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कोटा उत्तर नगर निगम की बोर्ड बैठक 45 मिनट में हुई खत्म, बिना चर्चा के पारित हुआ बजट, भाजपा का फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार का आरोप

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Published : Feb 16, 2022, 5:36 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 9:14 PM IST

कोटा उत्तर नगर निगम की बजट बोर्ड बैठक 45 मिनट में खत्म हो गई. आज बैठक में भाजपा पार्षदों ने नगर निगम बोर्ड पर फिजूलखर्ची, भ्रष्टाचार और भेदभाव के आरोप लगाए और गले में तख्तियां लटकार कर विरोध प्रदर्शन (BJP protest in Kota North Nagar Nigam budget meeting) किया.

Kota North Nagar Nigam budget meeting 2022
कोटा उत्तर नगर निगम की बजट बोर्ड बैठक

कोटा. नगर निगम कोटा उत्तर की बोर्ड बजट बैठक (Kota North Nagar Nigam budget meeting 2022) बिना चर्चा के 45 मिनट में ही खत्म हो गई. सत्ता पक्ष ने पूर्व लिखित बजट भाषण को पढ़ा और इस पर चर्चा करवाने की जगह राष्ट्रगान से बैठक को समाप्त कर दिया गया.

भारतीय जनता पार्टी के पार्षद गले में तख्तियां डालकर पहुंचे थे. उन्होंने भेदभाव और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. ऐसे में 600 करोड़ रुपए का बजट बिना चर्चा के ही पास कर दिया गया. भाजपा पार्षदों ने नगर निगम बोर्ड पर फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. महापौर मंजू मेहरा का कहना है कि प्रतिपक्ष हमेशा ही भेदभाव का आरोप लगाता रहा है. जबकि एक भी भाजपा पार्षदों के काम नहीं अटकाए गए हैं. सभी के वार्डों में काम किए जा रहे हैं.

पढ़ें: कोटा उत्तर नगर निगम की बैठक में हंगामा, कांग्रेस की महिला पार्षद ने भाजपा की महिला पार्षद को मारा थप्पड़

मंत्री के जयकारे लगाने से नहीं होता काम: प्रतिपक्ष के पार्षद संतोष बैरवा का कहना है कि सत्ता पक्ष के पार्षद केवल यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के जयकारे लगा रहे थे. जयकारे लगाने से विकास कार्य नहीं होता है. वार्डो में बड़े स्तर पर भेदभाव किया जा रहा है. कांग्रेस पार्षदों के वार्डो में कार्य पूरे होने जा रहे हैं, वहीं भाजपा पार्षदों के वार्डो में न तो सफाई हो रही है, न ही वहां अन्य विकास कार्य चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा पार्षदों के माइक की आवाज भी कम कर दी गई, ताकि अगर मैं माइक पर कुछ बोलें, तो किसी को सुनाई नहीं दे.

निगम के बाद बिजली के बिल का ही बजट नहीं: वार्ड नंबर 29 से पार्षद कुसुम सैनी का कहना है कि नगर निगम के पास में सुलभ कॉम्प्लेक्स के बिजली कनेक्शन का बिल चुकाने का ही पैसा नहीं है. वहां का कनेक्शन काट दिया गया है. ऐसे में अंधेरा रहता है. मैं पूछना चाहती हूं कि सारा पैसा नगर निगम उत्तर ने सड़कें बनाने में खर्च कर दिया है? बिल का पैसा कहां से आएगा क्या बजट में उसके लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया? हमें बोलने ही नहीं दिया गयाश्. हमारे माइक को बंद कर दिया गया. निर्दलीय पार्षद बीरबल लोधा का कहना है कि मेरे वार्ड में अभी तक एक रुपए का कार्य भी नहीं शुरू हुआ. वार्ड की सड़कें सीवरेज के काम से खुदी हुई हैं. नगर निगम और यूआईटी ठीक नहीं कर पा रही हैं. सुनवाई भी नहीं होती है.

पढ़ें: विकास ने रोका विकास: CM की बजट घोषणा भी नहीं हो पा रही जमीन पर लागू, PWD का काम दूसरी एजेंसियों ने अटकाया

केवल बजट सुनने के लिए नहीं आए थे हम: भाजपा पार्षदों का कहना है कि हमें केवल बजट सुनने के लिए थोड़ी बुलाया था. कांग्रेस की नीति हमेशा रही है कि जनहित के मुद्दों को छोड़ देती है. उन्हें लोकतंत्र से कोई लेना देना नहीं है. उसकी भावनाओं का भी अनादर करते हैं. सदन में हमें दबाया जा रहा है. एक पक्षीय बजट पेश कर दिया है. पार्षद देवेंद्र शर्मा का कहना है कि उनके वार्ड में 8 गांव आते हैं. जिनमें विकास नहीं हुआ है. मेयर और आयुक्त से सर्वे करवाने के लिए कई बार कहा, लेकिन एक काम भी नहीं करवा रहे हैं. अर्जुनपुरा, झालीपुरा, दसलाना, मानपुरा, मंडानिया,छोटी व बड़ी बोरखेडी में कोई काम नहीं हुआ है.

