कोटा. इरादा मजबूत हो और काम करने का लगन हो तो जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है. इन लाइनों को चरितार्थ किया है कोटा शहर के रहने वाले विक्रम सिंह हाड़ा ने. कुछ साल पहले तक विक्रम जीवन यापन के लिए मजदूरी किया करते थे, कुछ जमीन थी तो खेती हो जाती थी. जैसे-तैसे जीवन की गाड़ी आगे बढ़ रही थी. लेकिन कोटा के कृषि विश्वविद्यालय (Agriculture University Kota) में लगा कृषक मेले ने उनके जीवन को ही बदलकर रख दिया.
इस मेले में सोयाबीन से सोया पनीर बनाते देख विक्रम इतना प्रभावित हुए कि बस ठान लिया कि अब यही काम करना है. विक्रम ने कृषि विज्ञान केंद्र कोटा में ही सोयाबीन से सोया पनीर बनाने को लेकर 1 महीने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद इधर-उधर से रुपए का जुगाड़ करके सोया पनीर प्लांट (Soya Paneer Plant in Kota) स्थापित कर लिया.
700 से 800 किलो पनीर का उत्पादन
आज उनका सोया पनीर प्लांट कोटा (Soya Paneer business Kota) में बड़े स्तर पर काम कर रहा है. हर दिन करीब 700 से 800 किलो पनीर का उत्पादन किया जा रहा है. इससे उन्हें सालाना लाखों रुपए की आय भी हो रही है. कल तक चंद हजार रुपए से घर चलाने वाले विक्रम आज महीने के करीब 80 हजार रुपए कमा लेते हैं. साथ ही उन्होंने 4 युवाओं को रोजगार भी दिया हुआ है. विक्रम सिंह का कहना है कि उन लोगों को भी सफल बनाने के लिए काम करते हैं. इन युवाओं को 8 से 9 हजार रुपए महीना सैलरी भी दे रहे हैं.
देश भर से प्रशिक्षण के लिए कर रहे उद्यमी संपर्क
कोटा के कृषि विश्वविद्यालय की ह्यूमन रिसोर्स निदेशक डॉ. ममता तिवारी का कहना है कि विक्रम सिंह एक सफल उद्यमी हैं. उनकी सफलता की कहानी आजादी के 75 वर्ष पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) में भी दर्शाई गई है. विक्रम पर एक लेख केंद्र सरकार ने प्रकाशित किया है. डॉ. तिवारी का कहना है कि सोया प्लांट की यूनिट स्थापित करवाने से लेकर उन्हें टिप्स देने और पूरे ट्रेनिंग देने में कृषि विज्ञान केंद्र ने सहयोग किया है. विक्रम सिंह की सफलता को देखते हुए देश भर से लोग अब इस तरह के प्लांट लगाने के लिए संपर्क कर रहे हैं और ट्रेनिंग की भी बात कर रहे हैं. डॉ. तिवारी का कहना है कि वह देश भर में करीब 150 के आसपास लोगों को ऑनलाइन ऑफलाइन इस तरह की ट्रेनिंग दे चुकी हैं.
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शुरुआत छोटे प्लांट से बाद में किया अपग्रेड
विक्रम सिंह का कहना है कि उन्होंने पहले 200 किलो प्रति दिन सोया पनीर उत्पादन करने वाली मशीन लगाई थी, लेकिन जब बाजार में मांग ज्यादा होने लगी, तो यह मशीन छोटी पड़ने लगी. ऐसे में उन्होंने अपने प्लांट को अपग्रेड किया. 15 लाख रुपए खर्च करते हुए 800 से 1000 किलो प्रति दिन सोया पनीर का उत्पादन करने वाली मशीन भी लगाई है. विक्रम सिंह का कहना है कि कोविड-19 के चलते उत्पादन थोड़ा सा कम हो गया था, लेकिन अब वापस इसकी मांग बढ़ गई है. वर्तमान समय में यह डिमांड 300 से 400 किलो है. जबकि भविष्य में बढ़कर यह 700 से 800 पहुंच जाएगी. उन्होंने बताया कि बीते दिनों 60 से 70 रुपए किलो सोया पनीर की लागत थी. अब यह महंगाई के चलते 80 से 90 रुपए किलो हो गई है. बाजार में वर्तमान में सोया पनीर 120 रुपए किलो पर बिक रहा है.
8 घंटे तक चलती है नॉन स्टॉप मेहनत
विक्रम सिंह का कहना है कि कोटा में कई लोगों के पास इस तरह के सोया पनीर के प्लांट हैं. लेकिन वे ठीक से संचालित नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि इसमें मेहनत काफी ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि सुबह 4 बजे उठने से लेकर दोपहर 12 बजे तक लगातार काम करना पड़ता है. जिसमें पानी का काम ज्यादा है. इस पूरे काम में मेहनत होने के चलते अधिकांश प्लांट मालिक यह काम नहीं कर रहे हैं. विक्रम सिंह का कहना है कि इसको बेचने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है. हॉस्टल, मैस, कोचिंग एरिया की दुकानों और होटल्स में इस पनीर को बेचा जाता है.