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कोटा में हड़ताल पर एंबुलेंस चालक, कोरोना मरीजों की बढ़ी मुश्किलें - difficult to take hospital

कोरोना संक्रमित मरीजों को घर से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए अधिग्रहित एंबुलेंस चालक और मालिक मंगलवार को हड़ताल पर चले गए. इससे कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल तक ले जाने की परेशानी खड़ी हो गई है.

Ambulance driver on strike, Corona patients found difficult to take to hospital
हड़ताल पर एंबुलेंस चालक, कोरोना मरीजों को अस्पताल तक ले जाना हुआ मुश्किल
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Published : Jul 21, 2020, 1:30 PM IST

कोटा. कोरोना संक्रमित मरीजों को घर से अस्पताल पहुंचाने के लिए अधिग्रहित एंबुलेंस चालकों और मालिकों ने मंगलवार को हड़ताल कर दी. हड़ताल के बाद अब कोरोनावायरस पॉजिटिव मरीजों को घरों से अस्पताल ले जाने की व्यवस्था भी फिलहाल ठप हो गई. ड्राइवर और एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि चार माह से भुगतान न किए जाने से घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.

हड़ताल पर एंबुलेंस चालक, कोरोना मरीजों को अस्पताल तक ले जाना हुआ मुश्किल

जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमित मरीजों को घर से अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस अधिग्रहित की हुईं हैं. आज सभी एंबुलेंस चालकों व मालिकों ने हड़ताल कर दी है. एंबुलेंस संचालकों ने आरोप लगाया है कि अप्रैल में एंबुलेंस अधिग्रहित की गई थी, जिसके बाद से आज तक उनको भुगतान नहीं किया गया है. इन लोगों का यह भी कहना है कि भुगतान नहीं होने के चलते ड्राइवर और एंबुलेंस मालिक के परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. हड़ताल के कारण कोरोना पॉजिटिव मरीजों को घरों से अस्पताल ले जाने की व्यवस्था भी डगमगा गई है.

जिला कलेक्टर और आला अधिकारियों से भी मिले...
एंबुलेंस संचालक श्याम नामा का कहना है कि वह इस भुगतान की मांग को लेकर जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ से लेकर कई आला अधिकारियों तक से मिल चुके हैं. उन्होंने पहले भी इस तरह की मांग उठाई थी और भुगतान करवाने का ज्ञापन दिया था. अप्रैल माह से ही उन्हें भुगतान नहीं मिला है. एंबुलेंस लोन पर भी ली हुई है, जिसकी किस्त भरने समेत अन्य खर्च भी हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: मरीजों में अभी भी कोरोना का डर, जयपुर में कोविड-19 सेंटर खाली, अस्पतालों तक में नहीं आ रहे पेशेंट

घर चलाना भी हुआ मुश्किल
एंबुलेंस चालकों का यह भी कहना है कि पहले वे ड्राइवरों को 500 रुपए सैलरी देते थे, लेकिन अब केवल 255 रुपए ही दिया जा रहा है जबकि ड्राइवर उनके परमानेंट हैं. ऐसे में उन्हें ज्यादा पैसे ही दिए जाएं. इसके अलावा गाड़ी मालिक को 200 रुपए ही मिलेंगे. यह भी काफी कम है क्योंकि इससे कई गुना ज्यादा हमारी गाड़ी की किस्त ही चली जाती है. साथ ही बीते 3 महीने से निजी तौर पर मरीजों को लाने और ले जाने का काम भी बंद है. इसके चलते आय भी नहीं हो रही है. अब तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: नर्सिंगकर्मियों की कमी से जूझ रहे राजस्थान के अस्‍पताल

करीब 10 लाख का भुगतान है बकाया
एंबुलेंस संचालकों का कहना है कि 6 अप्रैल को 22 एंबुलेंस जिला परिवहन अधिकारी ने अधिग्रहित की थी. इसके बाद से यह मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल और एमबीएस अस्पताल में लगी हुई थी। इसके बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई तो अधिकांश एंबुलेंस को हटा दिया गया. केवल 7 एंबुलेंस मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में और दो एंबुलेंस एमबीएस अस्पताल में लगाई हुई है, लेकिन भुगतान किसी का भी नहीं हुआ है। इन सभी एंबुलेंस के करीब 10 लाख रुपए बकाया हैं.

