कोटा: रेलवे कार्मिक देशबंधु पांडे केबीसी में प्रतिभागी रहे हैं और उन्होंने अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठकर 3 लाख 20 हजार रुपए की राशि जीती है. परिवार इस से काफी खुश है, लेकिन उन्हें यह भी मलाल है कि देशबंधु के पास एक लाइफ लाइन बची हुई थी. अगर वे उसका उपयोग करते तो ज्यादा राशि जीत सकते थे. जीत से ज्यादा वो बिग बी से मिलना और केबीसी में पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि मानते हैं.
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तो एक्टिंग करेंगे देशबंधु!
देशबंधु का कहना है कि उन्हें फिल्मों में भी अमिताभ बच्चन ने एक रोल देने का वादा किया है. परिवार में देशबंधु के तीन बच्चे हैं. सबसे बड़ा बेटा उत्कर्ष इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेन की तैयारी कर रहा है. वही एक बेटी खुशी 11वीं और दूसरी मुस्कान कक्षा 9 में पढ़ रही है. उनकी पत्नी नीतू देवी गृहणी है.
'पांडे जी मन की करते हैं'
देशबंधु पांडे रेलवे स्टेशन स्थित पूनम कॉलोनी के प्रताप टाउनशिप में अपने परिवार के साथ रहते हैं. भले ही वो शो पर पूरी राशि अपनी श्रीमती जी को देने की बात कह रहे हैं लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है! देशबंधु की पत्नी नीतू देवी कहती हैं- ये अपने मन की करेंगे. इनकी 20 साल की तपस्या सार्थक हुई है.
DRM ऑफिस में तैनात पांडे जी बिहार से हैं
केबीसी (KBC ) में जाने की तैयारी डीआरएम ऑफिस में ही ऑफिस सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं. देशबंधु पांडे मूलत बिहार के पटना के नजदीक फतुहा कस्बे के दरियापुर के रहने वाले हैं. देशबंधु खुद कहते हैं कि वे केबीसी में जाने के लिए अपनी शादी के 4 साल बाद यानी 2000 से ही लगातार कोशिश कर रहे थे.
कई दिनों से कर रहे थे ट्राई
वह इसके लिए पहले काफी फोन के जरिए भी ट्राई करते थे. उसके बाद जब मैसेज से उत्तर देना होता था, तो उन्होंने सैकड़ों मैसेज केबीसी में सिलेक्ट होने के लिए दिए हैं. हालांकि उनका चयन तब नहीं हो पाया. लगातार उनकी कोशिश जारी थी.
उनका यह भी कहना है कि उन्होंने जितनी पढ़ाई नौकरी पाने के लिए की है, उतनी ही पढ़ाई केबीसी में सिलेक्ट होने के लिए की है. इसमें अखबार, टीवी, वेबसाइट और अन्य मीडिया के माध्यम से वे लगातार जुड़े रहे ताकि उनकी नॉलेज लगातार बढ़ता रहे.
बचपन से किया संघर्ष, 100 परीक्षा के बाद लगी नौकरी
देशबंधु पांडे बताते हैं कि उन्होंने हर चीज लंबे संघर्ष और कड़ी मेहनत से हासिल की है. बचपन से ही पढ़ने लिखने का काफी शौक था और परिवार सामान्य ही था ऐसे में शुरू से ही संघर्ष रहा. 14 साल की उम्र में ही देशबंधु पांडे की शादी हो गई थी, लेकिन उन्होंने संघर्ष करना नहीं छोड़ा. पहले निजी स्कूल में उन्होंने पढ़ाया और बच्चों को घर पर भी ट्यूशन रहकर परिवार चलाते थे. लगातार सरकारी नौकरी के लिए भी वे कोशिश करते रहे और 100 से ज्यादा attempt दिए. इसी के चलते उनके गांव में उन्हें "अब तक 56" नाम ग्रामीणों ने दे दिया था. लगातार संघर्ष के चलते ही उनकी जीत हुई और वर्ष 2009 में उन्हें रेलवे में नौकरी मिली.
बेटी बोली: पूरा एरिया कहता है केबीसी वाले बंधुजी
देशबंधु की बेटी खुशी कहती है कि अब जब भी वह अपने पिता के साथ बाजार या कोई काम के लिए घर से बाहर जाती है तो उन्हें सब लोग केबीसी वाले देशबंधु कहते हैं. यहां तक कि जो लोग उन्हें जानते भी नहीं थे वो भी अब उन्हें पहचानने लगे हैं और उनसे बात भी करते हैं. साथ ही छोटी बेटी मुस्कान ने कहा कि रात से ही उनके सभी रिश्तेदारों और परिचितों के फोन आ रहे हैं और वे सभी लोग बधाई दे रहे हैं. उनके बेटे उत्कर्ष का कहना है कि पिता के लाइफ लाइन नहीं लेने का मलाल है. पहले जो खुशी हो रही थी वह शो देखने के बाद कम हो गई है.