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Kota Pocso Court ने DGP को दिए SP और DSP के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश

पोक्सो कोर्ट ने डीजीपी एमएल लाठर को कोटा डीएसपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया (Pocso Court directs Rajasthan DGP) है. कोर्ट ने नाबालिग के मामले में ठीक से कार्रवाई न करने पर नाराजगी जताई है.

Kota Pocso Court
DSP को चार्जशीट देने के आदेश
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Published : Sep 1, 2022, 8:07 AM IST

कोटा. शहर एसपी केसर सिंह शेखावत और पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा पर पोक्सो कोर्ट क्रम संख्या 4 के न्यायाधीश आरिफ मोहम्मद ने नाराजगी जताते हुए आदेश दिए हैं (Pocso Court directs Rajasthan DGP). पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस सेवा नियम 1958 और अन्य सेवा नियमों के खिलाफ चार्जशीट जारी कर विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाने के लिए निर्देशित किया है. वहीं एसपी सिटी और एडिशनल एसपी महिला अनुसंधान अपराध के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के लिए डीजीपी को निर्देशित किया है.

इस आदेश की प्रति महानिदेशक राजस्थान पुलिस एमएल लाठर को भेजी गई है, ताकि इन दोनों पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके (पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा पर पोक्सो कोर्ट). मामला नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने से जुड़ा हुआ है. इस पूरे प्रकरण की जांच भी जिले के बाहर स्वतंत्र निष्पक्ष ईमानदार पुलिस अधिकारी को देने के लिए निर्देशित किया है. वहीं पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस सेवा नियम 1958 और अन्य सेवा नियमों के खिलाफ चार्जशीट जारी कर विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाने का आदेश जारी किया गया है.

आदेश में मुकुल शर्मा को अगले 3 माह तक किसी भी प्रकार के अनुसंधान न करने और धारा 29 और 30 राजस्थान पुलिस अधिनियम 2007 के तहत पुलिस अकादमी या अन्य किसी सक्षम अकादमी से प्रशिक्षण दिलाने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि ये आदेश 23 अगस्त को दिए गए थे, जिनकी सत्यापित प्रति संबंधित वकील को 27 अगस्त को दी गई है. इसमें ये भी लिखा है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ डीजीपी एमएल लाठर कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं है, तो सक्षम अधिकारी के पास इस मामले की पालना में सुनिश्चित कार्रवाई के लिए भेजा जाए. साथ ही आदेश में अंकित निर्देशों की पालना 10 दिन के भीतर हो और इसमें लापरवाही बरती जाए.

पढ़ें-Accused Dies In Churu Jail: चूरू जिला जेल में पॉक्सो आरोपी की संदिग्ध मौत, तौलिए के फंदे में झूलता मिला शव

मामले के अनुसार नाबालिग के अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने के न्यायालय ने 18 जुलाई को एक आदेश देते हुए मुकदमे को पुलिस उप अधीक्षक चतुर्थ मुकुल शर्मा की जगह किसी अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से कराने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन 3 अगस्त 2022 को न्यायालय को मिली तथ्यात्मक रिपोर्ट के अनुसार मामले की जांच मुकुल शर्मा ही कर रहे हैं. इस पर न्यायालय ने नाराजगी जताई और कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने पर कोटा शहर पुलिस अधीक्षक को दस्तावेज सहित सूचना मांगी गई, लेकिन 16 अगस्त तक न्यायालय को इस संबंध अवगत नहीं कराया गया. इसके साथ ही मामले की केस डायरी भी मुकुल शर्मा के पास ही थी.

न्यायालय के आदेश पर एसपी ने गठित की थी जांच कमेटी: कोटा एसपी केसर सिंह शेखावत ने न्यायालय के आदेश के बावजूद मुकुल शर्मा के मामले में जांच कमेटी भी गठित कर दी. जिसकी जांच कोटा शहर के एडिशनल एसपी महिला अनुसंधान सेल को दे दी गई, जिन्होंने अपनी जांच में यह पाया कि मुकुल शर्मा के खिलाफ कोई लापरवाही नहीं की है और न्यायालय की अवमानना किया जाना भी स्पष्ट नहीं हुआ. न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा है कि DSP मुकुल शर्मा को न्यायालय ने अवमानना का दोषी मान लिया था, तब कोटा शहर एसपी ने किस आधार और कानूनी प्रावधान के तहत प्राथमिक जांच करवाई और उसके तथ्य न्यायालय में पेश किए.

