कोटा. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में कुछ घण्टे शेष रह गए हैं. जोर आजमाइश का दौर जारी है. सभी उम्मीदवार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं और इसके लिए एक एक वोट की कीमत पहचान और जान रहे हैं. ठीक ऐसे वक्त में ही अगर किसी विधायक की गिरफ्तारी हो जाए तो! कुछ ऐसा ही भाजपा के साथ होता दिख रहा है. मतदान से ऐन पहले बूंदी की केशवरायपाटन विधायक चंद्रकांता मेघवाल इसकी (MLA Chandrakanta Meghwal Case) जद में हैं. मामला 5 साल पुराना है और पुलिस की ओर से उन्हें कई नोटिस दिए जा चुके हैं, जिसको लगातार वो नजरअंदाज करती आई हैं. चंद्रकांता के साथ उनके पति नरेन्द्र मेघवाल भी पुलिस गिरफ्त में आ सकते हैं. विधायक भाजपा की बाड़ेबंदी में हैं जबकि पति नरेन्द्र मेघवाल बाहर हैं. कह रह हैं कि वो कभी भी सरेंडर कर सकते हैं. पति ने गिरफ्तारी के लिए गुलाब चंद कटारिया को भी जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा है कि उनकी एक गलती से हम गिरफ्तार हो सकते हैं.
अंतरिम जमानत के लिए दाखिल की थी अर्जी- विधायक चंद्रकांता मेघवाल की तरफ से आज जिला एवं सत्र न्यायालय में अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की गई थी. उनके एडवोकेट राजेश अड़सेला ने बताया उन्होंने प्रार्थना पत्र में जिक्र किया है कि राज्यसभा चुनाव के लिए 10 जून को मतदान समय के पहले उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए. वे पार्टी के व्हिप के अनुसार सभी विधायकों के साथ जयपुर में मौजूद हैं. ऐसे में उनका कोटा में उपस्थित हो पाना संभव नहीं है. धारा 41 ए सीआरपीसी के तहत एक-एक दिन के नोटिस देना विधिक प्रक्रिया के रूप से सही नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि राज्यसभा के मतदान से वंचित करने के लिए उपरोक्त प्रक्रिया अमल में लाई गई है. न्यायाधीश ने इस पर कहा है कि बिना केस डायरी के इस मामले को नहीं सुना जा सकता. इसीलिए इस मामले में 10 जून को सुनवाई की जाएगी, जिसमें महावीर नगर थाना पुलिस को केस डायरी पेश करने के निर्देश दिए गए.
एडवोकेट अड़सेला ने यह भी बताया कि इस मामले में तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट से हो चुकी है. जिसमें अमित शर्मा, मृगेंद्र सिंह और किशोर सिंह शामिल हैं. इनका भी मामला वैसा ही है, हाईकोर्ट और जिला न्यायाधीश के पास समान अधिकार हैं, ऐसे में अग्रिम जमानत की मांग की है. प्रकरण में सभी धाराएं 7 साल से कम सजा की है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जमानती अपराध के बराबर माना जाएगा. अनुसंधान में सहयोग करने पर जमानत थाने पर ली जा सकती है. इस पूरे मामले में सीआईडी सीबी में अनुसंधान हो चुका है, जिसमें पूरा सहयोग किया गया था और सभी गवाह भी पेश किए गए थे. इसका अनुसंधान पूर्ण हो चुका है. ऐसे में गिरफ्तार करने का भी कोई औचित्य नहीं है.
नरेन्द्र मेघवाल ने बताया: चंद्रकांता मेघवाल वसुंधरा कैम्प की मानी जाती हैं. मामला 2017 का है. तब वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं और गुलाबचंद कटारिया गृहमंत्री थे. पति के मुताबिक- एमएलए मेघवाल और मेरी तरफ से अलग-अलग धाराओं में मुकदमे दर्ज करवाए गए थे. इसके अलावा एक मुकदमा तत्कालीन मंडल अध्यक्ष बाबूलाल रेनवाल ने दर्ज करवाया था. यह पुलिस के खिलाफ थे. विधायक चंद्रकांता मेघवाल के मुकदमे में न्यायालय में 164 के बयान होने के बाद एफआर लग गई. यह मामला सीआईडी सीबी में दर्ज था. सीआईडी सीबी के मामले में हेड ऑफ डिपार्टमेंट ही अनुमति देता है. उसके बाद ही एफआर या चालान पेश होती है. ऐसे में तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने बहुत बड़ी गलती की. उन्होंने पुलिस का पक्ष लिया दूसरा पक्ष नहीं. इस एफआर की स्वीकृति पर तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के हस्ताक्षर हैं जबकि पुलिस के मामले अब भी चल रहे हैं. उन्हीं मामलों में गिरफ्तारी की नौबत आ गई है.
पति बोले हंगामा हो सकता है: नरेंद्र मेघवाल का कहना है कि पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए राजकार्य की बाधा के मुकदमे में हमारे 9 लोग नामजद हैं. इसके अलावा 50 से 60 अन्य लोग हैं. ऐसे में 60 से 70 लोगों की गिरफ्तारी होगी, तो बवाल मचेगा. चंद्रकांता मेघवाल प्रदेश की दलित नेता हैं. ऐसे में पूरे राजस्थान में उनके समर्थन में पहले भी विरोध प्रदर्शन हुए थे और अब दुबारा भी होंगे. किस पार्टी को फायदा और किस पार्टी को नुकसान होगा, यह बाद में देखा जाएगा, लेकिन प्रदेश भर में हंगामा जरूर होगा.
