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Special : कोटा के स्टार्टअप ने देश में खड़ा किया सबसे बड़ा फार्मेसी नेटवर्क, 40 हजार से ज्यादा केमिस्ट को किया Digital

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Published : Jun 24, 2022, 7:30 PM IST

Updated : Jun 25, 2022, 9:02 AM IST

पीएम नरेंद्र मोदी के नारे 'वोकल फॉर लोकल' और 'डिजिटल इंडिया मुहिम' का असर कोटा से शुरू हुए (Kota Digital India Campaign) स्टार्टअप मेडकॉर्डस में नजर आता है. इस स्टार्टअप के जरिए 40 हजार से ज्यादा केमिस्ट को तकनीक की मदद से एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है. तीन लोगों की ओर से शुरू किए गए इस स्टार्टअप की पहुंच 17 राज्यों तक बनी है.

Startups in Kota
कोटा में फार्मेसी नेटवर्क

कोटा. राजस्थान के कोटा से शुरू हुए स्टार्टअप मेडकॉर्डस ने देश भर में सबसे बड़ा फार्मेसी नेटवर्क खड़ा किया है. पीएम नरेंद्र मोदी के नारे 'वोकल फॉर लोकल' और डिजिटल इंडिया मुहिम को सहयोग करते हुए इस स्टार्टअप ने 40 हजार से ज्यादा (India Largest Pharmacy Network in Kota) केमिस्ट को तकनीक की मदद से एक प्लेटफॉर्म पर ला दिया है. इसमें उन्हें केवल दो साल लगे हैं, जबकि अन्य ऑनलाइन फार्मेसी नेटवर्क में इतने मेडिकल स्टोर नहीं जुड़े हैं.

स्टार्टअप मेडकॉर्डस व आयु ऐप के को फाउंडर निखिल बाहेती का कहना है कि इस प्लेटफार्म के जरिए (Online Pharmacy Distribution Network) हर महीने 4 से 5 लाख के ऑर्डर डिलीवरी कर रहे हैं. इनमें से 80 फीसदी डिलीवरी 2 घंटे के पहले हो जाती है. इसके लिए 'आयु' हमारा नेशनल वाइड ऐप है. जबकि 'आयु केमिस्ट' ऐप अलग है. वहीं, केमिस्ट एप को डिस्ट्रीब्यूटर से भी जोड़ दिया है. औसत ऑर्डर की राशि 400 रुपए के आसपास बैठ रही है. ऐसे में ऐप के जरिए मासिक 15 से 20 करोड़ के ट्रांजेक्शन हो रहे हैं, तो वहीं करीब 200 करोड़ सालाना ट्रांजेक्शन हो रहे हैं.

क्या कहते हैं जानकार...

स्टार्टअप के को-फाउंडर श्रेयांश मेहता का कहना है कि भारत में अभी तक कोई भी डिजिटल टूल केमिस्ट के लिए मौजूद नहीं है. जिससे वह अपने कस्टमर को मैनेज कर सके. यहीं सोचकर इस प्रोजेक्ट को लेकर आए थे. उन्होंने कहा कि भारत के 17 स्टेट तक इसको लेकर पहुंच गए हैं. जहां पर 40 हजार से ज्यादा केमिस्ट से जुड़ गए हैं, आगे भी हमारा लक्ष्य है कि इससे और केमिस्ट को जोड़ा जाए. जिन राज्यों में हमारी पहुंच कम है, वहां पर पहुंच बढ़ाई जाए. करीब एक लाख मेडिकल स्टोर को अगले 2 से 3 सालों में जोड़ने की योजना है.

