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कोटा एसीबी: रिश्वत मांगने के 3 अलग -अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज

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Published : Jan 4, 2021, 4:52 PM IST

कोटा एसीबी ने तीन अलग-अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ रिश्वत मांगने का मुकदमा दर्ज किया है. दर्ज किए मामलों में बूंदी जिले के केशवरायपाटन एसबीआई बैंक के कार्मिक, कोटा शहर के विज्ञान नगर व बारां जिले के अंता थाने के हैं. इनमें एसएचओ, एसआई, एएसआई, हेड कांस्टेबल, दो वकील और संविदा बैंक कार्मिक शामिल हैं.

FIR in Kota bribery case, Kota bribery cases
रिश्वत मांगने के 3 अलग -अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज

कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने तीन अलग-अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ रिश्वत मांगने का मुकदमा दर्ज किया है. इनमें एक मामला कोटा शहर के विज्ञान नगर थाने का है, दूसरा बारां जिले के अंता आने का है और तीसरा बूंदी जिले के केशवरायपाटन एसबीआई बैंक का है. इस मामले में एक एसएचओ, एसआई, एएसआई, हेड कांस्टेबल, दो वकील और संविदा बैंक कार्मिक एसीबी के हत्थे आए हैं.

रिश्वत मांगने के 3 अलग -अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज

इन आरोपियों के खिलाफ एसीबी मुख्यालय ने मुकदमा दर्ज किया है. तीनों मामलों में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने परिवादी की शिकायत पर रिश्वत मांग का सत्यापन कराया था. जिसमें सत्यापन हो गया था, लेकिन ट्रैप नहीं हो पाया. ऐसे में सत्यापन के आधार पर ही मुकदमे दर्ज किए गए हैं.

जमीन से कब्जा छुड़ाने के एवज में मांगी थी 50 हजार की रिश्वत

पहला मामला बारां जिले के अंता का है. यहां पर परिवादी महेंद्र कुमार व सह परिवादी रविशंकर ने 2 नवंबर 2019 को एसीबी को शिकायत दी थी कि पलायथा में उसके पास 2 बीघा जमीन है, जो उसने बालमुकुंद से खरीदी थी. जिसमें चचेरे भाइयों ने उक्त जमीन पर कब्जा किया हुआ है और फसल भी की हुई है. साथ ही मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी जा रही है. इस संबंध में उसने अंता थाने में संपर्क किया, जहां पर कांस्टेबल रवि विश्नोई ने रवि शंकर को अलग से बुलाकर कहा कि सीआई उमेश मेनारिया ने 50 हजार रुपए की मांग जमीन से कब्जा छुड़ाने की एवज में की है.

पढ़ें- जयपुरः Online लोन दिलाने के नाम पर 1.40 लाख रुपये की ठगी

इसके लिए एसीबी कोटा की टीम ने 4 बार ट्रैप का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए. क्योंकि आरोपी काफी शातिर थे और पुलिस में होने के चलते रिश्वत की राशि लेकर अलग-अलग स्थानों पर बुलाने लगे, जिससे ट्रैप संभव नहीं हो सका. इस मामले में आरोपी अंता थाना अधिकारी उमेश मेनारिया, कांस्टेबल रवि बिश्नोई, वकील भगवान दाधीच के बीच रिश्वत मांग का सत्यापन हो गया था. साथ ही 9 नवंबर को भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित चल रहे सहायक उप निरीक्षक बृज बिहारी से भी रिश्वत के संबंध में परिवादी रविशंकर की वार्ता हुई है. ऐसे में चारों के खिलाफ एसीबी ने प्रकरण दर्ज कर लिया है.

केसीसी लोन के लिए मांगे 40 हजार, 20 हजार ले भी लिए

दूसरे प्रकरण में केशवरायपाटन के केशव नगर निवासी परिवादी गुलाबचंद ने 7 सितंबर 2020 को एसीबी को एक परिवाद पेश किया था. जिसमें बताया था कि उसके पिता की मौत हो जाने के बाद केसीसी लोन का ब्याज व मूल राशि जमा नहीं कराने के चलते उनका केसीसी खाता डिफाल्टर हो गया है. इस मामले में मैनेजर से मिले तो उन्होंने बैंक कर्मी अमित मीणा से मिलने के लिए कहा. इस मामले में 40 हजार की रिश्वत की मांग की गई. जिसमें से 20 हजार उसने अमित मीणा को दे भी दिए थे. साथ ही 20 हजार के लिए बार-बार फोन कर रहा था.

परिवादी की ओर से पेश किए गए परिवाद के अनुसार इस मामले में बैंक खाते की डायरी, परिवादी के व उसके भाई मोतीलाल नो-ड्यूज उसने अपने पास रखे थे. इस मामले में भी परिवादी और आरोपी अमित कुमार मीणा के खिलाफ लेनदेन की वार्ताओं में रिश्वत की मांग की पुष्टि हो रही है. हालांकि शातिर होने के चलते अमित कुमार ने रिश्वत नहीं ली. ऐसे में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

मुकदमे में एफआर लगाने के नाम पर मांगी रिश्वत

तीसरे मामले में परिवादी पूजा राठौड़ और सह परिवादी सुमित श्रीवास्तव ने 18 जनवरी 2019 को एसीबी दफ्तर में एक परिवाद दिया था. उसके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज है, जिसमें एफआर लगाने और सह परिवादी का नाम केस से निकालने के लिए 2 लाख रुपए की मांग सब इंस्पेक्टर हजारीलाल ने की. इसमें सौदा डेढ़ लाख में तय हुआ. साथ ही एक अन्य आरोपी हेड कांस्टेबल ने भी इसमें मोबाइल की मांग की.

