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पिछले पांच में से चार बोर्ड पर कब्जा जमाने वाली भाजपा दोहराएगी जीत या कांग्रेस करेगी अपने रिकार्ड में सुधार?

नगर निगम के चुनाव में कोटा में 5 बोर्ड अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. वहीं, इस बार फिर शहरी सरकार को दो हिस्सों में बांटा गया है. जो कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम बन गए हैं. यहां पर मतदाताओं ने 29 अक्टूबर और एक नवंबर को वोटिंग कर अपना फैसला भी सुना दिया है जो कि ईवीएम में बंद है. उत्तम नगर निगम के 70 वार्डों में जहां 225 प्रत्याशी हैं. वहीं दक्षिण के 80 वार्डों में 289 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है.

कोटा न्यूज, rajasthan news
नगर निगम चुनाव में जल्द ही चुना जाएगा मेयर
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Published : Nov 2, 2020, 8:39 PM IST

कोटा. नगर निगम चुनाव में कोटा में अब तक पांच बोर्ड अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. हाड़ौती में जिस तरह से जनसंघ का दबदबा था, उसको बीजेपी ने भी बनाए रखा. यहीं कोटा नगर निगम में भी दिखा है. भारतीय जनता पार्टी ने ही 4 बार कोटा नगर निगम के बोर्ड पर अपना कब्जा जमाए रखा. कांग्रेस यहां पर टक्कर तो बीजेपी को देती रही, लेकिन हर बार पिछड़ती रही.

नगर निगम चुनाव में जल्द ही चुना जाएगा मेयर

नगर निगम के चुनाव में अब तक केवल एक बार ही वो अपना मेयर बना चुकी है, वो भी 2009 के सीधे मेयर के चुनाव में. तभी तीन बार की शिकस्त के बाद कांग्रेस के हाथ नगर निगम कोटा का बोर्ड लगा था, लेकिन फिर 2014 के चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली और उनके केवल 65 में से 6 ही प्रत्याशी जीत कर नगर निगम पहुंच पाए.

इस बार फिर शहरी सरकार को दो हिस्सों में बांटा गया है. जो कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम बन गए हैं. यहां पर मतदाताओं ने 29 अक्टूबर और एक नवंबर को वोटिंग कर अपना फैसला भी सुना दिया है जो कि ईवीएम में बंद है. उत्तम नगर निगम के 70 वार्डों में जहां 225 प्रत्याशी हैं. वहीं दक्षिण की बात की जाए तो 80 वार्डों में 289 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. इसी फैसले से कोटा उत्तर और दक्षिण में अगली सरकार का फैसला होगा.

बता दें कि 2014 में फिर परिसीमन बढ़ गए थे. 5 वार्ड कोटा नगर निगम 1994 में बना. नगर निगम बनने के बाद शहर की पहली सरकार की मेयर भाजपा की सुमन श्रृंगी बनी. इसके बाद के दो बोर्ड में भी बीजेपी का ही कब्जा रहा. 1999 में जहां पर ईश्वर लाल साहू महापौर बने. वहीं 2004 के चुनाव में मोहनलाल महावर को यह सीट मिली. दोनों समय बीजेपी बहुमत में रही. कांग्रेस 2009 के चुनाव में प्रदेश में सत्ता में थी. बीजेपी के तीन लगातार बोर्ड होने से एंटी इनकंबेंसी का फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिला. 60 में से 42 सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई, सीधा मेयर का चुनाव था.

पढ़ें- इटावा में मछली पकड़ने के दौरान संदिग्ध अवस्था में अधेड़ की मौत

ऐसे में मेयर बनी कांग्रेस की रत्ना जैन ने 49,000 वोटों से बीजेपी की अरुणा अग्रवाल को हरा दिया. पिछले बोर्ड में महज छह वार्ड जीत पाई थी. कांग्रेस बीजेपी राज में 2013 में सत्ता में आई, उसके बाद 2014 में परिसीमन करते हुए कोटा नगर निगम में 5 वार्ड बढ़ा दिए. मोदी लहर के चलते 2013 के विधानसभा चुनाव हो या 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत बीजेपी को प्रदेश में मिला. यही क्रम 2014 में हुए नगर निगम चुनाव में जारी रहा. कोटा नगर निगम में जहां पर 65 सीटों पर चुनाव हुआ. उनमें से 53 पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया. वहीं, 6 सीट पर ही कांग्रेस के प्रत्याशी जीत सके. 6 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों के खाते में गई.