कोटा. शहर एसपी केसर सिंह शेखावत और पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा पर पोक्सो कोर्ट क्रम संख्या 4 के न्यायाधीश आरिफ मोहम्मद ने नाराजगी जताते हुए आदेश दिए हैं (Pocso Court directs Rajasthan DGP). पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस सेवा नियम 1958 और अन्य सेवा नियमों के खिलाफ चार्जशीट जारी कर विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाने के लिए निर्देशित किया है. वहीं एसपी सिटी और एडिशनल एसपी महिला अनुसंधान अपराध के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के लिए डीजीपी को निर्देशित किया है.

इस आदेश की प्रति महानिदेशक राजस्थान पुलिस एमएल लाठर को भेजी गई है, ताकि इन दोनों पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके (पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा पर पोक्सो कोर्ट). मामला नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने से जुड़ा हुआ है. इस पूरे प्रकरण की जांच भी जिले के बाहर स्वतंत्र निष्पक्ष ईमानदार पुलिस अधिकारी को देने के लिए निर्देशित किया है. वहीं पुलिस उप अधीक्षक मुकुल शर्मा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस सेवा नियम 1958 और अन्य सेवा नियमों के खिलाफ चार्जशीट जारी कर विभागीय कार्रवाई भी अमल में लाने का आदेश जारी किया गया है.

आदेश में मुकुल शर्मा को अगले 3 माह तक किसी भी प्रकार के अनुसंधान न करने और धारा 29 और 30 राजस्थान पुलिस अधिनियम 2007 के तहत पुलिस अकादमी या अन्य किसी सक्षम अकादमी से प्रशिक्षण दिलाने के आदेश दिए गए हैं. हालांकि ये आदेश 23 अगस्त को दिए गए थे, जिनकी सत्यापित प्रति संबंधित वकील को 27 अगस्त को दी गई है. इसमें ये भी लिखा है कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ डीजीपी एमएल लाठर कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं है, तो सक्षम अधिकारी के पास इस मामले की पालना में सुनिश्चित कार्रवाई के लिए भेजा जाए. साथ ही आदेश में अंकित निर्देशों की पालना 10 दिन के भीतर हो और इसमें लापरवाही बरती जाए.

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मामले के अनुसार नाबालिग के अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने के न्यायालय ने 18 जुलाई को एक आदेश देते हुए मुकदमे को पुलिस उप अधीक्षक चतुर्थ मुकुल शर्मा की जगह किसी अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से कराने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन 3 अगस्त 2022 को न्यायालय को मिली तथ्यात्मक रिपोर्ट के अनुसार मामले की जांच मुकुल शर्मा ही कर रहे हैं. इस पर न्यायालय ने नाराजगी जताई और कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने पर कोटा शहर पुलिस अधीक्षक को दस्तावेज सहित सूचना मांगी गई, लेकिन 16 अगस्त तक न्यायालय को इस संबंध अवगत नहीं कराया गया. इसके साथ ही मामले की केस डायरी भी मुकुल शर्मा के पास ही थी.

न्यायालय के आदेश पर एसपी ने गठित की थी जांच कमेटी: कोटा एसपी केसर सिंह शेखावत ने न्यायालय के आदेश के बावजूद मुकुल शर्मा के मामले में जांच कमेटी भी गठित कर दी. जिसकी जांच कोटा शहर के एडिशनल एसपी महिला अनुसंधान सेल को दे दी गई, जिन्होंने अपनी जांच में यह पाया कि मुकुल शर्मा के खिलाफ कोई लापरवाही नहीं की है और न्यायालय की अवमानना किया जाना भी स्पष्ट नहीं हुआ. न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा है कि DSP मुकुल शर्मा को न्यायालय ने अवमानना का दोषी मान लिया था, तब कोटा शहर एसपी ने किस आधार और कानूनी प्रावधान के तहत प्राथमिक जांच करवाई और उसके तथ्य न्यायालय में पेश किए.

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