कोटा: इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड के फाइनल रिजल्ट की घोषणा दुबई में हुई. आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया. इसमें भारत के छह स्टूडेंट्स ने गोल्ड जीता है. भारत दूसरे स्थान पर रहा. इन 6 में से 4 अनिमेष प्रधान, देवेश भाया, राजदीप मिश्रा और वैद लाहोटी का नाता कोटा (Kota Reigns In IJSO) से है. भारत के इतिहास में पहली बार आठवीं में पढ़ने वाले स्टूडेंट देवेश भाया ने भी गोल्ड मेडल जीता है, जो एक रिकॉर्ड है.
देवेश भैया का Achievement खास
देवेश भैया 8वीं में पढ़ते हैं. देवेश ने अपने से बड़े और बड़ी कक्षाओं में अध्ययन करने वाले स्टूडेंट्स के साथ स्पर्धा करते हुए स्वयं को साबित किया. इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में 59 देशों के 324 स्टूडेंट्स शामिल हुए.
टॉप 35 में से 6 भारत के
यह सभी स्टूडेंट 15 साल तक की उम्र के थे, फाइनल हाइब्रिड मोड पर यूएई में 12 से 20 सितंबर तक आयोजित किया गया. इस कैंप में टॉप 35 में से 6 श्रेष्ठ स्टूडेंट फाइनल में भारतीय टीम में शामिल थे.
कोटा के निजी कोचिंग के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि खुशी के बात है कि जो भारत से अच्छे बच्चे गए थे, उस सभी से बच्चों ने गोल्ड मेडल हासिल किया है. बच्चे भारत का नाम और झंडा ऊंचा कर आ रहे हैं. बड़े कंपटीशन में बच्चों ने अच्छा काम किया है, बहुत ही बचा अचीवमेंट रहा है. भारत के लिए गर्व की बात है. मैं मानता हूं कि जिस तरह से ओलंपिक में गोल्ड मेडल आ रहे हैं, यह पहचान और हमारी जिम्मेदारी और दायित्व है. भारत का दूसरा स्थान पर रहा है. पहले भी प्रथम स्थान भारत ने प्राप्त किया है. यह प्रथम द्वितीय चलता रहता है, लेकिन बच्चे जीत रहे हैं और भारत टॉप में बन रहा है. यह बहुत बड़ी बात है. बहुत अच्छा संदेश भारत दे रहा है.
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कई सालों की मेहनत अब हुई सफल
आईजेएसओ के गोल्ड मेडलिस्ट देवेश भैया का कहना है कि मैं सातवीं से ही तैयारी कर रहा था. आईजेएसओ के लिए मैंने तैयारी शुरू कर दी थी और काफी मदद की फेकल्टी ने भी की है. रोज क्लासेस चल रही थी चार घंटे तक ये रोज पढ़ते थे. जब लॉकडाउन था, तब भी मैंने ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाई की. मैंने कभी भी इसको बंद नहीं किया.
आईजेएसओ के गोल्ड मेडलिस्ट अनिमेष का कहना है कि खुशी हो रही है. हमारे लिए बहुत प्राउड मूवमेंट्स था. हमने भारत का प्रतिनिधित्व किया और 2 से 3 साल मेहनत भी की है. हम दो तीन साल से मेहनत कर रहे हैं. कोचिंग ने भी मुझे प्रैक्टिकल में काफी मदद की है और काफी इंपॉर्टेट इसके लिए प्रैक्टिकल रहते हैं. इससे काफी मदद मुझे मिली है. मैंने भी काफी मेहनत की है. मुझे उसका रिजल्ट भी मिला है. ऐसी मेहनत आगे भी करता रहूंगा. देश को आगे भी गर्व महसूस कर रहा हूं. इसमें मुझे 3 साल लगे है.