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SPECIAL: लॉकडाउन के बाद कोटा का फर्नीचर व्यवसाय ठप, अब तक 150 करोड़ का हुआ नुकसान - etv bharat news

कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन के चलते कोटा का फर्नीचर व्यापार ठप हो चुका है. अब बाजार खुल चुके हैं, लेकिन ग्राहक नदारद हैं. कोटा फर्नीचर व्यवसाय की बात करें तो जहां पहले 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का व्यापार किया जाता था. वहीं, अब सिर्फ 3 से 4 लाख रुपए में ही थम कर रह गया है. ईटीवी भारत ने फर्नीचर से जुड़े कुछ व्यापारियों से बात की. आइए देखें स्पेशल रिपोर्ट..

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कोटा का फर्नीचर व्यवसाय ठप
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Published : Jun 1, 2020, 10:06 PM IST

कोटा. कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन करीब 2 महीने से चल रहा है, लेकिन बाजारों को बीते 17 मई से खोला गया था. कुछ बाजारों में थोड़ी हलचल नजर आती है, लेकिन कोटा के शॉपिंग सेंटर एरिया के फर्नीचर मार्केट में तो हालात जस के तस बने हुए हैं. दुकानें तो खुल गई हैं, लेकिन बाजारों में ग्राहक ही नहीं है, जो आते भी वो केवल पूछताछ करके ही वापस चले जाते हैं. जहां पहले महीने भर में 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक कमाई हो जाती थी. वहीं, अब ये कमाई 3 से 4 लाख रुपए तक ही सिमट कर रह गई है.

कोटा का फर्नीचर व्यवसाय ठप

फर्नीचर मार्केट के पूर्व अध्यक्ष जसपाल अरोड़ा के अनुसार कोटा की बात की जाए तो पूरे साल भर में यहां पर डेढ़ सौ करोड़ रुपए का फर्नीचर व्यापार होता है. इस व्यापार के सालभर में दो बार सीजन आते हैं, जिनमें मार्च से लेकर मई के बीच शादी समारोह होते हैं. इसके साथ ही खरीददारी के लिए कोचिंग के छात्र भी आया-जाया करते थे. इसके अलावा अक्टूबर से जनवरी के बीच भी विवाह समारोह के साथ-साथ फेस्टिवल चलते हैं, जिनसे भी बाजार में उठाव होता है. हालांकि, इस बार मार्च से मई तक पड़ने वाला शादी का सीजन लॉकडाउन में चला गया और अभी भी बाजार में मंदी जैसा ही आलम है. इसके चलते अक्टूबर से जनवरी तक आने वाले शादी के सीजन में भी मंदी ही रहेगी. वहीं, अधिकांश व्यापारियों का कहना है कि उनकी 10 से 20 फीसदी बिक्री भी नहीं हो पा रही है.

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कोटा का फर्नीचर व्यवसाय ठप

किराया और बिजली के बिल की बड़ी मार

फर्नीचर दुकान संचालक विजय कुमार गोयल का कहना है कि फर्नीचर रखने के लिए बड़ी जगह चाहिए होती है. ऐसे में दुकानों का किराया भी ज्यादा होता है, यहां तक कि बिजली का बिल जस का तस बना हुआ है. दुकानों पर लगे कार्यरत कार्मिक भी दिन भर बैठे ही रहते हैं और आपस में ही बातें करके उनका टाइम पास हो रहा है. दुकानें खोलने के बाद भी पहले जैसे ही हालात हैं, बाजारों में कोई ग्राहक नहीं नजर आता है.

शादी और कोचिंग स्टूडेंट्स से ही चलता है सीजन

जहां शादी समारोह में ही कोटा मार्केट से ज्यादा खरीद की जाती है. ऐसे में एक बड़ा सीजन आखातीज, जिसमें करीब कोटा संभाग में 5000 से ज्यादा शादियां होती हैं, वह भी लॉकडाउन में निकल गया है जो भी शादियां हुई हैं, उनमें छोटे-मोटे रीति-रिवाज के जरिए ही कर ली गई है. ऐसे में दुकानें बंद होने के चलते व्यवसाय नहीं चल पाया. साथ ही व्याापरियों का कहना है कि कोचिंग स्टूडेंट्स भी अप्रैल-मई में आते थे. लेकिन इस बार तो वे भी नहीं आए, जिससे दुकानें नहीं चल पा रही हैं.

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नहीं दिखते दुकानों पर ग्राहक

फर्नीटर व्यवसाय से 7 से 8 हजार परिवारों का चलता हैं गुजारा

कोटा शहर में करीब 300 फर्नीचर की दुकानें हैं, इसके अलावा 100 से अधिक दुकानें शॉपिंग सेंटर स्थित फर्नीचर मार्केट में ही है. इन दुकानों में भी करीब दो हजार लोग सीधे तौर पर रोजगार ले रहे हैं. इसके अलावा फर्नीचर बनाने के जो कारखाने हैं, वहां भी 5 से 6 हजार लोग कार्यरत हैं. लॉकडाउन के चलते अभी शादियों पर पूरी तरह से बैन लगा हुआ है. ऐसे में इन सब लोगों पर रोजगार का खतरा मंडरा रहा है.

