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SPECIAL : सरदारशहर के शहरी क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत, घंटों लाइन में लगे रहने के बाद मिलता है नाममात्र पानी

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Published : May 23, 2021, 11:18 AM IST

चरू जिले के सरदारशहर तहसील में लोग कोरोना के साथ-साथ अपनी प्यास बुझाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. संघर्ष भी ऐसा कि घर से निकलकर घंटो-घंटो तक लाइनों में लगना पड़ रहा है. लेकिन शासन और प्रशासन को ना तो इनकी फिक्र है ना ही इनकी चिंता. पढ़ें पूरी खबर...

पानी की किल्लत, shortage of water
ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत

सरदारशहर (चूरू). इन दिनों कोरोना काल में हर कोई ऑक्सीजन पाने की जद्दोजहद करता हुआ नजर आ रहा है, तो कोई हॉस्पिटलों में बेड और दवाइयों के लिए भटकता हुआ नजर आ रहा है. गांव और कस्बों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन और प्रशासन कहता है कि घर में रहें सुरक्षित रहें.

ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत

पढ़ेंः SPECIAL : सरकारी PHC जाएंगे तो जांच में पॉजीटिव बताकर शहर में क्वारेंटीन कर देंगे...गांव-गांव में कोरोना संक्रमण को लेकर यही डर

वहीं चरू जिले के सरदारशहर तहसील की बात करें तो यहां पर पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. संघर्ष भी ऐसा कि घर से निकलकर घंटो-घंटो तक लाइनों में लगना पड़ रहा है. ऐसे में कोरोना की मार ऊपर से पानी की किल्लत कोढ़ में खाज जैसा काम कर रही है. जिस पर अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर रहा है.

क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा वार्ड ऐसे हैं जहां पर बूंद-बूंद पानी के लिए वार्ड वासी मोहताज है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों का तो और भी बुरा हाल है. यहां पर पानी के लिए लंबी-लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं. इतनी लंबी लाइनें देखकर हर कोई शर्मसार हो जाए, लेकिन शासन और प्रशासन को ना तो इनकी फिक्र है ना ही इनकी चिंता.

पानी की किल्लत, shortage of water
अधिकारी भी नहीं निभा रहे जिम्मेदारी

कोरोना काल में शासन और प्रशासन ने इन्हें मानो पानी के अभाव में मरने के लिए छोड़ दिया हो. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने पानी की किल्लत की प्रशासन को अवगत नहीं करवाया ग्रामीणों ने ऊपर से लेकर नीचे तक सब जगह अपनी गुहार लगाई, अपनी पीड़ा बताई, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, ऐसे में ग्रामीण अब कहते हैं कि हम कोरोना से तो बाद में मरेंगे पहले पानी के अभाव में हमारा दम निकलेगा. थार के गांधी के नाम से मशहूर रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री दौलतराम सारण के गांव ढाणी पांचेरा में भी पानी की भारी समस्या है. यहां इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों के लिए भी पानी की व्यवस्था नहीं है.

पानी की किल्लत, shortage of water
घंटों लगा रहना पड़ता है लाइन में

पढ़ेंः SPECIAL: कोरोना प्रबंधन में चित्तौड़गढ़ की आदर्श तस्वीर, जानिए कैसे सुधरी अस्पताल की 'सेहत'

गांव शिमला में पानी की इतनी भंयकर किल्लत है कि ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए घंटों तक संघर्ष करना पड़ रहा है और पूरा-पूरा दिन पानी के इंतजार में व्यतीत करना पड़ता है. ऐसे में वहां घंटो तक लाइन में लगी रहने वाली महिलाओ की आंखों से पानी निकलने लगते हैं, लेकिन पानी नहीं आता है ऐसे में ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब ग्रामीण जलदाय के अधिकारियों को फोन करते हैं तो अधिकारी फोन नहीं उठाते. जब ग्रामीण जलदाय विभाग के कार्यालय जाते हैं तो अधिकारी सीधे मुंह बात नहीं करते ऐसे में ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब देने लगा है. शिमला गांव में पानी के लिए घंटों की लंबी कतार देख जलदाय विभाग की लचर व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है.

