कोटा. बारिश (Rain) का इंतजार सभी को है, लेकिन हाड़ौती (Hadoti) में फिलहाल मानसून (Monsoon) ने दस्तक नहीं दी है. हल्की चहल कदमी हुई है, जिसमें कुछ इलाकों में बारिश जरूर हुई है, लेकिन इस बारिश से बांधों को कोई फायदा नहीं मिला है. जहां हाड़ौती में जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) के अधीन आने वाले 80 बड़े और छोटे बांधों में 55 बांध पूरी तरह से सूखे हैं. इनमें बड़े बांधों की बात की जाए तो 24 बांध पूरी तरह से सूखे पड़े हुए हैं. साल भर बहने वाली चंबल नदी को छोड़कर अन्य सभी नदियों के बांध लगभग सूखे ही हैं. वहीं छोटे-बड़े 23 बांधों में भी नाममात्र ही पानी है.
चंबल नदी के दो बड़े बांध आधे भरे
चंबल नदी (Chambal River) पर भराव क्षमता के 2 बड़े बांध है, जिनमें मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर बांध (Gandhi Sagar Dam) है, जो अपनी क्षमता का आधा भरा हुआ है. उसकी कुल सप्ताह 7,324 मिलीयन क्यूबिक मीटर है. यह चंबल नदी का सबसे बड़ा बांध है. इसमें अभी 3,621 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है, इसी तरह से दूसरा बड़ा बांध चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित राणा प्रताप सागर (Rana Pratap Sagar) बांध है. जिसकी कुल क्षमता 2,905 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जबकि वर्तमान स्थिति में यह करीब 60 फीसदी 2,095 मिलियन क्यूबिक मीटर भरा हुआ है. चंबल नदी के दो अन्य बांध जवाहर सागर (Jawahar Sagar) और कोटा बैराज क्षमता से कुछ ही खाली है.
24 बड़े बांधों में नहीं है बिल्कुल भी पानी
हाड़ौती के बड़े बांधों की बात की जाए, जिनमें 4.25 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा भराव क्षमता के जो बांध है, उनमें से 24 बांध पूरी तरह से सूखे पड़े हैं. सूखे बड़े बांधों की बात की जाए तो बारां जिले के बैथली, गोपालपुरा, बिलास, उम्मेद सागर, हिंगलोट, इकलेरा सागर, कालीकोट छतरपुरा और उतावली बांध पूरी तरह से सूखे पड़े हुए हैं. इसी तरह से बूंदी जिले में बरधा बांध, बूंदी का गोठड़ा, डूंगरी, पैबालपुरा, चाकन अभयपुरा, बड़ानयागांव, पैच की बावड़ी, मछाली, इंदिरानी और रुणीजा बांध सूखे पड़े हैं. इसी तरह से झालावाड़ जिले में सरनखेड़ी, कनवाड़ा, सारोला और मुंडालिया खेड़ी बांध खाली है.
इन बड़े डैम में नाममात्र का पानी
4.25 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले बांधों में इसी तरह से बारां जिले के ल्यासी, रतन, बूंदी जिले के गुड़ा, भीमलत, झालावाड़ जिले के छापी, भीमसागर, राजगढ़, कालीसिंध, चावली, पीपलाद, गागरिन, गुलखेड़ी, कालीखार, भूमानी, रेवा, कोटा जिले के आलनिया डैम में नाममात्र का पानी है.
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छोटे बांध पूरी तरह से सूखे
इसी तरह से 4.25 मिलियन क्यूबिक मीटर भराव क्षमता से कम वाले करीब 37 बांध हाड़ौती के चारों जिलों में है. जिनमें से बारां जिले के 8, बूंदी जिले में 10, झालावाड़ जिले में 17 और कोटा जिले में 2 बांध स्थित है. इनमें से 31 बांध पूरी तरह से सूखे पड़े हैं, वही 6 बांधों में नाम मात्र का पानी है.