कोटा. निजी अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग वहां पर सैंपलिंग करवा रहा है. अस्पतालों में सेनेटाइजेशन के अलावा डिसइनफेक्ट का काम भी चिकित्सा विभाग कर रहा है. साथ ही अब निजी अस्पतालों में मरीजों के पॉजिटिव आने या फिर यहां के स्टाफ के संक्रमित मिलने के मामले में हॉस्पिटल मैनेजमेंट की लापरवाही स्वास्थ्य विभाग मान रहा है.
इस लापरवाही की एवज में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उन्हें नोटिस जारी कर रिकवरी भी निकाल रहा है. इसके तहत कोटा के चार से पांच निजी अस्पतालों को नोटिस भी जारी कर दिए गए हैं, जिनसे हजारों रुपए की रिकवरी जमा कराने को कहा गया है. यह नोटिस मिलने के बाद निजी अस्पताल भी सकते में आ गए हैं और वे राज्य सरकार के खिलाफ लामबंद होने की तैयारी में हैं.
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जानकारी के अनुसार निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज कोरोना संक्रमित निकले हैं. ऐसे में मरीजों के पॉजिटिव आने के मामले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रबंधन को ही दोषी मानते हुए उन्हें नोटिस जारी कर दिए हैं. शहर के तलवंडी स्थित सुधा अस्पताल को 151800, कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट को 356400 और मैत्री अस्पताल को 88000 रुपए के रिकवरी की नोटिस दी गई है. यह राशि निजी अस्पतालों में हुई टेस्टिंग और डिसइनफेक्ट कार्रवाई की एवज में मांगी जा रही है. मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि निजी अस्पतालों ने लापरवाही बरती है. वहां पर राज्य सरकार का पैसा खर्च हुआ है, जिसमें सैंपलिंग और डिसइनफेक्ट कार्रवाई शामिल है. ऐसे में अस्पतालों को नोटिस जारी कर दिए हैं.
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हाड़ौती प्राइवेट हॉस्पिटल सोसायटी के सचिव डॉ. केवलकृष्ण डंग का कहना है कि निजी स्तर पर जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. वहीं वायरस से संक्रमित व्यक्ति अगर निजी अस्पताल में आता है, तो उसमें अस्पताल प्रबंधन की किसी तरह की कोई गलती नहीं है. हम लोग तो संक्रमण रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को जानकारी भी देते हैं. वैसे भी सरकार कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए निशुल्क जांच सब लोगों की कर रही है. इसी के तहत हमारे अस्पतालों में भर्ती मरीज और स्टाफ की भी जांच हुई है. इस तरह से नोटिस जारी कर देना भी गलत है. ऐसे में उच्च अधिकारियों से बातचीत करेंगे.