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कोटा: हाड़ौती में किसानों को हुआ तिहरा नुकसान- पहले रकबा कम, फिर अतिवृष्टि और अब बेमौसम बारिश... अरबों गए पानी में

बेमौसम बरसात (Unseasonal Rain) ने किसानों (Farmers) की उम्मीद को भी पानी में बहा दिया है. इन हालातों में अब किसानों के सामने फिर चुनौती है कि वह कैसे उठकर खड़े होंगे. हजारों हेक्टेयर की तैयार खड़ी फसल जो कट के खेतों में पड़ी थी, उसका नुकसान हो गया है. करोड़ों रुपए का बीज पानी में चला गया है.

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हाड़ोती में किसानों को हुआ तिहरा नुकसान
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Published : Oct 24, 2021, 2:06 PM IST

Updated : Oct 24, 2021, 2:17 PM IST

कोटा: किसानों को हाड़ौती में तिहरा नुकसान हुआ है. पहले ही बुआई कम हुई थी, फिर अतिवृष्टि और अब बेमौसम बारिश ने उन्हें रुला दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि उनके करोड़ों रुपए का बीज उनका पानी में चला गया है. फसल का उत्पादन भी ठीक से नहीं होने से उन्हें अरबों रुपए का नुकसान है.

फसल आड़ी गिर गई है. इससे उत्पादन प्रभावित होगा. किसान पहले ही महंगा बीज व खाद लेकर अपनी फसल को उत्पादित कर रहा था, लेकिन उसको फायदे की जगह नुकसान मिला है. कृषि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 70696 हेक्टेयर में फसल पूरे हाड़ौती में खराब हुई है. हालांकि किसान इस सर्वे को ज्यादा बता रहे हैं. ये वह फसल ही जिसके दाम कुछ दिनों में किसानों को मंडी में मिलने वाले थे. जिसके बाद वह अपना कर्जा चुका है और घर का खर्च चलाते, लेकिन बेमौसम हुई बारिश उनकी फसल के ऊपर आफत बनकर गिरी है.

हाड़ौती में किसानों को हुआ तिहरा नुकसान

इस साल खरीफ के सीजन (Kharif Season) में जहां पर किसानों को 1140000 हेक्टेयर के आसपास जमीन पर बुवाई करनी थी. उसकी जगह पर 1097000 हेक्टेयर पर ही बुआई हो पाई थी. वही इसमें अतिवृष्टि के चलते 366000 हेक्टेयर में खराबा पहले ही हो गया था. हालांकि इनमें से कुछ किसानों को जिनका फसल बीमा था. उन्हें निष्फल बुवाई का क्लेम मिला है, लेकिन सभी को यह क्लेम नहीं मिल पाया है. जिनको क्लेम नहीं मिला था, वह किसान पहले ही नुकसान में रहे थे, वही बाद में अब जाते सीजन में बेमौसम हुई बारिश ने उनका और नुकसान कर दिया है.

Special: कोरोना का एक असर यह भी, बीकानेरी रसगुल्लों की मिठास और भुजिया के तीखेपन का स्वाद भूले लोग

मंडी में नहीं मिलेंगे दाम, क्वालिटी हुई घटिया
किसान नेता दुलीचंद बोरदा का कहना है कि किसानों की जो उपज कि क्वालिटी गिर गई है. इसके चलते उन्हें अच्छे दाम भी मंडी में नहीं मिलेंगे. मंडी में जहां पर अच्छी सोयाबीन के दाम 7 से 8 हजार रुपए से भी ज्यादा मिलते हैं, लेकिन अब किसानों को 3500 के आसपास की दाम मिलेंगे. क्योंकि दाना काला पड़ गया है और पूरा भाव उसका नहीं मिलेगा. जबकि समर्थन मूल्य से भी 1400 कम है. किसानों का कहना है कि महंगाई की मार हम झेल रहे हैं. महंगा बीज खेतों में डालना मजबूरी हो गया है, उसके बाद डीएपी किसानों को मिल नहीं रहा है. पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में अब हमारा जो कर्जा है वह उतरना ही मुश्किल है.