नोटिस दर नोटिस नजरअंदाज: कोटा शहर की महावीर नगर थाना पुलिस ने 5 साल पुराने मामले में उन्हें गिरफ्तारी से पहले दिया जाने वाला नोटिस दिया है. पहले नोटिस पर उन्हें 7 जून को उपस्थित होना था, लेकिन एमएलए और उनके पति थाने नहीं गए. इसके बाद दूसरा नोटिस उन्हें दिया गया. जिसमें आज (9 जून 2022) 11:00 बजे उन्हें उपस्थित होना था. वो नहीं पहुंचीं. ऐसे में उनको गिरफ्तार किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो वो शुक्रवार को होने वाली वोटिंग प्रक्रिया से चूक जाएंगी. पति नरेंद्र मेघवाल ने गुजरात राज्यसभा चुनावों के दौरान विधायकों की गिरफ्तारी की ओर ध्यान भी दिलाया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह गुजरात में अहमद पटेल ने राज्यसभा का चुनाव लड़ा था, तब सरकार ने विधायकों को रोका था कुछ वैसा ही यहां भी संभव हो सकता है. विधायक के पति ने न्यायालय से अंतरिम जमानत प्राप्त करने की बात भी कही है.
पुलिस का तर्क: दूसरी तरफ, इस पूरे प्रकरण पर महावीर नगर थाना अधिकारी पुष्पेंद्र झाझड़िया का कहना है कि गिरफ्तारी से पहले थाने पर उपस्थित होने के लिए दूसरा नोटिस दिया गया है. उन्होंने नियमों का हवाला दिया है और गिरफ्तारी की आशंका से इनकार नहीं किया है. कहा है कि यह 41 ए के अनुसार है. इस पर भी अगर वे उपस्थित नहीं होंगे, तब पुलिस नियमानुसार कार्रवाई करेगी.
क्या होता है 41ए नोटिस?: किसी भी मुकदमे में पुलिस पूछताछ के लिए 41 ए नोटिस के जरिए आरोपी को पाबंद कर थाने बुलाती है. इन्हें गिरफ्तारी के पहले का नोटिस कहा जाता है. इस नोटिस से ही आमतौर पर पुलिस आरोपी को पूछताछ के लिए थाने पर बुलाती है, उपस्थिति नहीं होने पर दोबारा नोटिस देकर उन्हें बुलाया जाता है. यह नोटिस गिरफ्तारी के पूर्व के नोटिस होते हैं, ऐसे में अगर जिस व्यक्ति को नोटिस देकर बुलाया गया है वो दोबारा भी उपस्थित नहीं होता है, तो उसे कभी भी गिरफ्तार कर लिया जाता है.
क्या है 2017 का वो मामला?: साल 2017 में एक दुकानदार का महावीरनगर थाना पुलिस ने चालान काट दिया था. इस मामले को लेकर MLA चंद्रकांता और उनके पति थाने पहुंचे. खूब कहासुनी हुई. जुबानी जंग धक्का मुक्की तक पहुंची. इस दौरान विधायक के पति नरेंद्र मेघवाल ने तत्कालीन थानाधिकारी को थप्पड़ मार दिया. तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक संग धक्का मुक्की की गई थी. उसी मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था.
सीईओ राजस्थान से सरकार की शिकायत, कहा- वोटिंग से रोकने का प्रयासः विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने शाम करीब 5:15 मुख्य चुनाव आयुक्त प्रवीण गुप्ता से राजस्थान की कांग्रेस सरकार की लिखित शिकायत की है. इसमें राज्य की कांग्रेस सरकार पर अपनी शक्तियों के दुरुपयोग करते हुए राज्यसभा चुनाव में वोट डालने से रोकने का प्रयास का आरोप लगाया है. इसमें बताया है कि उन्हें व्हाट्सएप के जरिए 8 जून को पुलिस गिरफ्तारी से पूर्व नोटिस धारा 41 ए सीआरपीसी के तहत दिया गया है. जिसमें उनके खिलाफ राजकार्य में बाधा के मुकदमे में अपराध को प्रमाणित माना है. यह नोटिस मतदान के 1 दिन पहले देकर वोटिंग से रोकने के लिए बदनियति पूर्वक उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास है. इस मामले में पहले अनुसंधान हो चुका है और अनुसंधान पूर्ण होने के बाद पुलिस वैधानिक रूप से कोई आवश्यकता नहीं है. इस मामले में 3 आरोपियों को पहले ही हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. राजस्थान की कांग्रेस सरकार 5 साल पूर्व दर्ज प्रकरण में अनुसंधान पूर्ण होने के बाद भी राज्यसभा चुनाव में वोट के प्रयोग से वंचित करने और गिरफ्तारी पर आमादा है. साथ ही उन्होंने मांग की है कि राज्यसभा चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्भीक रूप से कराएं जाएं.