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Special: कोटा में सड़क खोदकर क्यों की जाती है गड़े भैरूजी की पूजा, जानिए

कहीं बारिश कम हो तो टोने-टोटके किए जाते हैं. कहीं घास भैरू की सवारी निकाली जाती है. कहीं मेंढक-मेंढकी की शादी कराई जाती है. कोटा में भी रियासत काल से गड़े भैरूजी की पूजा की जाती है. आइये जानते हैं कैसे की जाती है ये विशेष पूजा...

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Published : Jul 16, 2021, 6:45 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 6:33 PM IST

गड़े भैरूजी पूजा, कोटा, kota news
अच्छी बारिश के लिए गड़े भैरूजी की पूजा

कोटा: शहर के मकबरा थाना इलाके से पाटनपोल की तरफ जाने वाले रास्ते में सड़क पर गड्ढा खोदकर गड़े भैरूजी की पूजा की जाती है. अच्छी बारिश की के लिए यह खास पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि गड़े भैरूजी की पूजा कराई जाए तो उसी दिन बारिश शुरू हो जाती है. रियासत के समय से ही यानी करीब 125 सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है. अब यह जिम्मा नगर निगम के पास है.

करीब सवा सौ साल पहले कोटा में महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के शासनकाल में अकाल पड़ा था. महाराज उम्मेद सिंह द्वितीय भी परेशान थे. एक रात उनके सपने में गड़े भैरूजी आए और पूजा के बाद अकाल से राहत मिलने की बात कही. पाटनपोल दरवाजे के पास खुदाई के बाद गड़े भैरूजी निकले. जिसके बाद विधि-विधान से पूजा के बाद अच्छी बारिश हुई.

अच्छी बारिश के लिए गड़े भैरूजी की पूजा

पढ़ें: नृसिंह जयंती विशेष: बीकानेर के 500 साल पुराने मंदिर में मुल्तान से आई भगवान की मूर्ति स्थापित, होती है विशेष पूजा-अर्चना

कहते हैं महाराज ने प्रसन्न होकर कोटा की प्रजा को पिकनिक मनाने के लिए राशन सामग्री भी उपलब्ध कराई थी. इसका आयोजन दरीखाने में हुआ था. जिसके बाद आसपास के सभी जगहों पर कोटा के लोग पिकनिक मनाने गए थे. इसके बाद से ही बारिश नहीं होने पर गड़े भैरूजी की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

शहर के मकबरा थाना इलाके से पाटनपोल की तरफ जाने वाले रास्ते में ही बीच में एक जगह है. यहां पर गड़े भैरूजी विराजमान हैं. यहां एक पूरा गड्ढा किया हुआ है. इस गड्ढे को कवर करके रखा जाता है. पूजा के बाद गड्ढा वापस ढंक दिया जाता है. गड़े भैरूजी जमीन के अंदर ही रहते हैं. ऊपर से वापस सड़क बना दी जाती है. इसके लिए बाकायदा ठेकेदार को राशि दी जाती है कि वह खुदाई करे और गड़े भैरूजी को निकाले. कई बार तो खुदाई शुरू होते ही बारिश शुरू हो जाती है.

पहले राज परिवार की तरफ से ही यहां पर पूजा कराई जाती थी. बाद में नगर पालिका परिषद और निगम बनने के बाद यह जिम्मा इन नगरीय निकायों को मिला है. हालांकि आज भी पूजा होती है तो पहले राज परिवार को सूचित किया जाता है. पूजा के दौरान ढोल-नगाड़े और थालियां बजाई जाती है. करीब दो से ढाई घंटे तक विधि-विधान से पूजा होती है. इसमें नगर निगम के कई पार्षद और अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहते हैं.

पढ़ें: गंगा मां की महिमा : जब मुस्लिम मूर्तिकार ने कहा था...अब यह मूर्ति नहीं, मेरी मां है

10 साल में करीब 5-6 बार गड़े भैरूजी की पूजा हो चुकी है. बीते 2 सालों में लगातार पूजा हुई है. इस बार भी कम बारिश होने के चलते इसकी मांग की जाने लगी. जब भी बारिश नहीं होती है या तो पार्षद या फिर स्थानीय लोग नगर निगम में गड़े भैरूजी की पूजा की मांग करते हैं.

साल 2019 में भी कोटा में बारिश नहीं हुई थी. तत्कालीन महापौर महेश विजय ने गड़े भैरूजी की पूजा कराने का निर्णय लिया. 26 जुलाई 2019 को पूजा हुई. इसके बाद कोटा में अच्छी बारिश हुई. सितंबर महीने में कोटा में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. बीते साल भी जुलाई महीने तक बारिश का औसत काफी कम था. ऐसे में 2 अगस्त 2020 को नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत ने भी पूजा-अर्चना की थी. जिसके बाद कोटा में बारिश का दौर शुरू हुआ और कोटा में सबसे ज्यादा बारिश हुई.