हाड़ौती में किस जिले में कितना नुकसान

जिलाभूमि (हेक्टयर)नुकसान प्रतिशत
बूंदी2911015 से 30
कोटा25616 20 से 30
बारां 13390 15 से 30
झालावाड़ 2490 10 से 20

धान में पहले नहीं हुआ खराबा और अब नष्ट

खरीफ की फसल की बुवाई के बाद हुई अतिवृष्टि से सोयाबीन, मक्का व उड़द में तो खराबा हुआ था, लेकिन धान की फसल में कोई खराबी नहीं हुई थी. अब धान की फसल भी खराब हो गई है. खड़ी हुई फसल ही आड़ी गिर गई है, इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ है. हाड़ौती में सबसे ज्यादा 38704 हेक्टेयर में धान की फसल खराब होना कृषि विभाग मान रहा है. दूसरी तरफ किसान नेताओं का कहना है कि बेमौसम बारिश के साथ जो हवा चली थी उससे धान की फसल में 40 से 50 फीसदी धान नीचे गिर गया है.

6042 हेक्टेयर में सरसों को नुकसान, दोबारा होगी बुवाई

रबी के सीजन (Rabi Season) की शुरुआत हुई है और सरसों की बुवाई चल रही थी. दरअसल, 48426 हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी है. जिनमें से 6042 हेक्टेयर में खेतों में पानी भर गया. क्योंकि इसकी बुवाई को 3 से 4 दिन ही हुए थे, ऐसे में सरसों की फसल खराब हो गई है. इन पूरे क्षेत्र में दोबारा बुवाई की जरूरत है. इनमें कोटा जिले में 742, बूंदी में 2500 और बारां में 2800 हेक्टेयर की फसल में खराबा हुआ है. किसानों का कहना है कि महंगा बीज खरीद कर उन्होंने सरसों की बुवाई की थी, लेकिन दोबारा हमारी बीच खरीदने की हिम्मत नहीं हो रही है. ऐसे में सरकार को मदद करनी चाहिए.

उपज के अनुसार नुकसान

चावल - 38704

सोयाबीन - 29722

उड़द - 1360

मक्का - 820

कोटा: किसानों को हाड़ौती में तिहरा नुकसान हुआ है. पहले ही बुआई कम हुई थी, फिर अतिवृष्टि और अब बेमौसम बारिश ने उन्हें रुला दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि उनके करोड़ों रुपए का बीज उनका पानी में चला गया है. फसल का उत्पादन भी ठीक से नहीं होने से उन्हें अरबों रुपए का नुकसान है.

फसल आड़ी गिर गई है. इससे उत्पादन प्रभावित होगा. किसान पहले ही महंगा बीज व खाद लेकर अपनी फसल को उत्पादित कर रहा था, लेकिन उसको फायदे की जगह नुकसान मिला है. कृषि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 70696 हेक्टेयर में फसल पूरे हाड़ौती में खराब हुई है. हालांकि किसान इस सर्वे को ज्यादा बता रहे हैं. ये वह फसल ही जिसके दाम कुछ दिनों में किसानों को मंडी में मिलने वाले थे. जिसके बाद वह अपना कर्जा चुका है और घर का खर्च चलाते, लेकिन बेमौसम हुई बारिश उनकी फसल के ऊपर आफत बनकर गिरी है.