कोटा. कोरोना संक्रमित मरीजों को घर से अस्पताल पहुंचाने के लिए अधिग्रहित एंबुलेंस चालकों और मालिकों ने मंगलवार को हड़ताल कर दी. हड़ताल के बाद अब कोरोनावायरस पॉजिटिव मरीजों को घरों से अस्पताल ले जाने की व्यवस्था भी फिलहाल ठप हो गई. ड्राइवर और एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि चार माह से भुगतान न किए जाने से घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.

हड़ताल पर एंबुलेंस चालक, कोरोना मरीजों को अस्पताल तक ले जाना हुआ मुश्किल

जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमित मरीजों को घर से अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस अधिग्रहित की हुईं हैं. आज सभी एंबुलेंस चालकों व मालिकों ने हड़ताल कर दी है. एंबुलेंस संचालकों ने आरोप लगाया है कि अप्रैल में एंबुलेंस अधिग्रहित की गई थी, जिसके बाद से आज तक उनको भुगतान नहीं किया गया है. इन लोगों का यह भी कहना है कि भुगतान नहीं होने के चलते ड्राइवर और एंबुलेंस मालिक के परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. हड़ताल के कारण कोरोना पॉजिटिव मरीजों को घरों से अस्पताल ले जाने की व्यवस्था भी डगमगा गई है.

जिला कलेक्टर और आला अधिकारियों से भी मिले...
एंबुलेंस संचालक श्याम नामा का कहना है कि वह इस भुगतान की मांग को लेकर जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ से लेकर कई आला अधिकारियों तक से मिल चुके हैं. उन्होंने पहले भी इस तरह की मांग उठाई थी और भुगतान करवाने का ज्ञापन दिया था. अप्रैल माह से ही उन्हें भुगतान नहीं मिला है. एंबुलेंस लोन पर भी ली हुई है, जिसकी किस्त भरने समेत अन्य खर्च भी हो रहे हैं.

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घर चलाना भी हुआ मुश्किल
एंबुलेंस चालकों का यह भी कहना है कि पहले वे ड्राइवरों को 500 रुपए सैलरी देते थे, लेकिन अब केवल 255 रुपए ही दिया जा रहा है जबकि ड्राइवर उनके परमानेंट हैं. ऐसे में उन्हें ज्यादा पैसे ही दिए जाएं. इसके अलावा गाड़ी मालिक को 200 रुपए ही मिलेंगे. यह भी काफी कम है क्योंकि इससे कई गुना ज्यादा हमारी गाड़ी की किस्त ही चली जाती है. साथ ही बीते 3 महीने से निजी तौर पर मरीजों को लाने और ले जाने का काम भी बंद है. इसके चलते आय भी नहीं हो रही है. अब तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.

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करीब 10 लाख का भुगतान है बकाया
एंबुलेंस संचालकों का कहना है कि 6 अप्रैल को 22 एंबुलेंस जिला परिवहन अधिकारी ने अधिग्रहित की थी. इसके बाद से यह मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल और एमबीएस अस्पताल में लगी हुई थी। इसके बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हुई तो अधिकांश एंबुलेंस को हटा दिया गया. केवल 7 एंबुलेंस मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में और दो एंबुलेंस एमबीएस अस्पताल में लगाई हुई है, लेकिन भुगतान किसी का भी नहीं हुआ है। इन सभी एंबुलेंस के करीब 10 लाख रुपए बकाया हैं.

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