पानी की किल्लत, shortage of water
पानी के टैंकर भी महीने में तीन बार आते हैं

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 4-5 दिनों से आपणी योजना के तहत पानी की सप्लाई होती है. ग्रामीण पानी के लिए आधी रात से लाइन लगा लेते है. इस चिलचिलाती धूप में घण्टों लाइन में लगने के बाद दो मटके पानी मिल पता है. कम पानी में प्यास बुझाना मुश्किल हो रहा है. पैसे वाले लोग तो दूर से टैंकर मंगवाकर प्यास बुझा लेते है. लेकिन गरीब लोगों को सिर पर रखकर दूर से पानी लाना पड़ता है. पानी के लिए सब काम छोड़कर लगना पड़ता है. कांग्रेस सेवादल के जिला उपाध्यक्ष जगदीश धन्नावंशी ने बताया कि इस टंकी से जुड़े सभी गांव के लोग पानी के लिए परेशान हो रहे है.

पानी की किल्लत, shortage of water
पानी की भारी किल्लत

पढ़ेंः Special: सरकारी आंकड़ों में 'खेल', 14 माह में 985 मौतें ही दर्ज...हकीकत में मामले दो हजार के पार

शिमला गांव अन्तिम होने के कारण यहां अधिक समस्या है. उन्होंने बताया कि यह समस्या वर्षो से चल रही है. इसके लिए अनेकों बार प्रदर्शन किया गया लेकिन आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला. पहले पांच साल बीजेपी के राज में परेशान हुए अब कांग्रेस के राज में परेशान हो रहे है. सरकार को इस समस्या का स्थाई समाधान करना चाहिए. गिरधारीदास स्वामी ने बताया कि पीने के पानी की गांव में गंभीर समस्या है. स्वामी ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते है कि किसी को मरने नहीं दिया जाएगा. शिमला गांव के लोग पानी के अभाव में मरेंगे यह दिखाई दे रहे है. जलदाय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

पानी की किल्लत, shortage of water
चिलचिलाती धूप में भी पानी का करना पड़ता है इंतजार

शहर के वार्डों के हालात भी कुछ जुदा नहीं है. सरदारशहर की दो दर्जन से ज्यादा ऐसे वार्ड है जहां पर पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है वार्ड वासियों का कहना है कि अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं ऐसे में वार्ड के लोग करें तो क्या करें. वहीं इस पूरे मामले में उपखंड अधिकारी से बात की तो उपखंड अधिकारी ने बताया कि जल्द ही पानी की समस्या का समाधान कर लिया जाएगा. जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की है, लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि कोरोना काल में एक ओर प्रशासन कहता है कि घर में रहे वहीं दूसरी ओर पानी के अभाव में वार्ड के लोगों ओर ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है इसका जिम्मेदार कौन है.

सरदारशहर (चूरू). इन दिनों कोरोना काल में हर कोई ऑक्सीजन पाने की जद्दोजहद करता हुआ नजर आ रहा है, तो कोई हॉस्पिटलों में बेड और दवाइयों के लिए भटकता हुआ नजर आ रहा है. गांव और कस्बों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन और प्रशासन कहता है कि घर में रहें सुरक्षित रहें.

ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत

पढ़ेंः SPECIAL : सरकारी PHC जाएंगे तो जांच में पॉजीटिव बताकर शहर में क्वारेंटीन कर देंगे...गांव-गांव में कोरोना संक्रमण को लेकर यही डर

वहीं चरू जिले के सरदारशहर तहसील की बात करें तो यहां पर पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. संघर्ष भी ऐसा कि घर से निकलकर घंटो-घंटो तक लाइनों में लगना पड़ रहा है. ऐसे में कोरोना की मार ऊपर से पानी की किल्लत कोढ़ में खाज जैसा काम कर रही है. जिस पर अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर रहा है.

क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा वार्ड ऐसे हैं जहां पर बूंद-बूंद पानी के लिए वार्ड वासी मोहताज है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों का तो और भी बुरा हाल है. यहां पर पानी के लिए लंबी-लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं. इतनी लंबी लाइनें देखकर हर कोई शर्मसार हो जाए, लेकिन शासन और प्रशासन को ना तो इनकी फिक्र है ना ही इनकी चिंता.