केमिस्ट को दिया है टेक्नॉलॉजी से प्लेटफार्मः 'आयु' ऐप के को फाउंडर श्रेयांश मेहता का कहना है कि अपने दोस्त निखिल बाहेती और सायदा धनावद के साथ मिलकर मेडकॉर्डस स्टार्टअप शुरू किया था. इसके बाद 2020 में 'आयु' ऐप शुरू किया. उन्होंने बताया कि बड़ी ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों से इनका बिजनेस बिल्कुल अलग है. हम केमिस्ट के जरिए दवा पहुंचा रहे हैं. जबकि ऑनलाइन फार्मेसी की कंपनियां दवा खुद बेच रही हैं. उन्होंने बड़े वेयरहाउस इसके लिए बनाए हुए हैं. हम दवा रखना, बेचना और खरीदने का काम नहीं करते हैं. यह काम केमिस्ट के जरिए हमारे प्लेटफार्म से होता है. हमने केमिस्ट को टेक्नोलॉजी का प्लेटफार्म दिया है, ताकि वह कंजूमर से जुड़ सकें और कंजूमर भी उससे जुड़ सके.

कंज्यूमर से केमिस्ट और केमिस्ट को डिस्ट्रीब्यूटर से जोड़ाः निखिल बाहेती का कहना है कि हमारे कई केमिस्ट ने सलाह दी थी कि उन्हें दवा का ऑर्डर करने में भी काफी समय लग जाता है. फोन पर लिखवाना पड़ता है. जिसमें अलग-अलग दवा सप्लाई कंपनियों को सैकड़ों दवाइयों का ऑर्डर (Chemist Home Delivery Kota City) लिखना पड़ता है, इसमें घंटों खराब हो जाते हैं. उन्होंने इसके लिए भी कोई ऑनलाइन सिस्टम के लिए कहा था. इसके बाद हमने अपने डिस्ट्रीब्यूटर के लिए भी सुविधा की है. उन्हें भी इस एप से जोड़ दिया गया है, जिसके जरिए कई केमिस्ट ऑर्डर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसे 3 महीने हुए हैं और करीब 6,000 से ज्यादा ऑर्डर हर माह हो रहे हैं. इसमें हर महीने 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है.

Digital Chemist in Kota
40 हजार से ज्यादा केमिस्ट को किया डिजिटल

नेटवर्क भी 800 से ज्यादा शहरों तक पहुंचाः निखिल बाहेती ने बताया कि ऑनलाइन फार्मेसी वाली कंपनियां बड़े शहरों में भी 1 दिन में दवा उपलब्ध करा रही हैं. जबकि छोटे शहरों में करीब 24 से 48 घंटे में दवा उपलब्ध हो पाती है, जबकि हमारे साथ ऐसा नहीं है. हमने स्थानीय मेडिकल को ही जोड़ा हुआ है. जिससे वह कुछ ही घंटों में दवा पहुंचा देता है, यहां तक कि उसके जरिए दी जाने वाली दवा रिलाएबल भी होती है. अधिकांश मेडिकल स्टोर तो वह होते हैं, जो कि ऑर्डर कर रहे व्यक्ति के 1 से 2 किलोमीटर के दायरे में ही आते हैं.

उन्होंने बताया कि ऑनलाइन फार्मेसी की सप्लाई में दवा दूर से आती है. जबकि हमारा नेटवर्क बड़े शहरों के अलावा 800 से 900 छोटे शहरों तक भी है. यहां तक कि हमने छोटे कस्बों में भी अपना नेटवर्क शुरू किया है. राज्यों की बात की जाए तो राजस्थान में 15000, यूपी के 7000, एमपी 3500, बिहार व दिल्ली एनसीआर में 2500-2500 केमिस्ट जुड़े हैं. इसके अलावा गुजरात, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में पहुंच हुई है.

रिचर्स के बाद शुरू किया, चंद मिनट में केमिस्ट को करते है डिजिटलः निखिल बाहेती का कहना है कि हमने स्टार्टअप शुरू करने के पहले 800 से ज्यादा गांव में रिसर्च की थी. हमने पाया कि हेल्थ केयर टूटा हुआ है. टेक्नॉलोजी से हेल्थ केयर की क्वालिटी, कन्वीनियंस और स्पीड बढ़ सकती है. इसीलिए हमने 'आयु' ऐप की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि हमने आयु केमिस्ट ऐप फार्मेसी शॉप संचालकों के लिए बनवाया है. इसके जरिए केमिस्ट को 1 मिनट में डिजिटल कर देते हैं. जिससे वह अपने कस्टमर से डिजिटल तरीके से जुड़ जाते हैं. वे उनका पूरा बिजनेस एक जगह पर आसानी से मैनेज कर सकते हैं. इसमें कस्टमर से ऑर्डर लेने से लेकर डिलीवरी ट्रैप करते है. यहां तक कि वे डिस्ट्रीब्यूटर से दवा मंगा सकते हैं.

