कोटा. शहर में चल रहे 129वें राष्ट्रीय दशहरे मेले में शनिवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए कवि डॉ कुमार विश्वास ने कालातालाब स्थित एक मूक बधिर बच्चों के आश्रय स्थल का दौरा किया. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कोचिंग व्यवस्था पर हमला बोल दिया. उन्होंने कहा कहा कि निजी रूप से मैं कोचिंग का विरोधी (Kumar Vishwas on coaching culture) हूं. जब सरकारें फेल हो जाती हैं और उनकी शिक्षा व्यवस्था फेल हो जाती है, तब शिक्षा का निजीकरण होता है. लेकिन अब क्या करें, सरकार किसी की भी हो, इतने सालों से यही व्यवस्था हो रही है.
उन्होंने बताया कि उनका भाई इंजीनियरिंग में गया. उन्होंने खुद भी पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उनके समय कोचिंग नहीं थी. ऐसे ही पढ़ रहे थे और सेलेक्ट हो रहे थे. लेकिन अब क्या करें. कोटा में एक छोटी काशी शिक्षा की बनाई है. जहां पर इतने बच्चे आते हैं, कोटा के बच्चों से यही कहना है, जिंदगी की कोई लड़ाई आखिरी नहीं होती, थोड़े नंबर आए हैं या आईआईटी-एनआईटी नहीं मिली है, तो कुमार विश्वास बनने के रास्ते खुले हुए हैं.
इसके अलावा डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि मैंने नैनवा, भवानीमंडी, रामगंजमंडी, झालरापाटन व कोटा में भी कवि सम्मेलन के संचालन कई बार किए हैं. मेरे मित्र अतुल कनक, दाभाई दुर्गादान गौड़ व जगदीश सोलंकी का शहर है. काफी समय बाद में कोटा मेले में आया हूं. गंगा विजन में बच्चों से मुलाकात हुई है. इनके बारे में भी विमंदित कहा जाता है, लेकिन मैं कहता हूं कि ये विमंदित नहीं, दुनिया की चालाकी से दूर हैं. बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़कर यह भी हमारे जैसे हो जाएंगे.