे टिकट नहीं करवा पाते. बस संचालक पहले ही ऑनलाइन और ऑफलाइन बसों का किराया बढ़ा देते हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को आने और जाने में हजारों रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं. यह करीब ढाई से 3 गुना तक होता है, लेकिन कोचिंग वाले बच्चों को यह पैसा भारी पड़ता है. उन्हें साल में एक बार छुट्टी मिलने पर जैसे तैसे भी बस में या ट्रेन में जगह मिले वह सफर कर कर घर पहुंचना चाहते हैं. इसके बावजूद कई छात्रों को ट्रेन और बस में जगह नहीं मिल पाती है.

इस तरह बढ़ गया किराया (रुपये में)

रूट अभी20 अक्टूबर से दीवाली तक
हरिद्वार 1200 2800
देहरादून 13003000
लखनऊ 1100 2600
दिल्ली 900 2000
झांसी 750 2400
गवालियर750 2400
जोधपुर 7001400
इंदौर 5001200
उज्जैन 5001200
अहमदाबाद1200 2800
बांसवाड़ा700 1600
श्रीगंगानगर 800 1700
बाड़मेर 900 2000



कोटा. इंजिनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने कोटा आए हजारों छात्र-छात्राओं के सामने दीपावली पर अपने घर पर जाना मुश्किल हो गया है. पर्व को लेकर सभी ट्रेनें फुल हो चुकी हैं. यहां तक कि वेटिंग टिकट (No ticket in trains on Diwali) भी नहीं जारी किया जा रहा है. दिवाली पर ट्रेनों में नो रूम के कारण विद्यार्थी बसों में टिकट देख रहे हैं लेकिन हालत ये है कि सभी निजी बस ऑपरेटरों ने भी मौके का लाभ उठाते हुए करीब 70 फीसदी तक (bus operators increase fare) किराया बढ़ा दिया है.

ऐसे में दिवाली पर कोचिंग छात्रों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. हालात ऐसे हैं कि जिस जगह पर किराया 1000 रुपए था, अब वहां तक के लिए 2700 से 2800 रुपए तक किराया देना पड़ रहा है. दूसरी तरफ परिवहन विभाग भी इस पर लाचारी जता रहा है. विभाग का कहना है कि कांटेक्ट कैरिज की बसों में किराया सरकार तय नहीं कर सकती है. कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें अधिकांश उन रूटों पर चलती हैं जहां पर रोडवेज की सेवाएं नहीं है. ऐसे में इन रूटों में ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है. इसमें उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, इंदौर, उज्जैन, लखनऊ, कानपुर, झांसी, ग्वालियर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली व अहमदाबाद शामिल हैं.

दिवाली पर ट्रेनें फुल

पढ़ें. रक्षाबंधन पर ट्रेनें फुल, टिकट कंफर्म नहीं होने से यात्री परेशान

परिवहन विभाग लाचार, कहा- हम नहीं कर सकते कार्रवाई
परिवहन विभाग भी इस पर एक्शन नहीं ले पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसें संचालित होने के चलते उनपर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. इन कॉन्ट्रैक्ट कैरिज की बसों में वह कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. इसमें कांट्रेक्टर और सवारी के बीच ही सीधा संबंध में किराए का रहता है. ऐसे में इन पर एक्शन नहीं ले सकते हैं.आरटीओ राजेश शर्मा का कहना है कि उन्हें इस संबंध में हमें कोई ऐसी शिकायत भी नहीं मिली है, ऐसे में कार्रवाई कैसे कर सकते हैं. कॉन्ट्रैक्ट कैरिज का लीगल मतलब ही यह है कि दो लोगों के बीच में कॉन्ट्रैक्ट. इसमें कोई विभाग या सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. इसके लिए कोई नियम भी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि शिकायत आने पर वे मामले को गंभीरता से लेंगे.

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ऑपरेटरों ने यह बताई मजबूरी, अतिरिक्त टैक्स भारी पड़ता है
बस ऑपरेटर का कहना है कि किराया बढ़ने का कारण नॉर्मल बस नहीं है. उन्हें त्योहारी सीजन में बसें फुल हो जाने के चलते अतिरिक्त बसें लगानी पड़ती हैं, लेकिन जिस भी डेस्टिनेशन पर बस जाती हैं वहां से वापसी में सवारियां नहीं मिलती और उन्हें खाली लौटना पड़ता है. इसके अलावा टेंपरेरी परमिट भी इन कॉन्ट्रैक्ट कैरिज के लिए लेना पड़ता है जिनमें अलग-अलग स्टेट का टैक्स जमा होता है. यह टैक्स जमा होने के कारण उन्हें 1 दिन बस चलने पर भी 3 गुना पैसा देना पड़ता है. इसके अलावा वापसी में जब खाली लौटती है, तो उसका ऑपरेटिंग कॉस्ट भी इस किराए में जुड़ जाता है. कोटा ट्रैवल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार चांदना का कहना है कि यह खर्चा भी 50 से 60 फीसदी ही बढ़ता है, जिसे हम बढ़े हुए किराए के जरिए वसूल करते हैं.

पढ़ें. दिवाली-छठ से दो महीने पहले ट्रेनों में सीटें फुल, स्पेशल गाड़ियों की आस में लोग

ढाई से तीन गुना किराया देकर धक्के खाने को मजबूर छात्र
इन सब का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. क्योंकि बसों का ऑनलाइन भी किराया बढ़ गया है. साथ ही बसों की बुकिंग 1 महीने पहले नहीं होती है जिससे विद्यार्थियों को छुट्टियों का पता होने के बाद भी वे टिकट नहीं करवा पाते. बस संचालक पहले ही ऑनलाइन और ऑफलाइन बसों का किराया बढ़ा देते हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को आने और जाने में हजारों रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं. यह करीब ढाई से 3 गुना तक होता है, लेकिन कोचिंग वाले बच्चों को यह पैसा भारी पड़ता है. उन्हें साल में एक बार छुट्टी मिलने पर जैसे तैसे भी बस में या ट्रेन में जगह मिले वह सफर कर कर घर पहुंचना चाहते हैं. इसके बावजूद कई छात्रों को ट्रेन और बस में जगह नहीं मिल पाती है.

इस तरह बढ़ गया किराया (रुपये में)

रूट अभी20 अक्टूबर से दीवाली तक
हरिद्वार 1200 2800
देहरादून 13003000
लखनऊ 1100 2600
दिल्ली 900 2000
झांसी 750 2400
गवालियर750 2400
जोधपुर 7001400
इंदौर 5001200
उज्जैन 5001200
अहमदाबाद1200 2800
बांसवाड़ा700 1600
श्रीगंगानगर 800 1700
बाड़मेर 900 2000



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