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Exclusive: अजय माकन को मेरे पत्र की जानकारी नहीं मिली तो किस बात के प्रभारी: भरत सिंह

कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर खनन मंत्री को पद से हटाने की मांग की है. ईटीवी भारत ने रविवार को विधायक भरत सिंह से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भ्रष्ट लोगों का सरकार चलाने में भी महत्वपूर्ण योगदान है.

Bharat Singh interview,  Sangod MLA Bharat Singh
कांग्रेस विधायक भरत सिंह
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Published : Apr 4, 2021, 8:41 PM IST

Updated : Apr 4, 2021, 9:07 PM IST

कोटा. सांगोद विधायक भरत सिंह बेबाकी से अपनी राय रखते हैं. चाहे वह कांग्रेस पार्टी के नेताओं के खिलाफ हो या भारतीय जनता पार्टी के. वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर कई अन्य पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को पत्र लिखते हैं और भ्रष्टाचार से लेकर कई मुद्दों को भी उठाते हैं.

कांग्रेस विधायक भरत सिंह से खास बातचीत

पढ़ें- विधायक भरत सिंह ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को घेरा, खनन मंत्री पर लगाया गंभीर आरोप...CM को लिखा पत्र

ईटीवी भारत ने भरत सिंह से खनन मंत्री के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे एक पत्र के सिलसिले में विशेष बातचीत की. जिसमें जब उनसे पूछा कि मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश के प्रभारी और वरिष्ठ नेताओं को भी पत्र लिखेंगे तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. जब मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया, तो जो यहां के प्रभारी हैं उन्हें इस बारे में जानकारी होनी चाहिए. अगर उनको इस बात का भी पता नहीं चले, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा और उन्हें इसके लिए जागरूक होना चाहिए. अगर वह कहें कि मुझे पता नहीं है तो फिर किस बात के प्रभारी हैं.

चारागाह भूमि और अवैध खनन दोनों बारां के मंत्री से संबंधित

विधायक भरत सिंह ने कहा कि जिस विषय पर मैंने पत्र लिखा है उसमें खनन करते हुए एक मजदूर की मौत हुई है. मजदूर जाति से सहरिया है, बारां जिले में सहरिया के लिए विशेष कार्यक्रम राजस्थान सरकार ने चला रखे हैं. एक अतिरिक्त जिला कलेक्टर वहां पर बैठता है और उनकी देखरेख के लिए जिस गांव में घटना हुई है वह चारागाह भूमि है. हमारे मंत्री खनन के साथ गोपालन मंत्री भी हैं. चारागाह भूमि का महत्व गोपालन की दृष्टि से है और अवैध खनन का सीधा संबंध स्थानीय मंत्री से है, जो इस विभाग के मुखिया हैं.

बारां जिले में हिस्ट्रीशीटर अधिकारियों को किया जाता है तैनात

कोटा संभाग में जितने भी जिले हैं, उनमें खुलेआम सबसे ज्यादा खनन बारां जिले में हो रहा है. दिनदहाड़े वहां पर खनन हो रहा है. अधिकारी बोलते नहीं हैं. मंत्री अपने हिसाब से वहां पर अधिकारियों को लगाते हैं. उसका ताजा उदाहरण पूर्व कलेक्टर निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव का भी मैंने दिया है. हिस्ट्रीशीटर और भ्रष्ट कलेक्टर को यह लगाते हैं, जो जेल में बंद हैं, इससे शर्मनाक बात भी नहीं हो सकती है.

राजनीति की मजबूरी भ्रष्ट लोग, बीजेपी भी नहीं बोलती

यह मजबूरी है राजनीति की कि भ्रष्ट लोगों को भी सारी पार्टियां संरक्षण देती हैं और भ्रष्ट लोगों का सरकार चलाने में महत्वपूर्ण योगदान भी है. बीजेपी जिसको बोलना चाहिए, वह बोल नहीं रही है. बीजेपी का रोल क्या है, अभी तक उन्होंने कोई प्रदर्शन बारां जिले में नहीं किया है. यह नहीं बोले हैं, इसलिए मैं बोल रहा हूं.

