कोटा. प्रदेश के पुलिस विभाग के मुखिया भूपेंद्र सिंह बुधवार को दो दिवसीय कोटा दौरे पर आए. यहां पर उन्होंने कोटा रेंज के सभी अधिकारियों के साथ क्राइम मीटिंग ली. इसके बाद मीडिया से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम के लिए दो अलग तरह से काम हो रहे हैं. इसमें एसओजी में अलग से शाखा तैयार की गई है. जो साइबर क्राइम के काम को देख रही है. उसी के अधीन साइबर क्राइम थाना जोड़ दिया गया है. एसओजी में साइबर क्राइम से लड़ने के लिए जो नई इकाई बनी है. उसे बेहतर संसाधन और एक्सपर्ट उपलब्ध करवाए जाएंगे.
साथ ही उन्होंने कहा कि इसी वित्तीय वर्ष में साइबर क्राइम यूनिट राजस्थान में काम करना शुरू कर देगी. उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम से लड़ने के लिए थाना स्तर और जिला स्तर पर पुलिस कर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है. ताकि वह साइबर क्राइम को अच्छी तरह से लड़ सकें. वहीं, उन्होंने कहा कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट हर जिले में बनाई जाए. सिंह ने कहा कि 40 से कम उम्र के पुलिसकर्मियों को ऑफिस या प्रशासनिक कार्य नहीं सौंपने के पीछे उद्देश्य है कि कम उम्र के साथियों को पुलिसिंग सीखने का पर्याप्त अवसर उन्हें नहीं मिलता है. वहीं दूसरी तरफ ग्राउंड पर काम करने वाले फोर्स में भी ऊर्जा का अभाव दिखता है.
डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जाति और इससे संबंधित विचार हमारे देश और प्रदेश की वास्तविकता है. पुलिस भी इससे अछूती नहीं रही है. उन्होंने हाल ही में जारी एक पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि अपने साथियों को याद दिलाया है कि हमारा जाति और संप्रदाय से कोई संबंध नहीं है. हम यूनिफॉर्म सर्विस में आ गए हैं. यह यूनिफार्म हमारी जाति और हमारा धर्म है.
इस दौरान डीजीपी ने कहा कि नशे को लेकर प्रदेश में जो प्रवृत्ति है. उसको लेकर पुलिस में चिंता है. बुधवार को भी जो मीटिंग हुई है या फिर जिस भी रेंज में मीटिंग हुई. वहां पर इस बात को अच्छी तरह से उठाया गया है. सभी पुलिस अधीक्षकों को भी कहा है कि विशेष कार्य योजना नशीले पदार्थों से लड़ने के लिए बनाएं. इसके लिए प्रदेश की एसओजी शाखा को भी काम सौंपा गया है.
डीजीपी ने कहा कि जो बच्चे या युवा नशे की लत से जुड़े हुए हैं, उनको नशा छुड़ाने के लिए राजस्थान पुलिस का कोई अभियान नहीं चलाया हुआ है. ऐसा प्रयास पुलिस को करना होगा, ताकि युवा और बच्चे वह नशे की प्रवृत्ति से दूर रहें और अपराधिक गतिविधियों में संलग्न न हों.