ये रहे है महापौर और उपमहापौर

वर्षमेयरडिप्टी मेयरपार्टी
1994सुमन श्रृंगीमणिभाई पटेलबीजेपी
1999ईश्वर लाल साहूयोगेंद्र खींचीबीजेपी
2004मोहनलाल महावररविंद्र सिंह निर्भयबीजेपी
2009रत्ना जैनराकेश सोशलकांग्रेस
2014 महेश विजयसुनीता व्यासबीजेपी

कोटा. नगर निगम चुनाव में कोटा में अब तक पांच बोर्ड अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. हाड़ौती में जिस तरह से जनसंघ का दबदबा था, उसको बीजेपी ने भी बनाए रखा. यहीं कोटा नगर निगम में भी दिखा है. भारतीय जनता पार्टी ने ही 4 बार कोटा नगर निगम के बोर्ड पर अपना कब्जा जमाए रखा. कांग्रेस यहां पर टक्कर तो बीजेपी को देती रही, लेकिन हर बार पिछड़ती रही.

नगर निगम चुनाव में जल्द ही चुना जाएगा मेयर

नगर निगम के चुनाव में अब तक केवल एक बार ही वो अपना मेयर बना चुकी है, वो भी 2009 के सीधे मेयर के चुनाव में. तभी तीन बार की शिकस्त के बाद कांग्रेस के हाथ नगर निगम कोटा का बोर्ड लगा था, लेकिन फिर 2014 के चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली और उनके केवल 65 में से 6 ही प्रत्याशी जीत कर नगर निगम पहुंच पाए.

इस बार फिर शहरी सरकार को दो हिस्सों में बांटा गया है. जो कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम बन गए हैं. यहां पर मतदाताओं ने 29 अक्टूबर और एक नवंबर को वोटिंग कर अपना फैसला भी सुना दिया है जो कि ईवीएम में बंद है. उत्तम नगर निगम के 70 वार्डों में जहां 225 प्रत्याशी हैं. वहीं दक्षिण की बात की जाए तो 80 वार्डों में 289 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. इसी फैसले से कोटा उत्तर और दक्षिण में अगली सरकार का फैसला होगा.

बता दें कि 2014 में फिर परिसीमन बढ़ गए थे. 5 वार्ड कोटा नगर निगम 1994 में बना. नगर निगम बनने के बाद शहर की पहली सरकार की मेयर भाजपा की सुमन श्रृंगी बनी. इसके बाद के दो बोर्ड में भी बीजेपी का ही कब्जा रहा. 1999 में जहां पर ईश्वर लाल साहू महापौर बने. वहीं 2004 के चुनाव में मोहनलाल महावर को यह सीट मिली. दोनों समय बीजेपी बहुमत में रही. कांग्रेस 2009 के चुनाव में प्रदेश में सत्ता में थी. बीजेपी के तीन लगातार बोर्ड होने से एंटी इनकंबेंसी का फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिला. 60 में से 42 सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई, सीधा मेयर का चुनाव था.

पढ़ें- इटावा में मछली पकड़ने के दौरान संदिग्ध अवस्था में अधेड़ की मौत

ऐसे में मेयर बनी कांग्रेस की रत्ना जैन ने 49,000 वोटों से बीजेपी की अरुणा अग्रवाल को हरा दिया. पिछले बोर्ड में महज छह वार्ड जीत पाई थी. कांग्रेस बीजेपी राज में 2013 में सत्ता में आई, उसके बाद 2014 में परिसीमन करते हुए कोटा नगर निगम में 5 वार्ड बढ़ा दिए. मोदी लहर के चलते 2013 के विधानसभा चुनाव हो या 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत बीजेपी को प्रदेश में मिला. यही क्रम 2014 में हुए नगर निगम चुनाव में जारी रहा. कोटा नगर निगम में जहां पर 65 सीटों पर चुनाव हुआ. उनमें से 53 पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया. वहीं, 6 सीट पर ही कांग्रेस के प्रत्याशी जीत सके. 6 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों के खाते में गई.

ये रहे है महापौर और उपमहापौर

वर्षमेयरडिप्टी मेयरपार्टी
1994सुमन श्रृंगीमणिभाई पटेलबीजेपी
1999ईश्वर लाल साहूयोगेंद्र खींचीबीजेपी
2004मोहनलाल महावररविंद्र सिंह निर्भयबीजेपी
2009रत्ना जैनराकेश सोशलकांग्रेस
2014 महेश विजयसुनीता व्यासबीजेपी
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