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सीजन निकलने के बाद स्थापित होगा सरस डेयरी में फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट, जानें वजह

बीते साल कोटा को फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट (Flavored milk plant) के लिए केंद्र सरकार से 1.93 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हुई थी, लेकिन प्लांट अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है. इसके चलते प्रदेश के अन्य सरस डेयरी प्लांट से फ्लेवर्ड मिल्क खरीद कर बेचा जा रहा है, जिससे कोटा डेयरी को मुनाफा कम हो रहा है.

कोटा में नहीं हुआ फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट स्थापित, Flavored milk plant not established in Kota
कोटा में नहीं हुआ फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट स्थापित
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Published : Jul 30, 2021, 10:31 AM IST

कोटा. सरस डेयरी को बीते साल फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट (Flavored milk plant) के लिए केंद्र सरकार से 1.93 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हुई थी, लेकिन प्लांट अभी भी स्थापित नहीं हो पाया है. जिसके चलते प्रदेश के अन्य सरस डेयरी प्लांट से फ्लेवर्ड मिल्क खरीद कर बेचा जा रहा है. जिससे कोटा डेयरी को मुनाफा भी कम हो रहा है. जबकि उनके यहां पर प्लांट की मशीनरी इंस्टॉलेशन के इंतजार में पड़ी हुई है.

गर्मी के सीजन में फ्लेवर्ड मिल्क की 80 फीसदी मांग होती है, ऐसे में अब सीजन निकल गया है. इसके चलते इस साल कोटा डेयरी को मुनाफा नहीं होगा, क्योंकि प्लांट के स्थापित होने के बाद उत्पादन होगा, लेकिन केवल सालाना की 20 फीसदी बिक्री ही होगी, जबकि मैन पावर से लेकर अन्य सभी खर्चे पूरे होंगे.

कोटा में नहीं हुआ फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट स्थापित

पढ़ें- राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आज जारी करेगा 10वीं कक्षा का परिणाम

केंद्र सरकार ने डेयरी विकास के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कोटा जिले के सरस डेयरी प्लांट में फ्लेवर्ड मिल्क के लिए दिए थे. इसके जरिए कोटा डेयरी ने पहले टेंडर प्रक्रिया के बाद प्लांट को स्थापित करने के लिए कार्य आदेश जारी कर दिए. प्लांट स्थापित करने के लिए जगह भी चिन्हित कर ली गई है. मशीनरी भी कोटा पहुंच गई, लेकिन इंस्टॉल नहीं हो पाई. बाद में लॉकडाउन भी लग गया और अभी भी मशीनरी को इंस्टॉलेशन का इंतजार है.

कोटा सरस डेयरी के एमडी राकेश शर्मा का कहना है कि प्लांट की मशीनरी 80 फीसदी मशीनरी पहुंच गई है, लेकिन लॉकडाउन के बाद पूरे पार्ट्स उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. इसीलिए अभी देरी हो रही है. उन्होंने तो यह भी दावा कर दिया कि अगस्त महीने में इस फ्लेवर्ड प्लांट को स्थापित करवा दिया जाएगा, इससे उत्पादन भी शुरू होगा.

पढ़ें- राजस्थान देश भर में अव्वल, भारत निर्वाचन आयोग ने जमकर की तारीफ

राकेश शर्मा का कहना है कि जो प्लांट स्थापित किया जा रहा है, उसमें हर बैच में 2000 बोतल फ्लेवर्ड मिल्क तैयार होगा. एक दिन में दो से तीन बैच भी तैयार किए जा सकते हैं. ऐसे में करीब 4 से 6 हजार बोतल का उत्पादन कोटा डेयरी कर सकेगी. इससे कोटा डेयरी को मुनाफा भी होगा.

फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट की स्थापना के बाद कोटा जिले सहित बारां, बूंदी और झालावाड़ में फ्लेवर्ड मिल्क सरस पार्लर और अन्य जगह उपलब्ध हो सकेगा. एमडी राकेश शर्मा का कहना है कि डिमांड अगर आती है, तो करौली और सवाईमाधोपुर में भी इसकी सप्लाई शुरू कर देंगे. हालांकि कोटा और झालावाड़ डेयरी के एरिया में भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर से फ्लेवर्ड मिल्क मंगाया जा रहा है, जो कि हर महीने 5000 लीटर सरस पार्लर और बूथ पर उपलब्ध करवाया जाता है. यह करीब 25 हजार बोतल से ज्यादा है, जबकि इसकी मांग कई गुना ज्यादा है, मांग के अनुरूप सप्लाई भी नहीं होती हैं.

कोटा. सरस डेयरी को बीते साल फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट (Flavored milk plant) के लिए केंद्र सरकार से 1.93 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हुई थी, लेकिन प्लांट अभी भी स्थापित नहीं हो पाया है. जिसके चलते प्रदेश के अन्य सरस डेयरी प्लांट से फ्लेवर्ड मिल्क खरीद कर बेचा जा रहा है. जिससे कोटा डेयरी को मुनाफा भी कम हो रहा है. जबकि उनके यहां पर प्लांट की मशीनरी इंस्टॉलेशन के इंतजार में पड़ी हुई है.

गर्मी के सीजन में फ्लेवर्ड मिल्क की 80 फीसदी मांग होती है, ऐसे में अब सीजन निकल गया है. इसके चलते इस साल कोटा डेयरी को मुनाफा नहीं होगा, क्योंकि प्लांट के स्थापित होने के बाद उत्पादन होगा, लेकिन केवल सालाना की 20 फीसदी बिक्री ही होगी, जबकि मैन पावर से लेकर अन्य सभी खर्चे पूरे होंगे.

कोटा में नहीं हुआ फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट स्थापित

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केंद्र सरकार ने डेयरी विकास के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कोटा जिले के सरस डेयरी प्लांट में फ्लेवर्ड मिल्क के लिए दिए थे. इसके जरिए कोटा डेयरी ने पहले टेंडर प्रक्रिया के बाद प्लांट को स्थापित करने के लिए कार्य आदेश जारी कर दिए. प्लांट स्थापित करने के लिए जगह भी चिन्हित कर ली गई है. मशीनरी भी कोटा पहुंच गई, लेकिन इंस्टॉल नहीं हो पाई. बाद में लॉकडाउन भी लग गया और अभी भी मशीनरी को इंस्टॉलेशन का इंतजार है.

कोटा सरस डेयरी के एमडी राकेश शर्मा का कहना है कि प्लांट की मशीनरी 80 फीसदी मशीनरी पहुंच गई है, लेकिन लॉकडाउन के बाद पूरे पार्ट्स उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. इसीलिए अभी देरी हो रही है. उन्होंने तो यह भी दावा कर दिया कि अगस्त महीने में इस फ्लेवर्ड प्लांट को स्थापित करवा दिया जाएगा, इससे उत्पादन भी शुरू होगा.

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राकेश शर्मा का कहना है कि जो प्लांट स्थापित किया जा रहा है, उसमें हर बैच में 2000 बोतल फ्लेवर्ड मिल्क तैयार होगा. एक दिन में दो से तीन बैच भी तैयार किए जा सकते हैं. ऐसे में करीब 4 से 6 हजार बोतल का उत्पादन कोटा डेयरी कर सकेगी. इससे कोटा डेयरी को मुनाफा भी होगा.

फ्लेवर्ड मिल्क प्लांट की स्थापना के बाद कोटा जिले सहित बारां, बूंदी और झालावाड़ में फ्लेवर्ड मिल्क सरस पार्लर और अन्य जगह उपलब्ध हो सकेगा. एमडी राकेश शर्मा का कहना है कि डिमांड अगर आती है, तो करौली और सवाईमाधोपुर में भी इसकी सप्लाई शुरू कर देंगे. हालांकि कोटा और झालावाड़ डेयरी के एरिया में भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर से फ्लेवर्ड मिल्क मंगाया जा रहा है, जो कि हर महीने 5000 लीटर सरस पार्लर और बूथ पर उपलब्ध करवाया जाता है. यह करीब 25 हजार बोतल से ज्यादा है, जबकि इसकी मांग कई गुना ज्यादा है, मांग के अनुरूप सप्लाई भी नहीं होती हैं.

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