हमने 'लोकल फॉर वोकल' के लिए काम कियाः स्टार्टअप के को-फाउंडर मेहता का कहना है कि ऑनलाइन फार्मेसी में केमिस्ट से दूर बिजनेस ले जाया जा रहा है. जहां पर कंपनी और कस्टमर सीधा जुड़ा हुआ है. जबकि भारत बीते 70 साल से केमिस्ट नेटवर्क से हेल्थ केयर में काफी जुड़ा हुआ है. इस नेटवर्क में बीते 30 सालों से लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऑनलाइन फार्मेसी में ट्रस्ट ग्राहक को कम होता है, जबकि स्थानीय केमिस्ट पर ट्रस्ट बना हुआ है. यह लोग रूल एंड रेगुलेशन की पालना भी करते हैं. क्योंकि सरकारी एजेंसियां इन पर निगरानी रखती हैं. ऑनलाइन फार्मेसी में ऐसा कम ही देखने को मिलता है.

पढ़ें : SPECIAL: कोटा मेडिकल कॉलेज CT Scan से भी करेगी कोरोना जांच, सप्लीमेंट्री टेस्ट के रूप में लेगा काम

ऑनलाइन फार्मेसी हमारे बिजनेस को खत्म कर रहीः विज्ञान नगर के केमिस्ट जितेंद्र कुमार नागर का कहना है कि दवा हमारे पास अगर उपलब्ध है, तो हम तुरंत डिलीवरी कर देते हैं. करीब 30 मिनट में दवा को पहुंचा दिया जाता है, क्योंकि ज्यादातर ऑर्डर आसपास के इलाके से ही आते हैं. ज्यादा राशि का ऑर्डर होने पर ही दूर की दवा डिलीवर्ड की जाती है. लेकिन स्टोर पर दवा उपलब्ध नहीं है, तो इसमें समय भी लग जाता है. हम पहले उस दवा को अपने मेडिकल स्टोर पर मंगाते हैं और उसके बाद कस्टमर तक पहुंचा देते हैं. इसमें कुछ घंटे का समय लग जाता है. ऑनलाइन फार्मेसी की कंपनियां कस्टमर तक खुद अपने पास से मेडिसिन पहुंचा रही हैं. लेकिन हमारे पास से मेडिसिन हम ही पहुंचा रहे हैं. उसमें रिटेल का कोई रोल ही नहीं है, वे हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचा रही हैं.

दवा उपलब्ध तो समय से डिलीवरीः संतोषी नगर के मेडिकल स्टोर संचालक अमरीश गुप्ता का कहना है कि ऑर्डर हम इसके जरिए करते हैं. दूसरे दिन हमें सप्लाई मिल जाता है. रोज करीब 15 से 20 कस्टमर के ऑर्डर इस ऐप के जरिए (Rajasthan Kota Medicos APP) आ रहे हैं, दवा उपलब्ध होने पर एक से डेढ़ घंटे में सप्लाई कर देते हैं. शुरुआती तौर पर इस ऐप के जरिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हमने धीरे-धीरे इसमें सुधार की बात कही. जिन्हें कंपनी ने किया भी है. इसके बाद अब अच्छे ऑर्डर आने लगे हैं .

ऐप के जरिए वेबसाइट पर मेडिकल स्टोर भी डिजिटलः पंकज जैन का कहना है कि कस्टमर को भी बेनिफिट हो रहा है कि डॉक्टर ने जो प्रिसक्राइब कर दी है. वह दवा उसको घर पर मिल रही है. उसे फ्यूल व समय खर्च नहीं करना पड़ रहा है. कस्टमर दूसरी लोकेशन पर भी दवा डिलीवर्ड करवा सकते हैं, यानी वे ऑफिस या शहर के बाहर हैं, तो भी घर पर दवा पहुंच जाती है. पहले की अपेक्षा थोड़ी सेल भी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि इस ऐप के जरिए वेबसाइट पर उनके मेडिकल स्टोर और उपलब्ध दवाओं की जानकारी भी डिजिटल हो गई है. इसके जरिए उनके खुद के मेडिकल स्टोर की वेबसाइट बन गई है. यहां तक कि वह डिजिटल विजिटिंग कार्ड और सोशल मीडिया पर खुद की फार्मेसी शॉप का प्रमोशन करने का जरिया भी मिला है.