इस पूरे प्रकरण के सत्यापन के दौरान वकील बाबूलाल और अन्य सभी की बातचीत भी हुई है. ऐसे में 3 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. वहीं इस मामले में एसीबी के राडार पर विज्ञान नगर के तत्कालीन थाना अधिकारी नीरज गुप्ता और एएसआई लक्ष्मीनारायण भी हैं. ऐसे में दोनों की भूमिका को संदिग्ध माना है.

कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने तीन अलग-अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ रिश्वत मांगने का मुकदमा दर्ज किया है. इनमें एक मामला कोटा शहर के विज्ञान नगर थाने का है, दूसरा बारां जिले के अंता आने का है और तीसरा बूंदी जिले के केशवरायपाटन एसबीआई बैंक का है. इस मामले में एक एसएचओ, एसआई, एएसआई, हेड कांस्टेबल, दो वकील और संविदा बैंक कार्मिक एसीबी के हत्थे आए हैं.

रिश्वत मांगने के 3 अलग -अलग मामलों में 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज

इन आरोपियों के खिलाफ एसीबी मुख्यालय ने मुकदमा दर्ज किया है. तीनों मामलों में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने परिवादी की शिकायत पर रिश्वत मांग का सत्यापन कराया था. जिसमें सत्यापन हो गया था, लेकिन ट्रैप नहीं हो पाया. ऐसे में सत्यापन के आधार पर ही मुकदमे दर्ज किए गए हैं.

जमीन से कब्जा छुड़ाने के एवज में मांगी थी 50 हजार की रिश्वत

पहला मामला बारां जिले के अंता का है. यहां पर परिवादी महेंद्र कुमार व सह परिवादी रविशंकर ने 2 नवंबर 2019 को एसीबी को शिकायत दी थी कि पलायथा में उसके पास 2 बीघा जमीन है, जो उसने बालमुकुंद से खरीदी थी. जिसमें चचेरे भाइयों ने उक्त जमीन पर कब्जा किया हुआ है और फसल भी की हुई है. साथ ही मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी जा रही है. इस संबंध में उसने अंता थाने में संपर्क किया, जहां पर कांस्टेबल रवि विश्नोई ने रवि शंकर को अलग से बुलाकर कहा कि सीआई उमेश मेनारिया ने 50 हजार रुपए की मांग जमीन से कब्जा छुड़ाने की एवज में की है.

पढ़ें- जयपुरः Online लोन दिलाने के नाम पर 1.40 लाख रुपये की ठगी

इसके लिए एसीबी कोटा की टीम ने 4 बार ट्रैप का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए. क्योंकि आरोपी काफी शातिर थे और पुलिस में होने के चलते रिश्वत की राशि लेकर अलग-अलग स्थानों पर बुलाने लगे, जिससे ट्रैप संभव नहीं हो सका. इस मामले में आरोपी अंता थाना अधिकारी उमेश मेनारिया, कांस्टेबल रवि बिश्नोई, वकील भगवान दाधीच के बीच रिश्वत मांग का सत्यापन हो गया था. साथ ही 9 नवंबर को भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित चल रहे सहायक उप निरीक्षक बृज बिहारी से भी रिश्वत के संबंध में परिवादी रविशंकर की वार्ता हुई है. ऐसे में चारों के खिलाफ एसीबी ने प्रकरण दर्ज कर लिया है.

केसीसी लोन के लिए मांगे 40 हजार, 20 हजार ले भी लिए

दूसरे प्रकरण में केशवरायपाटन के केशव नगर निवासी परिवादी गुलाबचंद ने 7 सितंबर 2020 को एसीबी को एक परिवाद पेश किया था. जिसमें बताया था कि उसके पिता की मौत हो जाने के बाद केसीसी लोन का ब्याज व मूल राशि जमा नहीं कराने के चलते उनका केसीसी खाता डिफाल्टर हो गया है. इस मामले में मैनेजर से मिले तो उन्होंने बैंक कर्मी अमित मीणा से मिलने के लिए कहा. इस मामले में 40 हजार की रिश्वत की मांग की गई. जिसमें से 20 हजार उसने अमित मीणा को दे भी दिए थे. साथ ही 20 हजार के लिए बार-बार फोन कर रहा था.

परिवादी की ओर से पेश किए गए परिवाद के अनुसार इस मामले में बैंक खाते की डायरी, परिवादी के व उसके भाई मोतीलाल नो-ड्यूज उसने अपने पास रखे थे. इस मामले में भी परिवादी और आरोपी अमित कुमार मीणा के खिलाफ लेनदेन की वार्ताओं में रिश्वत की मांग की पुष्टि हो रही है. हालांकि शातिर होने के चलते अमित कुमार ने रिश्वत नहीं ली. ऐसे में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

मुकदमे में एफआर लगाने के नाम पर मांगी रिश्वत

तीसरे मामले में परिवादी पूजा राठौड़ और सह परिवादी सुमित श्रीवास्तव ने 18 जनवरी 2019 को एसीबी दफ्तर में एक परिवाद दिया था. उसके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज है, जिसमें एफआर लगाने और सह परिवादी का नाम केस से निकालने के लिए 2 लाख रुपए की मांग सब इंस्पेक्टर हजारीलाल ने की. इसमें सौदा डेढ़ लाख में तय हुआ. साथ ही एक अन्य आरोपी हेड कांस्टेबल ने भी इसमें मोबाइल की मांग की.

इस पूरे प्रकरण के सत्यापन के दौरान वकील बाबूलाल और अन्य सभी की बातचीत भी हुई है. ऐसे में 3 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. वहीं इस मामले में एसीबी के राडार पर विज्ञान नगर के तत्कालीन थाना अधिकारी नीरज गुप्ता और एएसआई लक्ष्मीनारायण भी हैं. ऐसे में दोनों की भूमिका को संदिग्ध माना है.

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