पढ़ें: कोटा : उत्तर नगर निगम ने किया शोरूम सीज, विरोध में उतरे दुकानदार

पक्ष ने बात रखी, विपक्ष को नहीं बोलने दिया: उद्योग नगर इलाके के पार्षद दीपक नायक का कहना है कि तीन करोड़ का बजट पास हुआ था. केवल 20 लाख का काम ही वार्ड में हुआ है. बाकी बचा हुआ पैसा कहां गया, इस बारे में कोई बताना नहीं चाह रहा है. इसके अलावा आसपास के सभी वाडों में सीसी के काम हो गए हैं. लेकिन हमारे वार्ड में यह काम भी रुके हुए हैं. भेदभाव किया जा रहा है. स्टेशन इलाके के पार्षद लव शर्मा का कहना है कि जनता की आवाज बनकर हम यहां पर आए हैं, लेकिन जनता समस्या को लेकर भी आती है. उनके मुद्दों को उठाने के लिए हमें समय नहीं दिया जा रहा है. बजट बैठक में खानापूर्ति की गई. अपनी बात रखने और विपक्ष को बोलने का मौका ही नहीं दिया.

कोटा. नगर निगम कोटा उत्तर की बोर्ड बजट बैठक (Kota North Nagar Nigam budget meeting 2022) बिना चर्चा के 45 मिनट में ही खत्म हो गई. सत्ता पक्ष ने पूर्व लिखित बजट भाषण को पढ़ा और इस पर चर्चा करवाने की जगह राष्ट्रगान से बैठक को समाप्त कर दिया गया.

भारतीय जनता पार्टी के पार्षद गले में तख्तियां डालकर पहुंचे थे. उन्होंने भेदभाव और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. ऐसे में 600 करोड़ रुपए का बजट बिना चर्चा के ही पास कर दिया गया. भाजपा पार्षदों ने नगर निगम बोर्ड पर फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. महापौर मंजू मेहरा का कहना है कि प्रतिपक्ष हमेशा ही भेदभाव का आरोप लगाता रहा है. जबकि एक भी भाजपा पार्षदों के काम नहीं अटकाए गए हैं. सभी के वार्डों में काम किए जा रहे हैं.

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मंत्री के जयकारे लगाने से नहीं होता काम: प्रतिपक्ष के पार्षद संतोष बैरवा का कहना है कि सत्ता पक्ष के पार्षद केवल यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के जयकारे लगा रहे थे. जयकारे लगाने से विकास कार्य नहीं होता है. वार्डो में बड़े स्तर पर भेदभाव किया जा रहा है. कांग्रेस पार्षदों के वार्डो में कार्य पूरे होने जा रहे हैं, वहीं भाजपा पार्षदों के वार्डो में न तो सफाई हो रही है, न ही वहां अन्य विकास कार्य चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा पार्षदों के माइक की आवाज भी कम कर दी गई, ताकि अगर मैं माइक पर कुछ बोलें, तो किसी को सुनाई नहीं दे.

निगम के बाद बिजली के बिल का ही बजट नहीं: वार्ड नंबर 29 से पार्षद कुसुम सैनी का कहना है कि नगर निगम के पास में सुलभ कॉम्प्लेक्स के बिजली कनेक्शन का बिल चुकाने का ही पैसा नहीं है. वहां का कनेक्शन काट दिया गया है. ऐसे में अंधेरा रहता है. मैं पूछना चाहती हूं कि सारा पैसा नगर निगम उत्तर ने सड़कें बनाने में खर्च कर दिया है? बिल का पैसा कहां से आएगा क्या बजट में उसके लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया? हमें बोलने ही नहीं दिया गयाश्. हमारे माइक को बंद कर दिया गया. निर्दलीय पार्षद बीरबल लोधा का कहना है कि मेरे वार्ड में अभी तक एक रुपए का कार्य भी नहीं शुरू हुआ. वार्ड की सड़कें सीवरेज के काम से खुदी हुई हैं. नगर निगम और यूआईटी ठीक नहीं कर पा रही हैं. सुनवाई भी नहीं होती है.

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केवल बजट सुनने के लिए नहीं आए थे हम: भाजपा पार्षदों का कहना है कि हमें केवल बजट सुनने के लिए थोड़ी बुलाया था. कांग्रेस की नीति हमेशा रही है कि जनहित के मुद्दों को छोड़ देती है. उन्हें लोकतंत्र से कोई लेना देना नहीं है. उसकी भावनाओं का भी अनादर करते हैं. सदन में हमें दबाया जा रहा है. एक पक्षीय बजट पेश कर दिया है. पार्षद देवेंद्र शर्मा का कहना है कि उनके वार्ड में 8 गांव आते हैं. जिनमें विकास नहीं हुआ है. मेयर और आयुक्त से सर्वे करवाने के लिए कई बार कहा, लेकिन एक काम भी नहीं करवा रहे हैं. अर्जुनपुरा, झालीपुरा, दसलाना, मानपुरा, मंडानिया,छोटी व बड़ी बोरखेडी में कोई काम नहीं हुआ है.

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पक्ष ने बात रखी, विपक्ष को नहीं बोलने दिया: उद्योग नगर इलाके के पार्षद दीपक नायक का कहना है कि तीन करोड़ का बजट पास हुआ था. केवल 20 लाख का काम ही वार्ड में हुआ है. बाकी बचा हुआ पैसा कहां गया, इस बारे में कोई बताना नहीं चाह रहा है. इसके अलावा आसपास के सभी वाडों में सीसी के काम हो गए हैं. लेकिन हमारे वार्ड में यह काम भी रुके हुए हैं. भेदभाव किया जा रहा है. स्टेशन इलाके के पार्षद लव शर्मा का कहना है कि जनता की आवाज बनकर हम यहां पर आए हैं, लेकिन जनता समस्या को लेकर भी आती है. उनके मुद्दों को उठाने के लिए हमें समय नहीं दिया जा रहा है. बजट बैठक में खानापूर्ति की गई. अपनी बात रखने और विपक्ष को बोलने का मौका ही नहीं दिया.

Last Updated : Feb 16, 2022, 9:14 PM IST
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