कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने शुक्रवार देर रात जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा को 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. शनिवार को उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने जिला जज के समक्ष पेश किया. जहां से 26 अगस्त तक उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया (JK Loan hospital superintendent sent to jail ) है.
हालांकि एसीबी टीम ने खुलासा नहीं किया गया था कि यह रिश्वत की राशि कौन से बिल की एवज में किससे ली है. जेके लोन अस्पताल के सूत्रों से पता चला है कि यह राशि सिक्योरिटी और मेन पावर की कांट्रैक्ट फर्म से ली गई है. इस फर्म का सिक्योरिटी का कांट्रेक्ट 3 महीने पहले खत्म हो गया था. इसके बिलों का करीब 30 लाख रुपए बकाया था. एसीबी ने इस संबंध में जेके लोन अस्पताल से डॉक्यूमेंट भी मंगवाए हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के सीआई अजीत बागडोलिया ने बताया कि इस मामले में अन्य संलिप्त लोगों के बारे में भी पड़ताल की जाएगी. उन्होंने बताया कि आरोपी के जयपुर के मकान में कोई भी नहीं था. ऐसे में उसे सील कर दिया है. जबकि जयपुर के ही दूसरे मकान की तलाशी के बारे में अभी खुलासा नहीं हुआ है.
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संविदा कार्मिकों के संगठन के अध्यक्ष दिलीप सिंगोर का कहना है कि करीब 1600 से ज्यादा कार्मिक संविदा पर एमबीएस, जेकेलोन, नया अस्पताल, रामपुरा व सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में लगे हुए हैं. इनमें कार्मिकों की ईएसआई, पीएफ, बोनस, न्यूनतम मजदूरी, छुट्टी की कटौती, समय पर भुगतान नहीं होना सहित कई समस्याओं से जूझना पड़ता है. इस संबंध में अस्पताल अधीक्षकों को कई बार ज्ञापन और मिलकर शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती है. कई शिकायतें हमारी पेंडिंग रहती हैं.
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तिरंगे के साथ कलेक्ट्रेट और सचिवालय में लगें भ्रष्टाचारियों के पोस्टर-एमएलए भरत सिंह:विधायक भरत सिंह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं कि उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाए. रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने वाले व्यक्ति को दोबारा नौकरी पर नहीं रखा (MLA Bharat Singh on corrupt officials) जाए. साथ ही उन्होंने यह भी मांग की थी कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के पोस्टर प्रदेश की राजधानी में स्थित सचिवालय के अलावा जिला कलेक्ट्रेट और चौराहों पर भी लगाए जाएं.
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जेकेलोन अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा के पकड़े जाने के बाद उन्होंने फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उन्होंने इसमें लिखा है कि ऊंचे रसूख के चलते एक बार पद से हटाए जाने के बाद दोबारा डॉ. मीणा को अधीक्षक पद पर लगाया गया है. सिंह ने यह भी लिखा है कि एसीबी ने बड़ी संख्या में भ्रष्टाचारियों को पकड़ा है, लेकिन उनका एसीबी कुछ भी नहीं बिगाड़ पाई है. यह पूरी व्यवस्था भ्रष्ट लोगों को पनाह दे रही है. उन्होंने बिना नाम लिखे सरकार के एक मंत्री पर भी भ्रष्टाचार के आरोप दोबारा लगा दिए हैं.