कोटा. एसीबी की अफीम फैक्ट्री के महाप्रबंधक और आईआरएस अधिकारी से अवैध राशि की बरामदगी के मामले में अभी तक की हुई पूछताछ में एसीबी को कोई भी संतोषप्रद जवाब नहीं मिला था. ऐसे में एसीबी ने न्यायालय से रिमांड मांगा था जो कि मंजूर हो गया है.
वहीं, अब तक की पड़ताल में सामने आया है कि बीती 4 जुलाई से ही डॉ. शशांक यादव नीमच में मौजूद थे और लगातार किसानों की अफीम की जांच लैब में करवाई जा रही थी. अफीम के गाढ़ेपन को देखा जा रहा था. साथ ही मार्फिन की मात्रा कितनी अफीम में मौजूद है, यह भी जांच हो रही थी. जिसके अनुसार किसानों को अगले साल 10 या 12 आरी के जो पट्टे हैं, वह वितरित किए जा सकें.
अफीम में गाढ़ापन और मॉर्फिन की मात्रा को बढ़ाया हुआ बताने की एवज में ही किसानों से यह अवैध वसूली की जा रही थी. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की पूछताछ में यह भी आया है कि डॉ. शशांक सिंह यादव के पास असीम फैक्ट्री गाजीपुर में महाप्रबंधक (Ghazipur Opium Factory GM) का चार्ज लंबे समय से था.
अन्य लोगों की भूमिका की भी होगी जांच : अफीम की क्वालिटी को अच्छा बताकर किसानों से अवैध वसूली की, ताकि उन्हें अगले साल ज्यादा कृषि भूमि पर अफीम का उत्पादन करने को मिले. इसकी एवज में यह वसूली की जा रही थी. इसमें अफीम टेस्टिंग लैब के अजीत सिंह और कोडिंग टीम के दीपक कुमार यादव का नाम भी सामने आया है, जो कि दलालों के जरिए किसानों से अवैध वसूली कर रहे थे. इन दोनों कार्मिकों की भूमिका के अलावा अन्य कौन-कौन लोग इस पूरे नेटवर्क में शामिल हैं.