भरत सिंह को बोलने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए

विधायक भरत सिंह ने कहा कि एक मौत होती है और उस पर भरत सिंह को बोलने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. खुद से कार्रवाई होनी चाहिए, वहां के जनप्रतिनिधियों को बोलना चाहिए, उनको बोलना चाहिए और उससे भी ज्यादा दायित्व बनता है विपक्षी पार्टी है. जो भी गलत कार्य हो रहे हैं, इस बात को उजागर करें. लेकिन, जहां पर विपक्ष और पक्ष गलत कामों में एक हो जाते हैं, तो इस प्रकार की घटनाएं होती है और होती रहेंगी. इसीलिए जागरूक जनप्रतिनिधि और पद पर विधायक के नाते मैं हूं.

बारां जिले से फैल रहा भ्रष्टाचार

जब विधायक भरत सिंह से पूछा गया कि उन्होंने पत्र में नाम उजागर नहीं किया है तब जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान की राजधानी लिख देने के बाद जयपुर का नाम लिखना उचित नहीं है. इसी तरह से बारां जिले के भ्रष्ट मंत्री लिख देना उचित है. सब जानते हैं कि नाम लिखने की जरूरत नहीं है. साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट के दौरान कहा था कि भ्रष्टाचार कहां से फैल रहा है, यह गंगा किसने बनाई है. मुझे उसका स्रोत मालूम है, बारां जिले में है गंगोत्री यहां पर से बह रही है.

खुद जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए

सांगोद विधायक भरत सिंह ने कहा कि संवेदनशील व्यक्ति अपने आप ही अपना त्यागपत्र दे देता है, जैसे कि लाल बहादुर शास्त्री जब प्रधानमंत्री और रेल मंत्री थे, तो उन्होंने रेल दुर्घटना होने पर अपना इस्तीफा दे दिया था. जबकि यह नकटे लोग होते हैं, उनके लिए मांग की जाती है. मंत्री संवेदनशील आदमी होते तो दो बार सहरिया मजदूरों की मौत होने पर खुद ही जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए था. इसलिए ही ऐसे लोग हैं, उनके लिए मांग करनी चाहिए. यह लगते हैं कि इनकी मांग कर देना गलत नहीं हुई है, पार्टी हित में है.

कोटा. सांगोद विधायक भरत सिंह बेबाकी से अपनी राय रखते हैं. चाहे वह कांग्रेस पार्टी के नेताओं के खिलाफ हो या भारतीय जनता पार्टी के. वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर कई अन्य पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को पत्र लिखते हैं और भ्रष्टाचार से लेकर कई मुद्दों को भी उठाते हैं.

कांग्रेस विधायक भरत सिंह से खास बातचीत

पढ़ें- विधायक भरत सिंह ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को घेरा, खनन मंत्री पर लगाया गंभीर आरोप...CM को लिखा पत्र

ईटीवी भारत ने भरत सिंह से खनन मंत्री के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे एक पत्र के सिलसिले में विशेष बातचीत की. जिसमें जब उनसे पूछा कि मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश के प्रभारी और वरिष्ठ नेताओं को भी पत्र लिखेंगे तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. जब मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया, तो जो यहां के प्रभारी हैं उन्हें इस बारे में जानकारी होनी चाहिए. अगर उनको इस बात का भी पता नहीं चले, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा और उन्हें इसके लिए जागरूक होना चाहिए. अगर वह कहें कि मुझे पता नहीं है तो फिर किस बात के प्रभारी हैं.

चारागाह भूमि और अवैध खनन दोनों बारां के मंत्री से संबंधित

विधायक भरत सिंह ने कहा कि जिस विषय पर मैंने पत्र लिखा है उसमें खनन करते हुए एक मजदूर की मौत हुई है. मजदूर जाति से सहरिया है, बारां जिले में सहरिया के लिए विशेष कार्यक्रम राजस्थान सरकार ने चला रखे हैं. एक अतिरिक्त जिला कलेक्टर वहां पर बैठता है और उनकी देखरेख के लिए जिस गांव में घटना हुई है वह चारागाह भूमि है. हमारे मंत्री खनन के साथ गोपालन मंत्री भी हैं. चारागाह भूमि का महत्व गोपालन की दृष्टि से है और अवैध खनन का सीधा संबंध स्थानीय मंत्री से है, जो इस विभाग के मुखिया हैं.