हाड़ौती में किसानों को हुआ तिहरा नुकसान

इस साल खरीफ के सीजन (Kharif Season) में जहां पर किसानों को 1140000 हेक्टेयर के आसपास जमीन पर बुवाई करनी थी. उसकी जगह पर 1097000 हेक्टेयर पर ही बुआई हो पाई थी. वही इसमें अतिवृष्टि के चलते 366000 हेक्टेयर में खराबा पहले ही हो गया था. हालांकि इनमें से कुछ किसानों को जिनका फसल बीमा था. उन्हें निष्फल बुवाई का क्लेम मिला है, लेकिन सभी को यह क्लेम नहीं मिल पाया है. जिनको क्लेम नहीं मिला था, वह किसान पहले ही नुकसान में रहे थे, वही बाद में अब जाते सीजन में बेमौसम हुई बारिश ने उनका और नुकसान कर दिया है.

Special: कोरोना का एक असर यह भी, बीकानेरी रसगुल्लों की मिठास और भुजिया के तीखेपन का स्वाद भूले लोग

मंडी में नहीं मिलेंगे दाम, क्वालिटी हुई घटिया
किसान नेता दुलीचंद बोरदा का कहना है कि किसानों की जो उपज कि क्वालिटी गिर गई है. इसके चलते उन्हें अच्छे दाम भी मंडी में नहीं मिलेंगे. मंडी में जहां पर अच्छी सोयाबीन के दाम 7 से 8 हजार रुपए से भी ज्यादा मिलते हैं, लेकिन अब किसानों को 3500 के आसपास की दाम मिलेंगे. क्योंकि दाना काला पड़ गया है और पूरा भाव उसका नहीं मिलेगा. जबकि समर्थन मूल्य से भी 1400 कम है. किसानों का कहना है कि महंगाई की मार हम झेल रहे हैं. महंगा बीज खेतों में डालना मजबूरी हो गया है, उसके बाद डीएपी किसानों को मिल नहीं रहा है. पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में अब हमारा जो कर्जा है वह उतरना ही मुश्किल है.

हाड़ौती में किस जिले में कितना नुकसान

जिलाभूमि (हेक्टयर)नुकसान प्रतिशत
बूंदी2911015 से 30
कोटा25616 20 से 30
बारां 13390 15 से 30
झालावाड़ 2490 10 से 20

धान में पहले नहीं हुआ खराबा और अब नष्ट

खरीफ की फसल की बुवाई के बाद हुई अतिवृष्टि से सोयाबीन, मक्का व उड़द में तो खराबा हुआ था, लेकिन धान की फसल में कोई खराबी नहीं हुई थी. अब धान की फसल भी खराब हो गई है. खड़ी हुई फसल ही आड़ी गिर गई है, इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ है. हाड़ौती में सबसे ज्यादा 38704 हेक्टेयर में धान की फसल खराब होना कृषि विभाग मान रहा है. दूसरी तरफ किसान नेताओं का कहना है कि बेमौसम बारिश के साथ जो हवा चली थी उससे धान की फसल में 40 से 50 फीसदी धान नीचे गिर गया है.

6042 हेक्टेयर में सरसों को नुकसान, दोबारा होगी बुवाई

रबी के सीजन (Rabi Season) की शुरुआत हुई है और सरसों की बुवाई चल रही थी. दरअसल, 48426 हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी है. जिनमें से 6042 हेक्टेयर में खेतों में पानी भर गया. क्योंकि इसकी बुवाई को 3 से 4 दिन ही हुए थे, ऐसे में सरसों की फसल खराब हो गई है. इन पूरे क्षेत्र में दोबारा बुवाई की जरूरत है. इनमें कोटा जिले में 742, बूंदी में 2500 और बारां में 2800 हेक्टेयर की फसल में खराबा हुआ है. किसानों का कहना है कि महंगा बीज खरीद कर उन्होंने सरसों की बुवाई की थी, लेकिन दोबारा हमारी बीच खरीदने की हिम्मत नहीं हो रही है. ऐसे में सरकार को मदद करनी चाहिए.

उपज के अनुसार नुकसान

चावल - 38704

सोयाबीन - 29722

उड़द - 1360

मक्का - 820

Last Updated : Oct 24, 2021, 2:17 PM IST
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