कोटा. नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश नेतृत्व के नेताओं को कोटा की जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में बुधवार को कोटा में आकर सभी नेताओं ने बैठक की. भाजपा की बैठक में तय किया गया है कि 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा जिस वार्ड का निवासी कार्यकर्ता होगा. उसे उसी वार्ड से टिकट मिलेगा. दूसरे वार्ड से उसे टिकट नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने सभी नेता और कार्यकर्ताओं से कहा कि कोई व्यक्ति चुनाव कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम के डेढ़ सौ वार्ड से नहीं लड़ रहा है. सभी जगह भाजपा और कमल का फूल ही मैदान में है. यह समझ कर ही काम करना है.
इस बैठक में कोटा नगर निगम चुनाव के समन्वयक और विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, कोटा दक्षिण नगर निगम चुनाव प्रभारी और उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा, कोटा दक्षिण नगर निगम चुनाव प्रभारी राजसमंद विधायक और पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी ने सम्बोधित किया. इस बैठक में विधायक संदीप शर्मा, कल्पना देवी, जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी रामबाबू, सह प्रभारी आनंद गर्ग, जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी रामबाबू, विधायक संदीप शर्मा, कल्पना देवी, पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुंजल सहित कई लोग मौजूद रहे.
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वहीं बैठक से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कोटा दक्षिण नगर निगम चुनाव प्रभारी और उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ने कहा कि निगम का छोटा चुनाव होता है. ऐसे में वहां पर पैराशूट उम्मीदवार को नहीं उतारा जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि पार्षद का चुनाव बहुत ही संवेदनशील है, इसमें जनता का जुड़ाव सबसे इंपोर्टेंट है. उन्होंने कहा कि हम पैराशूट उम्मीदवार नहीं उतारते हैं. कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर ही पार्टी और संगठन निर्णय करता है कि किस कार्यकर्ता को चुनाव लड़ जाना है. हमारे हिसाब से नगर निगम में कोई पैराशूट उम्मीदवार आ ही नहीं सकता क्योंकि छोटी इकाई है पार्षद का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी की डोर टू डोर जान पहचान होनी चाहिए.
आम जनता से कांग्रेस को मतलब नहीं, अराजकता ही पहला मुद्दा
उदयपुर सांसद अर्जुन मीणा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश की अराजकता और कानून व्यवस्था ही नगर निगम चुनाव में उनके लिए मुद्दा होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल सरकार बचाने के लिए जी जान से मेहनत कर रही है और आम जनता से उसे कोई मतलब नहीं है. सरकार के 21 माह के कार्यकाल में ही कानून व्यवस्था सबसे खराब हो गई है. प्रदेश को विकास की तरफ ले जाने की जगह पीछे धकेला जा रहा है. विकास को सरकार भूल गई है. बच्चों के साथ अत्याचार और अन्य कई घटनाएं प्रदेश में हो रही है. कानून व्यवस्था के नाम की कोई चीज प्रदेश में नहीं है. साथ ही आम जनता से भी कांग्रेस को कोई मतलब नहीं है.