कोटा. दशहरा मेला परवान पर चढ़ने के साथ ही शनिवार को विजयश्री रंगमंच पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. इसमें 21 कवियों ने काव्य पाठ किया. सुबह तक श्रोता मंत्रमुग्ध होते रहे. कवि सम्मेलन का शुभारंभ डॉ. सरिता शर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ. उन्होंने अपनी चिर-परिचित सुरीली आवाज में सुर संधान तुम ही हो गीत विधान तुम ही हो सरस्वती वंदना का गान किया. वंदना के सुंदर भावों की सरिता से श्रोता भक्ति रस में डूब गए.
इसके बाद उज्जैन के राहुल शर्मा ने अपनी ओजस्वी आवाज में सुनाया अटल इरादों से भारत की भूमि को आबाद किया चांद सी यादों से सिंह हो की भूमि को आजाद किया कविता से सैनिक से राम तक की यात्रा कराई. उन्होंने भारत के चंद्रयान अभियान की निंदा करने वालों की जवाब दिया मेहनत से सोना उगले है याद रखो दुनिया वालों में नित्य पत्थर पिघला है याद रखो दुनिया वालों कविता तिवारी ने क्रांति वाली भाषा लिखने में ही हो समर्थ वान कलम कलम में भवानी की कसम है सुनाकर जोश भर दिया.
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जयपुर के केसर देव मारवाड़ी ने सुनाया लापसी से बढ़िया फूलों हो नहीं सकता खिचड़ी दलिया का कोई सप्लीमेंट हो नहीं सकता. अतुल कनक ने सुनाया कि फूल खुशबू रंग तितली उस चमन के वास्ते देवता बेचैन है उनकी उछल के वास्ते आओ यह शक्ल करें कि हिचकी चाय नहीं देनी पड़े जो जान इस वतन के वास्ते. कोटा के वरिष्ठ कवि जगदीश सोलंकी ने सुनाई की मां तेरी दुआ के दम से आंचल की हवा में दम से बर्फीली चट्टानों पर बारूद को उगाया है. सम्मेलन में एक के बाद एक कवियों ने शानदार काव्य पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और हास्य व्यंग्य कविताओं में श्रोता तालियां बजाते हुए भारत माता की जय कार्य लगाते हो रहे.