बारां जिले में हिस्ट्रीशीटर अधिकारियों को किया जाता है तैनात

कोटा संभाग में जितने भी जिले हैं, उनमें खुलेआम सबसे ज्यादा खनन बारां जिले में हो रहा है. दिनदहाड़े वहां पर खनन हो रहा है. अधिकारी बोलते नहीं हैं. मंत्री अपने हिसाब से वहां पर अधिकारियों को लगाते हैं. उसका ताजा उदाहरण पूर्व कलेक्टर निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव का भी मैंने दिया है. हिस्ट्रीशीटर और भ्रष्ट कलेक्टर को यह लगाते हैं, जो जेल में बंद हैं, इससे शर्मनाक बात भी नहीं हो सकती है.

राजनीति की मजबूरी भ्रष्ट लोग, बीजेपी भी नहीं बोलती

यह मजबूरी है राजनीति की कि भ्रष्ट लोगों को भी सारी पार्टियां संरक्षण देती हैं और भ्रष्ट लोगों का सरकार चलाने में महत्वपूर्ण योगदान भी है. बीजेपी जिसको बोलना चाहिए, वह बोल नहीं रही है. बीजेपी का रोल क्या है, अभी तक उन्होंने कोई प्रदर्शन बारां जिले में नहीं किया है. यह नहीं बोले हैं, इसलिए मैं बोल रहा हूं.

भरत सिंह को बोलने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए

विधायक भरत सिंह ने कहा कि एक मौत होती है और उस पर भरत सिंह को बोलने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. खुद से कार्रवाई होनी चाहिए, वहां के जनप्रतिनिधियों को बोलना चाहिए, उनको बोलना चाहिए और उससे भी ज्यादा दायित्व बनता है विपक्षी पार्टी है. जो भी गलत कार्य हो रहे हैं, इस बात को उजागर करें. लेकिन, जहां पर विपक्ष और पक्ष गलत कामों में एक हो जाते हैं, तो इस प्रकार की घटनाएं होती है और होती रहेंगी. इसीलिए जागरूक जनप्रतिनिधि और पद पर विधायक के नाते मैं हूं.

बारां जिले से फैल रहा भ्रष्टाचार

जब विधायक भरत सिंह से पूछा गया कि उन्होंने पत्र में नाम उजागर नहीं किया है तब जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान की राजधानी लिख देने के बाद जयपुर का नाम लिखना उचित नहीं है. इसी तरह से बारां जिले के भ्रष्ट मंत्री लिख देना उचित है. सब जानते हैं कि नाम लिखने की जरूरत नहीं है. साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट के दौरान कहा था कि भ्रष्टाचार कहां से फैल रहा है, यह गंगा किसने बनाई है. मुझे उसका स्रोत मालूम है, बारां जिले में है गंगोत्री यहां पर से बह रही है.

खुद जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए

सांगोद विधायक भरत सिंह ने कहा कि संवेदनशील व्यक्ति अपने आप ही अपना त्यागपत्र दे देता है, जैसे कि लाल बहादुर शास्त्री जब प्रधानमंत्री और रेल मंत्री थे, तो उन्होंने रेल दुर्घटना होने पर अपना इस्तीफा दे दिया था. जबकि यह नकटे लोग होते हैं, उनके लिए मांग की जाती है. मंत्री संवेदनशील आदमी होते तो दो बार सहरिया मजदूरों की मौत होने पर खुद ही जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए था. इसलिए ही ऐसे लोग हैं, उनके लिए मांग करनी चाहिए. यह लगते हैं कि इनकी मांग कर देना गलत नहीं हुई है, पार्टी हित में है.

Last Updated : Apr 4, 2021, 9:07 PM IST
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