पानी की किल्लत, shortage of water
अधिकारी भी नहीं निभा रहे जिम्मेदारी

कोरोना काल में शासन और प्रशासन ने इन्हें मानो पानी के अभाव में मरने के लिए छोड़ दिया हो. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने पानी की किल्लत की प्रशासन को अवगत नहीं करवाया ग्रामीणों ने ऊपर से लेकर नीचे तक सब जगह अपनी गुहार लगाई, अपनी पीड़ा बताई, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, ऐसे में ग्रामीण अब कहते हैं कि हम कोरोना से तो बाद में मरेंगे पहले पानी के अभाव में हमारा दम निकलेगा. थार के गांधी के नाम से मशहूर रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री दौलतराम सारण के गांव ढाणी पांचेरा में भी पानी की भारी समस्या है. यहां इंसानों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों के लिए भी पानी की व्यवस्था नहीं है.

पानी की किल्लत, shortage of water
घंटों लगा रहना पड़ता है लाइन में

पढ़ेंः SPECIAL: कोरोना प्रबंधन में चित्तौड़गढ़ की आदर्श तस्वीर, जानिए कैसे सुधरी अस्पताल की 'सेहत'

गांव शिमला में पानी की इतनी भंयकर किल्लत है कि ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए घंटों तक संघर्ष करना पड़ रहा है और पूरा-पूरा दिन पानी के इंतजार में व्यतीत करना पड़ता है. ऐसे में वहां घंटो तक लाइन में लगी रहने वाली महिलाओ की आंखों से पानी निकलने लगते हैं, लेकिन पानी नहीं आता है ऐसे में ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब ग्रामीण जलदाय के अधिकारियों को फोन करते हैं तो अधिकारी फोन नहीं उठाते. जब ग्रामीण जलदाय विभाग के कार्यालय जाते हैं तो अधिकारी सीधे मुंह बात नहीं करते ऐसे में ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब देने लगा है. शिमला गांव में पानी के लिए घंटों की लंबी कतार देख जलदाय विभाग की लचर व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है.

पानी की किल्लत, shortage of water
पानी के टैंकर भी महीने में तीन बार आते हैं

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 4-5 दिनों से आपणी योजना के तहत पानी की सप्लाई होती है. ग्रामीण पानी के लिए आधी रात से लाइन लगा लेते है. इस चिलचिलाती धूप में घण्टों लाइन में लगने के बाद दो मटके पानी मिल पता है. कम पानी में प्यास बुझाना मुश्किल हो रहा है. पैसे वाले लोग तो दूर से टैंकर मंगवाकर प्यास बुझा लेते है. लेकिन गरीब लोगों को सिर पर रखकर दूर से पानी लाना पड़ता है. पानी के लिए सब काम छोड़कर लगना पड़ता है. कांग्रेस सेवादल के जिला उपाध्यक्ष जगदीश धन्नावंशी ने बताया कि इस टंकी से जुड़े सभी गांव के लोग पानी के लिए परेशान हो रहे है.

पानी की किल्लत, shortage of water
पानी की भारी किल्लत

पढ़ेंः Special: सरकारी आंकड़ों में 'खेल', 14 माह में 985 मौतें ही दर्ज...हकीकत में मामले दो हजार के पार

शिमला गांव अन्तिम होने के कारण यहां अधिक समस्या है. उन्होंने बताया कि यह समस्या वर्षो से चल रही है. इसके लिए अनेकों बार प्रदर्शन किया गया लेकिन आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला. पहले पांच साल बीजेपी के राज में परेशान हुए अब कांग्रेस के राज में परेशान हो रहे है. सरकार को इस समस्या का स्थाई समाधान करना चाहिए. गिरधारीदास स्वामी ने बताया कि पीने के पानी की गांव में गंभीर समस्या है. स्वामी ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते है कि किसी को मरने नहीं दिया जाएगा. शिमला गांव के लोग पानी के अभाव में मरेंगे यह दिखाई दे रहे है. जलदाय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है.

पानी की किल्लत, shortage of water
चिलचिलाती धूप में भी पानी का करना पड़ता है इंतजार

शहर के वार्डों के हालात भी कुछ जुदा नहीं है. सरदारशहर की दो दर्जन से ज्यादा ऐसे वार्ड है जहां पर पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है वार्ड वासियों का कहना है कि अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं ऐसे में वार्ड के लोग करें तो क्या करें. वहीं इस पूरे मामले में उपखंड अधिकारी से बात की तो उपखंड अधिकारी ने बताया कि जल्द ही पानी की समस्या का समाधान कर लिया जाएगा. जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की है, लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि कोरोना काल में एक ओर प्रशासन कहता है कि घर में रहे वहीं दूसरी ओर पानी के अभाव में वार्ड के लोगों ओर ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है इसका जिम्मेदार कौन है.

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