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लोगों की जिंदगी से खेल रहा कोटा हार्ट इंस्टिट्यूट, फिर लगा गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप

कोटा हार्ट इंस्टिट्यूट के श्रीजी अस्पताल में शुक्रवार को लापरवाही का एक और मामला सामने आया है. कोरोना पीड़ित मरीज के परिजन ने आरोप लगाया है कि उनके पिता को भी रेमडेसिविर की जगह पानी का इंजेक्शन लगा दिया गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई.

Remdesivir injection black marketing,  Shreeji Hospital of Kota
फिर लगा गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप
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Published : May 21, 2021, 4:25 PM IST

कोटा. शहर के झालावाड़ रोड स्थित कोटा हार्ट इंस्टिट्यूट के श्रीजी अस्पताल की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. अस्पताल के प्रबंधक राकेश जिंदल, चिकित्सक डॉक्टर बीएल मीणा नर्सिंग कर्मचारी मनोज रेगर, राकेश रेगर, अस्पताल के अन्य निदेशकों, मैनेजर और नर्सिंग स्टाफ सुपरवाइजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. अब इसमें एक और पीड़ित सामने आया है.

फिर लगा गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप

पढ़ें- पानी का इंजेक्शन लगाने का मामला: पुलिस ने दर्ज किया गैर इरादतन हत्या का मुकदमा, मृतका का बेटा बोला- दोषियों को हो फांसी

पीड़ित का आरोप है कि अस्पताल में उसके पिता को भी नकली दवाई लगाई गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई. पीड़ित स्टेशन इलाके का रहने वाला है, जिसके पिता भी कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद इस अस्पताल में भर्ती थे.

स्टेशन इलाके में रहने वाले रिटायर रेलवे कार्मिक ओमप्रकाश जैन के पुत्र संजय जैन ने भी पिता की मौत के बाद अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि उनके पिता को भी पानी वाले इंजेक्शन लगाए गए और गलत दवाइयां दी गई. उन्होंने कहा कि इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है. जैन ने कहा कि जिस वार्ड में मनोज रेगर की ड्यूटी लगी थी, उसी वार्ड में उनके पिता भर्ती थे.

वार्ड के अंदर नहीं जाने दिया जाता था...

मृतक के बेटे का कहना है कि जब हम वहां पर वर्किंग स्टाफ से वार्ड में अंदर जाने के लिए बोलते थे, तो वे नहीं जाने देते थे. वार्ड कर्मचारी पानी पिलाने और खाना खिलाने को लेकर भी इनकार कर देते थे. वे कहते थे कि ऑक्सीजन मास्क नहीं हटा सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मृतक की बीपी की गोली भी बंद कर दी गई थी, जबकि वे लंबे समय से ले रहे थे.

लिक्विड इंजेक्शन मंगाने पर हुआ शक

संजय जैन ने कहा कि अस्पताल की ओर से उनके पिता के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन लाने को कहा गया, जिसपर उसके बेटे ने जायडस कंपनी का इंजेक्शन लाकर दिया. इसके बाद वार्ड स्टाफ ने उस इंजेक्शन को गलत बताते हुए लिक्विड फॉर्म वाला इंजेक्शन लाने को कहा. संजन जैन ने कहा कि इसके बाद जब हमने पता किया तो सामने आया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लिक्विड फॉर्म में नहीं आता है, जिसमें हमें धोखाधड़ी का शक हुआ.

कोटा. शहर के झालावाड़ रोड स्थित कोटा हार्ट इंस्टिट्यूट के श्रीजी अस्पताल की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. अस्पताल के प्रबंधक राकेश जिंदल, चिकित्सक डॉक्टर बीएल मीणा नर्सिंग कर्मचारी मनोज रेगर, राकेश रेगर, अस्पताल के अन्य निदेशकों, मैनेजर और नर्सिंग स्टाफ सुपरवाइजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. अब इसमें एक और पीड़ित सामने आया है.

फिर लगा गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप

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पीड़ित का आरोप है कि अस्पताल में उसके पिता को भी नकली दवाई लगाई गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई. पीड़ित स्टेशन इलाके का रहने वाला है, जिसके पिता भी कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद इस अस्पताल में भर्ती थे.

स्टेशन इलाके में रहने वाले रिटायर रेलवे कार्मिक ओमप्रकाश जैन के पुत्र संजय जैन ने भी पिता की मौत के बाद अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि उनके पिता को भी पानी वाले इंजेक्शन लगाए गए और गलत दवाइयां दी गई. उन्होंने कहा कि इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है. जैन ने कहा कि जिस वार्ड में मनोज रेगर की ड्यूटी लगी थी, उसी वार्ड में उनके पिता भर्ती थे.

वार्ड के अंदर नहीं जाने दिया जाता था...

मृतक के बेटे का कहना है कि जब हम वहां पर वर्किंग स्टाफ से वार्ड में अंदर जाने के लिए बोलते थे, तो वे नहीं जाने देते थे. वार्ड कर्मचारी पानी पिलाने और खाना खिलाने को लेकर भी इनकार कर देते थे. वे कहते थे कि ऑक्सीजन मास्क नहीं हटा सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मृतक की बीपी की गोली भी बंद कर दी गई थी, जबकि वे लंबे समय से ले रहे थे.

लिक्विड इंजेक्शन मंगाने पर हुआ शक

संजय जैन ने कहा कि अस्पताल की ओर से उनके पिता के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन लाने को कहा गया, जिसपर उसके बेटे ने जायडस कंपनी का इंजेक्शन लाकर दिया. इसके बाद वार्ड स्टाफ ने उस इंजेक्शन को गलत बताते हुए लिक्विड फॉर्म वाला इंजेक्शन लाने को कहा. संजन जैन ने कहा कि इसके बाद जब हमने पता किया तो सामने आया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लिक्विड फॉर्म में नहीं आता है, जिसमें हमें धोखाधड़ी का शक हुआ.

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