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'सरकार ने किसानों को पहुंचाया 400 करोड़ का घाटा...'

कोटा जिला कलेक्ट्रेट पर मंगलवार को किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान बड़ी संख्या में किसान सर्किट हाउस के बाहर एकत्रित हुए. यहां से सोशल डिस्टेंसिंग के रूप में रैली निकालते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे. जहां पर राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

कोटा समाचार, kota news
कलेक्ट्रेट पर किसानों का प्रदर्शन
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Published : Jul 21, 2020, 3:25 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 10:40 PM IST

कोटा. भारतीय किसान संघ के बैनर तले मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट पर किसानों ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बड़ी संख्या में किसान सर्किट हाउस से सोशल डिस्टेंसिंग के रूप में रैली बनाते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे और जमकर नारेबाजी की. किसानों का आरोप है कि समर्थन मूल्य पर किसानों का पूरा गेहूं नहीं तौला गया. इसके चलते किसानों को कम दाम पर अपना गेहूं बेचना पड़ा. इस चलते किसानों को सरकार ने 400 करोड़ का घाटा पहुंचाया है.

कलेक्ट्रेट पर किसानों का प्रदर्शन

इसके साथ ही किसान नेताओं ने मांग की है कि हम अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर पंद्रह सौ से ज्यादा ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारियों के जरिए सरकार तक पहुंचा चुके हैं. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में मजबूरन आंदोलन शुरू करना पड़ा है. किसानों ने यह भी कहा कि खरीफ की फसल में पिछले वर्ष अतिवृष्टि के चलते खराबी के बावजूद मुआवजा नहीं मिला. साथ ही फसल बीमा योजना की क्लेम राशि भी नहीं मिली है. इसके साथ ही सोयाबीन का बीज भी किसानों को समय पर नहीं मिला.

पढ़ें- श्रीगंगानगरः किसानों ने अध्यादेश का किया विरोध, ट्रैक्टरों के साथ किया प्रदर्शन

किसान नेताओं ने कहा कि उद्योगपतियों को 3 दिन में कनेक्शन मिल जाता है, लेकिन किसानों को कई सालों तक कनेक्शन नहीं मिलता है. पिछली सरकार ने 10 हजार रुपए की सलाना सब्सिडी बिजली बिल पर दी थी, जिसे बंद कर दिया है. इसके अनुसार 837 रुपए हर बिल पर किसान को छूट मिलती थी. इस पूरी राशि को एकमुश्त समायोजित बिल में किया जाए.

साथ ही नेताओं ने कहा कि समर्थन मूल्य पर नाम मात्र की खरीद की गई है. सात लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया. जबकि उत्पादन 20 लाख मीट्रिक टन था. मजबूरन किसानों को 15 लाख मीट्रिक टन बाजार में बेचा गया. इस हिसाब से 400 करोड़ रुपए का नुकसान किसानों को हुआ है. क्योंकि, समर्थन मूल्य की दर 1,925 रुपए प्रति क्विंटल होने के बावजूद बाजार में 1,600 से 1,700 के भाव में किसानों को बेचना पड़ा.

किसानों की प्रमुख मांगों में समर्थन मूल्य से कम में खरीदने को अपराध घोषित करना, भावांतर योजना लागू करना शामिल है. इसके साथ ही किसानों लॉकडाउन अवधि के घरेलू एवं कृषि श्रेणी के बिजली बिलों को माफ करना और कृषि कनेक्शनों को तुरंत देने की मांग उठाई है. किसान नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार ने बिजली, सहकारिता का ऋण नहीं मिलना, खरीद पूरी नहीं होना और सिंचाई के लिए पानी की मांगों को लेकर समाधान नहीं किया, तो किसान ग्राम से संग्राम अभियान छेड़ देंगे. जिसमें संभाग केंद्रों की तरफ हजारों की संख्या में किसान कूच करेंगे और धरना प्रदर्शन किया जाएगा. इस दौरान गांव, सड़क व कस्बे सभी बंद हो जाएंगे.

कोटा. भारतीय किसान संघ के बैनर तले मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट पर किसानों ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बड़ी संख्या में किसान सर्किट हाउस से सोशल डिस्टेंसिंग के रूप में रैली बनाते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे और जमकर नारेबाजी की. किसानों का आरोप है कि समर्थन मूल्य पर किसानों का पूरा गेहूं नहीं तौला गया. इसके चलते किसानों को कम दाम पर अपना गेहूं बेचना पड़ा. इस चलते किसानों को सरकार ने 400 करोड़ का घाटा पहुंचाया है.

कलेक्ट्रेट पर किसानों का प्रदर्शन

इसके साथ ही किसान नेताओं ने मांग की है कि हम अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर पंद्रह सौ से ज्यादा ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारियों के जरिए सरकार तक पहुंचा चुके हैं. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे में मजबूरन आंदोलन शुरू करना पड़ा है. किसानों ने यह भी कहा कि खरीफ की फसल में पिछले वर्ष अतिवृष्टि के चलते खराबी के बावजूद मुआवजा नहीं मिला. साथ ही फसल बीमा योजना की क्लेम राशि भी नहीं मिली है. इसके साथ ही सोयाबीन का बीज भी किसानों को समय पर नहीं मिला.

पढ़ें- श्रीगंगानगरः किसानों ने अध्यादेश का किया विरोध, ट्रैक्टरों के साथ किया प्रदर्शन

किसान नेताओं ने कहा कि उद्योगपतियों को 3 दिन में कनेक्शन मिल जाता है, लेकिन किसानों को कई सालों तक कनेक्शन नहीं मिलता है. पिछली सरकार ने 10 हजार रुपए की सलाना सब्सिडी बिजली बिल पर दी थी, जिसे बंद कर दिया है. इसके अनुसार 837 रुपए हर बिल पर किसान को छूट मिलती थी. इस पूरी राशि को एकमुश्त समायोजित बिल में किया जाए.

साथ ही नेताओं ने कहा कि समर्थन मूल्य पर नाम मात्र की खरीद की गई है. सात लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया. जबकि उत्पादन 20 लाख मीट्रिक टन था. मजबूरन किसानों को 15 लाख मीट्रिक टन बाजार में बेचा गया. इस हिसाब से 400 करोड़ रुपए का नुकसान किसानों को हुआ है. क्योंकि, समर्थन मूल्य की दर 1,925 रुपए प्रति क्विंटल होने के बावजूद बाजार में 1,600 से 1,700 के भाव में किसानों को बेचना पड़ा.

किसानों की प्रमुख मांगों में समर्थन मूल्य से कम में खरीदने को अपराध घोषित करना, भावांतर योजना लागू करना शामिल है. इसके साथ ही किसानों लॉकडाउन अवधि के घरेलू एवं कृषि श्रेणी के बिजली बिलों को माफ करना और कृषि कनेक्शनों को तुरंत देने की मांग उठाई है. किसान नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार ने बिजली, सहकारिता का ऋण नहीं मिलना, खरीद पूरी नहीं होना और सिंचाई के लिए पानी की मांगों को लेकर समाधान नहीं किया, तो किसान ग्राम से संग्राम अभियान छेड़ देंगे. जिसमें संभाग केंद्रों की तरफ हजारों की संख्या में किसान कूच करेंगे और धरना प्रदर्शन किया जाएगा. इस दौरान गांव, सड़क व कस्बे सभी बंद हो जाएंगे.

Last Updated : Jul 21, 2020, 10:40 PM IST
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