जब भी बारिश नहीं होती तो पार्षद या फिर स्थानीय लोग नगर निगम में गड़े भैरूजी की पूजा की मांग करते हैं. इसके लिए बाकायदा महापौर कई बार युओ नोट भी निकालते हैं या फिर अधिकारी इसके लिए कार्मिकों को निर्देश देते हैं. जिसके बाद पूरी नोटशीट चलती है. सबकी अनुमति होने के बाद पंडित से मुहूर्त निकलवाया जाता है. ज्यादातर यह पूजा सुबह के समय ही की जाती रही है. नगर निगम के कार्मिक और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में इस पूजा के दौरान शामिल होते हैं. हालांकि खुदाई 2 से 3 दिन पहले ही शुरू हो जाती है.

कोटा: शहर के मकबरा थाना इलाके से पाटनपोल की तरफ जाने वाले रास्ते में सड़क पर गड्ढा खोदकर गड़े भैरूजी की पूजा की जाती है. अच्छी बारिश की के लिए यह खास पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि गड़े भैरूजी की पूजा कराई जाए तो उसी दिन बारिश शुरू हो जाती है. रियासत के समय से ही यानी करीब 125 सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है. अब यह जिम्मा नगर निगम के पास है.

करीब सवा सौ साल पहले कोटा में महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के शासनकाल में अकाल पड़ा था. महाराज उम्मेद सिंह द्वितीय भी परेशान थे. एक रात उनके सपने में गड़े भैरूजी आए और पूजा के बाद अकाल से राहत मिलने की बात कही. पाटनपोल दरवाजे के पास खुदाई के बाद गड़े भैरूजी निकले. जिसके बाद विधि-विधान से पूजा के बाद अच्छी बारिश हुई.

अच्छी बारिश के लिए गड़े भैरूजी की पूजा

पढ़ें: नृसिंह जयंती विशेष: बीकानेर के 500 साल पुराने मंदिर में मुल्तान से आई भगवान की मूर्ति स्थापित, होती है विशेष पूजा-अर्चना

कहते हैं महाराज ने प्रसन्न होकर कोटा की प्रजा को पिकनिक मनाने के लिए राशन सामग्री भी उपलब्ध कराई थी. इसका आयोजन दरीखाने में हुआ था. जिसके बाद आसपास के सभी जगहों पर कोटा के लोग पिकनिक मनाने गए थे. इसके बाद से ही बारिश नहीं होने पर गड़े भैरूजी की विधि-विधान से पूजा की जाती है.

शहर के मकबरा थाना इलाके से पाटनपोल की तरफ जाने वाले रास्ते में ही बीच में एक जगह है. यहां पर गड़े भैरूजी विराजमान हैं. यहां एक पूरा गड्ढा किया हुआ है. इस गड्ढे को कवर करके रखा जाता है. पूजा के बाद गड्ढा वापस ढंक दिया जाता है. गड़े भैरूजी जमीन के अंदर ही रहते हैं. ऊपर से वापस सड़क बना दी जाती है. इसके लिए बाकायदा ठेकेदार को राशि दी जाती है कि वह खुदाई करे और गड़े भैरूजी को निकाले. कई बार तो खुदाई शुरू होते ही बारिश शुरू हो जाती है.

पहले राज परिवार की तरफ से ही यहां पर पूजा कराई जाती थी. बाद में नगर पालिका परिषद और निगम बनने के बाद यह जिम्मा इन नगरीय निकायों को मिला है. हालांकि आज भी पूजा होती है तो पहले राज परिवार को सूचित किया जाता है. पूजा के दौरान ढोल-नगाड़े और थालियां बजाई जाती है. करीब दो से ढाई घंटे तक विधि-विधान से पूजा होती है. इसमें नगर निगम के कई पार्षद और अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहते हैं.

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10 साल में करीब 5-6 बार गड़े भैरूजी की पूजा हो चुकी है. बीते 2 सालों में लगातार पूजा हुई है. इस बार भी कम बारिश होने के चलते इसकी मांग की जाने लगी. जब भी बारिश नहीं होती है या तो पार्षद या फिर स्थानीय लोग नगर निगम में गड़े भैरूजी की पूजा की मांग करते हैं.

साल 2019 में भी कोटा में बारिश नहीं हुई थी. तत्कालीन महापौर महेश विजय ने गड़े भैरूजी की पूजा कराने का निर्णय लिया. 26 जुलाई 2019 को पूजा हुई. इसके बाद कोटा में अच्छी बारिश हुई. सितंबर महीने में कोटा में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. बीते साल भी जुलाई महीने तक बारिश का औसत काफी कम था. ऐसे में 2 अगस्त 2020 को नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत ने भी पूजा-अर्चना की थी. जिसके बाद कोटा में बारिश का दौर शुरू हुआ और कोटा में सबसे ज्यादा बारिश हुई.

जब भी बारिश नहीं होती तो पार्षद या फिर स्थानीय लोग नगर निगम में गड़े भैरूजी की पूजा की मांग करते हैं. इसके लिए बाकायदा महापौर कई बार युओ नोट भी निकालते हैं या फिर अधिकारी इसके लिए कार्मिकों को निर्देश देते हैं. जिसके बाद पूरी नोटशीट चलती है. सबकी अनुमति होने के बाद पंडित से मुहूर्त निकलवाया जाता है. ज्यादातर यह पूजा सुबह के समय ही की जाती रही है. नगर निगम के कार्मिक और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में इस पूजा के दौरान शामिल होते हैं. हालांकि खुदाई 2 से 3 दिन पहले ही शुरू हो जाती है.

Last Updated : Jul 18, 2021, 6:33 PM IST
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