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मैं कोचिंग का विरोधी, सरकार की शिक्षा व्यवस्था के विफलता से होता है शिक्षा का निजीकरण-डॉ कुमार विश्वास

कवि कुमार विश्वास का कहना है कि वे निजी रूप से कोचिंग के विरोधी (Kumar Vishwas on coaching culture) हैं. उनका मानना है कि जब सरकारें फेल हो जाती हैं, तो शिक्षा का निजीकरण होता है. हालांकि उन्होंने कहा कि इतने सालों से यही व्यवस्था चल रही है. उनके जमाने में कोचिंग नहीं होती थी, फिर भी सलेक्शन हो रहे थे.

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Published : Oct 15, 2022, 4:47 PM IST

Updated : Oct 15, 2022, 11:55 PM IST

Kumar vishaws targets education system failure, says he is against coaching system
मैं कोचिंग का विरोधी, सरकार की शिक्षा व्यवस्था के विफलता से होता है शिक्षा का निजीकरण-डॉ कुमार विश्वास

कोटा. शहर में चल रहे 129वें राष्ट्रीय दशहरे मेले में शनिवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए कवि डॉ कुमार विश्वास ने कालातालाब स्थित एक मूक बधिर बच्चों के आश्रय स्थल का दौरा किया. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कोचिंग व्यवस्था पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कहा कि निजी रूप से मैं कोचिंग का विरोधी (Kumar Vishwas on coaching culture) हूं. जब सरकारें फेल हो जाती हैं और उनकी शिक्षा व्यवस्था फेल हो जाती है, तब शिक्षा का निजीकरण होता है. लेकिन अब क्या करें, सरकार किसी की भी हो, इतने सालों से यही व्यवस्था हो रही है.

उन्होंने बताया कि उनका भाई इंजीनियरिंग में गया. उन्होंने खुद भी पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उनके समय कोचिंग नहीं थी. ऐसे ही पढ़ रहे थे और सेलेक्ट हो रहे थे. लेकिन अब क्या करें. कोटा में एक छोटी काशी शिक्षा की बनाई है. जहां पर इतने बच्चे आते हैं, कोटा के बच्चों से यही कहना है, जिंदगी की कोई लड़ाई आखिरी नहीं होती, थोड़े नंबर आए हैं या आईआईटी-एनआईटी नहीं मिली है, तो कुमार विश्वास बनने के रास्ते खुले हुए हैं.

कोचिंग कल्चर पर क्या बोले कुमार विश्वास...

पढ़ें: राजस्थानः कुमार विश्वास का सियासी संग्राम पर व्यंग्य, बाहरी विरोध नहीं करते, तो अंदर ही फजीहत कर लिया

इसके अलावा डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि मैंने नैनवा, भवानीमंडी, रामगंजमंडी, झालरापाटन व कोटा में भी कवि सम्मेलन के संचालन कई बार किए हैं. मेरे मित्र अतुल कनक, दाभाई दुर्गादान गौड़ व जगदीश सोलंकी का शहर है. काफी समय बाद में कोटा मेले में आया हूं. गंगा विजन में बच्चों से मुलाकात हुई है. इनके बारे में भी विमंदित कहा जाता है, लेकिन मैं कहता हूं कि ये विमंदित नहीं, दुनिया की चालाकी से दूर हैं. बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़कर यह भी हमारे जैसे हो जाएंगे.

कोटा. शहर में चल रहे 129वें राष्ट्रीय दशहरे मेले में शनिवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए कवि डॉ कुमार विश्वास ने कालातालाब स्थित एक मूक बधिर बच्चों के आश्रय स्थल का दौरा किया. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कोचिंग व्यवस्था पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कहा कि निजी रूप से मैं कोचिंग का विरोधी (Kumar Vishwas on coaching culture) हूं. जब सरकारें फेल हो जाती हैं और उनकी शिक्षा व्यवस्था फेल हो जाती है, तब शिक्षा का निजीकरण होता है. लेकिन अब क्या करें, सरकार किसी की भी हो, इतने सालों से यही व्यवस्था हो रही है.

उन्होंने बताया कि उनका भाई इंजीनियरिंग में गया. उन्होंने खुद भी पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उनके समय कोचिंग नहीं थी. ऐसे ही पढ़ रहे थे और सेलेक्ट हो रहे थे. लेकिन अब क्या करें. कोटा में एक छोटी काशी शिक्षा की बनाई है. जहां पर इतने बच्चे आते हैं, कोटा के बच्चों से यही कहना है, जिंदगी की कोई लड़ाई आखिरी नहीं होती, थोड़े नंबर आए हैं या आईआईटी-एनआईटी नहीं मिली है, तो कुमार विश्वास बनने के रास्ते खुले हुए हैं.

कोचिंग कल्चर पर क्या बोले कुमार विश्वास...

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इसके अलावा डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि मैंने नैनवा, भवानीमंडी, रामगंजमंडी, झालरापाटन व कोटा में भी कवि सम्मेलन के संचालन कई बार किए हैं. मेरे मित्र अतुल कनक, दाभाई दुर्गादान गौड़ व जगदीश सोलंकी का शहर है. काफी समय बाद में कोटा मेले में आया हूं. गंगा विजन में बच्चों से मुलाकात हुई है. इनके बारे में भी विमंदित कहा जाता है, लेकिन मैं कहता हूं कि ये विमंदित नहीं, दुनिया की चालाकी से दूर हैं. बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़कर यह भी हमारे जैसे हो जाएंगे.

Last Updated : Oct 15, 2022, 11:55 PM IST
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