कोटा. राजस्थान के कोटा से शुरू हुए स्टार्टअप मेडकॉर्डस ने देश भर में सबसे बड़ा फार्मेसी नेटवर्क खड़ा किया है. पीएम नरेंद्र मोदी के नारे 'वोकल फॉर लोकल' और डिजिटल इंडिया मुहिम को सहयोग करते हुए इस स्टार्टअप ने 40 हजार से ज्यादा (India Largest Pharmacy Network in Kota) केमिस्ट को तकनीक की मदद से एक प्लेटफॉर्म पर ला दिया है. इसमें उन्हें केवल दो साल लगे हैं, जबकि अन्य ऑनलाइन फार्मेसी नेटवर्क में इतने मेडिकल स्टोर नहीं जुड़े हैं.

स्टार्टअप मेडकॉर्डस व आयु ऐप के को फाउंडर निखिल बाहेती का कहना है कि इस प्लेटफार्म के जरिए (Online Pharmacy Distribution Network) हर महीने 4 से 5 लाख के ऑर्डर डिलीवरी कर रहे हैं. इनमें से 80 फीसदी डिलीवरी 2 घंटे के पहले हो जाती है. इसके लिए 'आयु' हमारा नेशनल वाइड ऐप है. जबकि 'आयु केमिस्ट' ऐप अलग है. वहीं, केमिस्ट एप को डिस्ट्रीब्यूटर से भी जोड़ दिया है. औसत ऑर्डर की राशि 400 रुपए के आसपास बैठ रही है. ऐसे में ऐप के जरिए मासिक 15 से 20 करोड़ के ट्रांजेक्शन हो रहे हैं, तो वहीं करीब 200 करोड़ सालाना ट्रांजेक्शन हो रहे हैं.

क्या कहते हैं जानकार...

स्टार्टअप के को-फाउंडर श्रेयांश मेहता का कहना है कि भारत में अभी तक कोई भी डिजिटल टूल केमिस्ट के लिए मौजूद नहीं है. जिससे वह अपने कस्टमर को मैनेज कर सके. यहीं सोचकर इस प्रोजेक्ट को लेकर आए थे. उन्होंने कहा कि भारत के 17 स्टेट तक इसको लेकर पहुंच गए हैं. जहां पर 40 हजार से ज्यादा केमिस्ट से जुड़ गए हैं, आगे भी हमारा लक्ष्य है कि इससे और केमिस्ट को जोड़ा जाए. जिन राज्यों में हमारी पहुंच कम है, वहां पर पहुंच बढ़ाई जाए. करीब एक लाख मेडिकल स्टोर को अगले 2 से 3 सालों में जोड़ने की योजना है.

केमिस्ट को दिया है टेक्नॉलॉजी से प्लेटफार्मः 'आयु' ऐप के को फाउंडर श्रेयांश मेहता का कहना है कि अपने दोस्त निखिल बाहेती और सायदा धनावद के साथ मिलकर मेडकॉर्डस स्टार्टअप शुरू किया था. इसके बाद 2020 में 'आयु' ऐप शुरू किया. उन्होंने बताया कि बड़ी ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों से इनका बिजनेस बिल्कुल अलग है. हम केमिस्ट के जरिए दवा पहुंचा रहे हैं. जबकि ऑनलाइन फार्मेसी की कंपनियां दवा खुद बेच रही हैं. उन्होंने बड़े वेयरहाउस इसके लिए बनाए हुए हैं. हम दवा रखना, बेचना और खरीदने का काम नहीं करते हैं. यह काम केमिस्ट के जरिए हमारे प्लेटफार्म से होता है. हमने केमिस्ट को टेक्नोलॉजी का प्लेटफार्म दिया है, ताकि वह कंजूमर से जुड़ सकें और कंजूमर भी उससे जुड़ सके.