उधारी भी नहीं मिल रहा वापस

युवा फर्नीचर व्यवसायी कपिल काबरा का कहना है कि फर्नीचर में अधिकांश माल उधार ही जाता है, जो कुछ-कुछ दिनों में वापस मिलता है. ऐसे में लॉकडाउन के बाद से जब से दुकानें खुली है. तब से उधार वाले लोगों से संपर्क किया जा रहा है, लेकिन इस समय में उधारी भी नहीं मिल पा रही है. यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी पूरी तनख्वाह नहीं मिलने की बात कह रहे हैं.

कोटा. कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन करीब 2 महीने से चल रहा है, लेकिन बाजारों को बीते 17 मई से खोला गया था. कुछ बाजारों में थोड़ी हलचल नजर आती है, लेकिन कोटा के शॉपिंग सेंटर एरिया के फर्नीचर मार्केट में तो हालात जस के तस बने हुए हैं. दुकानें तो खुल गई हैं, लेकिन बाजारों में ग्राहक ही नहीं है, जो आते भी वो केवल पूछताछ करके ही वापस चले जाते हैं. जहां पहले महीने भर में 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक कमाई हो जाती थी. वहीं, अब ये कमाई 3 से 4 लाख रुपए तक ही सिमट कर रह गई है.

कोटा का फर्नीचर व्यवसाय ठप

फर्नीचर मार्केट के पूर्व अध्यक्ष जसपाल अरोड़ा के अनुसार कोटा की बात की जाए तो पूरे साल भर में यहां पर डेढ़ सौ करोड़ रुपए का फर्नीचर व्यापार होता है. इस व्यापार के सालभर में दो बार सीजन आते हैं, जिनमें मार्च से लेकर मई के बीच शादी समारोह होते हैं. इसके साथ ही खरीददारी के लिए कोचिंग के छात्र भी आया-जाया करते थे. इसके अलावा अक्टूबर से जनवरी के बीच भी विवाह समारोह के साथ-साथ फेस्टिवल चलते हैं, जिनसे भी बाजार में उठाव होता है. हालांकि, इस बार मार्च से मई तक पड़ने वाला शादी का सीजन लॉकडाउन में चला गया और अभी भी बाजार में मंदी जैसा ही आलम है. इसके चलते अक्टूबर से जनवरी तक आने वाले शादी के सीजन में भी मंदी ही रहेगी. वहीं, अधिकांश व्यापारियों का कहना है कि उनकी 10 से 20 फीसदी बिक्री भी नहीं हो पा रही है.

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कोटा का फर्नीचर व्यवसाय ठप

किराया और बिजली के बिल की बड़ी मार

फर्नीचर दुकान संचालक विजय कुमार गोयल का कहना है कि फर्नीचर रखने के लिए बड़ी जगह चाहिए होती है. ऐसे में दुकानों का किराया भी ज्यादा होता है, यहां तक कि बिजली का बिल जस का तस बना हुआ है. दुकानों पर लगे कार्यरत कार्मिक भी दिन भर बैठे ही रहते हैं और आपस में ही बातें करके उनका टाइम पास हो रहा है. दुकानें खोलने के बाद भी पहले जैसे ही हालात हैं, बाजारों में कोई ग्राहक नहीं नजर आता है.

शादी और कोचिंग स्टूडेंट्स से ही चलता है सीजन

जहां शादी समारोह में ही कोटा मार्केट से ज्यादा खरीद की जाती है. ऐसे में एक बड़ा सीजन आखातीज, जिसमें करीब कोटा संभाग में 5000 से ज्यादा शादियां होती हैं, वह भी लॉकडाउन में निकल गया है जो भी शादियां हुई हैं, उनमें छोटे-मोटे रीति-रिवाज के जरिए ही कर ली गई है. ऐसे में दुकानें बंद होने के चलते व्यवसाय नहीं चल पाया. साथ ही व्याापरियों का कहना है कि कोचिंग स्टूडेंट्स भी अप्रैल-मई में आते थे. लेकिन इस बार तो वे भी नहीं आए, जिससे दुकानें नहीं चल पा रही हैं.

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नहीं दिखते दुकानों पर ग्राहक

फर्नीटर व्यवसाय से 7 से 8 हजार परिवारों का चलता हैं गुजारा

कोटा शहर में करीब 300 फर्नीचर की दुकानें हैं, इसके अलावा 100 से अधिक दुकानें शॉपिंग सेंटर स्थित फर्नीचर मार्केट में ही है. इन दुकानों में भी करीब दो हजार लोग सीधे तौर पर रोजगार ले रहे हैं. इसके अलावा फर्नीचर बनाने के जो कारखाने हैं, वहां भी 5 से 6 हजार लोग कार्यरत हैं. लॉकडाउन के चलते अभी शादियों पर पूरी तरह से बैन लगा हुआ है. ऐसे में इन सब लोगों पर रोजगार का खतरा मंडरा रहा है.

उधारी भी नहीं मिल रहा वापस

युवा फर्नीचर व्यवसायी कपिल काबरा का कहना है कि फर्नीचर में अधिकांश माल उधार ही जाता है, जो कुछ-कुछ दिनों में वापस मिलता है. ऐसे में लॉकडाउन के बाद से जब से दुकानें खुली है. तब से उधार वाले लोगों से संपर्क किया जा रहा है, लेकिन इस समय में उधारी भी नहीं मिल पा रही है. यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी पूरी तनख्वाह नहीं मिलने की बात कह रहे हैं.

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