कंज्यूमर से केमिस्ट और केमिस्ट को डिस्ट्रीब्यूटर से जोड़ाः निखिल बाहेती का कहना है कि हमारे कई केमिस्ट ने सलाह दी थी कि उन्हें दवा का ऑर्डर करने में भी काफी समय लग जाता है. फोन पर लिखवाना पड़ता है. जिसमें अलग-अलग दवा सप्लाई कंपनियों को सैकड़ों दवाइयों का ऑर्डर (Chemist Home Delivery Kota City) लिखना पड़ता है, इसमें घंटों खराब हो जाते हैं. उन्होंने इसके लिए भी कोई ऑनलाइन सिस्टम के लिए कहा था. इसके बाद हमने अपने डिस्ट्रीब्यूटर के लिए भी सुविधा की है. उन्हें भी इस एप से जोड़ दिया गया है, जिसके जरिए कई केमिस्ट ऑर्डर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसे 3 महीने हुए हैं और करीब 6,000 से ज्यादा ऑर्डर हर माह हो रहे हैं. इसमें हर महीने 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है.

Digital Chemist in Kota
40 हजार से ज्यादा केमिस्ट को किया डिजिटल

नेटवर्क भी 800 से ज्यादा शहरों तक पहुंचाः निखिल बाहेती ने बताया कि ऑनलाइन फार्मेसी वाली कंपनियां बड़े शहरों में भी 1 दिन में दवा उपलब्ध करा रही हैं. जबकि छोटे शहरों में करीब 24 से 48 घंटे में दवा उपलब्ध हो पाती है, जबकि हमारे साथ ऐसा नहीं है. हमने स्थानीय मेडिकल को ही जोड़ा हुआ है. जिससे वह कुछ ही घंटों में दवा पहुंचा देता है, यहां तक कि उसके जरिए दी जाने वाली दवा रिलाएबल भी होती है. अधिकांश मेडिकल स्टोर तो वह होते हैं, जो कि ऑर्डर कर रहे व्यक्ति के 1 से 2 किलोमीटर के दायरे में ही आते हैं.

उन्होंने बताया कि ऑनलाइन फार्मेसी की सप्लाई में दवा दूर से आती है. जबकि हमारा नेटवर्क बड़े शहरों के अलावा 800 से 900 छोटे शहरों तक भी है. यहां तक कि हमने छोटे कस्बों में भी अपना नेटवर्क शुरू किया है. राज्यों की बात की जाए तो राजस्थान में 15000, यूपी के 7000, एमपी 3500, बिहार व दिल्ली एनसीआर में 2500-2500 केमिस्ट जुड़े हैं. इसके अलावा गुजरात, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में पहुंच हुई है.

रिचर्स के बाद शुरू किया, चंद मिनट में केमिस्ट को करते है डिजिटलः निखिल बाहेती का कहना है कि हमने स्टार्टअप शुरू करने के पहले 800 से ज्यादा गांव में रिसर्च की थी. हमने पाया कि हेल्थ केयर टूटा हुआ है. टेक्नॉलोजी से हेल्थ केयर की क्वालिटी, कन्वीनियंस और स्पीड बढ़ सकती है. इसीलिए हमने 'आयु' ऐप की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि हमने आयु केमिस्ट ऐप फार्मेसी शॉप संचालकों के लिए बनवाया है. इसके जरिए केमिस्ट को 1 मिनट में डिजिटल कर देते हैं. जिससे वह अपने कस्टमर से डिजिटल तरीके से जुड़ जाते हैं. वे उनका पूरा बिजनेस एक जगह पर आसानी से मैनेज कर सकते हैं. इसमें कस्टमर से ऑर्डर लेने से लेकर डिलीवरी ट्रैप करते है. यहां तक कि वे डिस्ट्रीब्यूटर से दवा मंगा सकते हैं.

हमने 'लोकल फॉर वोकल' के लिए काम कियाः स्टार्टअप के को-फाउंडर मेहता का कहना है कि ऑनलाइन फार्मेसी में केमिस्ट से दूर बिजनेस ले जाया जा रहा है. जहां पर कंपनी और कस्टमर सीधा जुड़ा हुआ है. जबकि भारत बीते 70 साल से केमिस्ट नेटवर्क से हेल्थ केयर में काफी जुड़ा हुआ है. इस नेटवर्क में बीते 30 सालों से लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऑनलाइन फार्मेसी में ट्रस्ट ग्राहक को कम होता है, जबकि स्थानीय केमिस्ट पर ट्रस्ट बना हुआ है. यह लोग रूल एंड रेगुलेशन की पालना भी करते हैं. क्योंकि सरकारी एजेंसियां इन पर निगरानी रखती हैं. ऑनलाइन फार्मेसी में ऐसा कम ही देखने को मिलता है.

पढ़ें : SPECIAL: कोटा मेडिकल कॉलेज CT Scan से भी करेगी कोरोना जांच, सप्लीमेंट्री टेस्ट के रूप में लेगा काम

ऑनलाइन फार्मेसी हमारे बिजनेस को खत्म कर रहीः विज्ञान नगर के केमिस्ट जितेंद्र कुमार नागर का कहना है कि दवा हमारे पास अगर उपलब्ध है, तो हम तुरंत डिलीवरी कर देते हैं. करीब 30 मिनट में दवा को पहुंचा दिया जाता है, क्योंकि ज्यादातर ऑर्डर आसपास के इलाके से ही आते हैं. ज्यादा राशि का ऑर्डर होने पर ही दूर की दवा डिलीवर्ड की जाती है. लेकिन स्टोर पर दवा उपलब्ध नहीं है, तो इसमें समय भी लग जाता है. हम पहले उस दवा को अपने मेडिकल स्टोर पर मंगाते हैं और उसके बाद कस्टमर तक पहुंचा देते हैं. इसमें कुछ घंटे का समय लग जाता है. ऑनलाइन फार्मेसी की कंपनियां कस्टमर तक खुद अपने पास से मेडिसिन पहुंचा रही हैं. लेकिन हमारे पास से मेडिसिन हम ही पहुंचा रहे हैं. उसमें रिटेल का कोई रोल ही नहीं है, वे हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचा रही हैं.

दवा उपलब्ध तो समय से डिलीवरीः संतोषी नगर के मेडिकल स्टोर संचालक अमरीश गुप्ता का कहना है कि ऑर्डर हम इसके जरिए करते हैं. दूसरे दिन हमें सप्लाई मिल जाता है. रोज करीब 15 से 20 कस्टमर के ऑर्डर इस ऐप के जरिए (Rajasthan Kota Medicos APP) आ रहे हैं, दवा उपलब्ध होने पर एक से डेढ़ घंटे में सप्लाई कर देते हैं. शुरुआती तौर पर इस ऐप के जरिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हमने धीरे-धीरे इसमें सुधार की बात कही. जिन्हें कंपनी ने किया भी है. इसके बाद अब अच्छे ऑर्डर आने लगे हैं .

ऐप के जरिए वेबसाइट पर मेडिकल स्टोर भी डिजिटलः पंकज जैन का कहना है कि कस्टमर को भी बेनिफिट हो रहा है कि डॉक्टर ने जो प्रिसक्राइब कर दी है. वह दवा उसको घर पर मिल रही है. उसे फ्यूल व समय खर्च नहीं करना पड़ रहा है. कस्टमर दूसरी लोकेशन पर भी दवा डिलीवर्ड करवा सकते हैं, यानी वे ऑफिस या शहर के बाहर हैं, तो भी घर पर दवा पहुंच जाती है. पहले की अपेक्षा थोड़ी सेल भी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि इस ऐप के जरिए वेबसाइट पर उनके मेडिकल स्टोर और उपलब्ध दवाओं की जानकारी भी डिजिटल हो गई है. इसके जरिए उनके खुद के मेडिकल स्टोर की वेबसाइट बन गई है. यहां तक कि वह डिजिटल विजिटिंग कार्ड और सोशल मीडिया पर खुद की फार्मेसी शॉप का प्रमोशन करने का जरिया भी मिला है.

Last Updated : Jun 25, 2022, 9:02 AM IST
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