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पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को झटका: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे निर्माण को लेकर NHAI व एजेंसियों पर FIR दर्ज, सीएडी का नहरी तंत्र तोड़ने का आरोप

मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को कोटा व बूंदी जिले में झटका लगा है. निर्माण कर रही कंपनियों व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया पर कोटा और बूंदी जिले में मुकदमा दर्ज (FIR against NHAI and agencies in Bundi) हुआ है. चंबल के कमांड एरिया डेवलपमेंट विभाग (सीएडी) ने यह मुकदमा दर्ज करवाया है. मामला नहरी तंत्र को जर्जर करने का है.

FIR against NHAI and agencies in Kota and Bundi
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे निर्माण को लेकर NHAI व एजेंसियों पर FIR दर्ज
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Published : Mar 26, 2022, 8:41 PM IST

Updated : Mar 26, 2022, 11:35 PM IST

कोटा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Delhi Mumbai Industrial Corridor Project) का निर्माण कर रही कंपनियों व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया पर कोटा और बूंदी जिले में मुकदमा दर्ज हुआ (FIR against NHAI and agencies in Kota) है. यह मुकदमा किसी और ने नहीं राज्य सरकार के कमांड एरिया डेवलपमेंट (चंबल) विभाग (सीएडी) ने दर्ज करवाया है. मामला नहरी तंत्र को जर्जर करने का है, जिसमें सरकारी संपत्ति विरूपण अधिनियम 3 पीडीपी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. अधिकारियों का मानना है कि अगर अभी इन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगामी एरिया में करीब 15000 हेक्टेयर के किसानों को परेशानी उठानी पड़ेगी. उनके खेतों में पानी भर जाएगा, जिसका निकास भी नहीं होगा.

सीएडी के अतिरिक्त क्षेत्रीय विकास आयुक्त नरेश कुमार मालव का कहना है कि कोटा व बूंदी जिले में 182 जगह पर हाईवे निर्माण के लिए कंपनियों ने नहरी तंत्र को तोड़ा है, जिसमें से उन्होंने अनुमति केवल 29 जगह पर अनुमति ली है. अन्य जगह पर अनुमति लेने के लिए कई बार पत्र लिखा है. इसको लेकर हर स्तर पर मीटिंग हो चुकी है, कई मुद्दों पर सहमति भी बनी, लेकिन उन पर अमल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में हमने अभी मार्च महीने में ही निर्माण कंपनियों और एनएचआई पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए पत्र पुलिस को भेजे थे. इसमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का 3-पीडीपी का मुकदमा दर्ज किया गया है.

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे निर्माण को लेकर NHAI व एजेंसियों पर FIR दर्ज

पढ़ें: Famer Protest In Kota : किसानों ने रुकवाया मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट भारत माला का काम, बैठे धरने पर

उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट, सरकार के स्तर पर मामला: बाईं मुख्य नहर के अधीक्षण अभियंता राधा मोहन शर्मा का कहना है कि उनके यहां पर हाईवे निर्माण कंपनी ने 44 नहरी स्ट्रक्चर पर निर्माण कार्य किया है. इनमें से 33 धोरे और 7 कैनाल माइनर हैं, जिनमें स्वीकृति पांच की ही ली गई है. इसी तरह से दाईं मुख्य नहर के अधीक्षण अभियंता लखनलाल गुप्ता का कहना है कि उनके एरिया में 142 स्ट्रक्चर पर काम हुआ है. इनमें से केवल 24 के निर्माण की ही अनुमति ली गई है. अन्य के लिए उन्हें पत्र भी लिखा हुआ है. वह अनुमति नहीं ले रहे हैं, जबकि निर्माण लगातार जारी है. हमने इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है. साथ ही राज्य सरकार तक भी यह बात पहुंचा दी है.

पढ़ें: Delhi Mumbai Expressway : किसानों ने रोका एक्सप्रेस-वे का काम, PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में 2500 मजदूरों का छूटा रोजगार...पलायन को मजबूर

नहरी तंत्र का बदल दिया एलाइनमेंट: सीआईडी के अधिकारियों का मानना है कि कई जगहों पर बिना स्वीकृति के ही निर्माण शुरू कर दिया गया. इसके साथ ही सिंचाई तंत्र का भी एलाइनमेंट बदल दिया है. अब वहां नया स्ट्रक्चर तैयार करवाया जा रहा है. इसके चलते आगे जाकर पानी में बैरियर हो रहा है. कई जगह पर किसानों को रास्ता देना था, ताकि उनके कृषि उपयोगी उपकरण और ट्रैक्टर ट्रॉली निकल सकें, लेकिन यह भी नहीं हो पाया. इस हाइवे निर्माण के चलते कई धोरे बंद हो गए हैं और अब उन खेतों में पानी भरेगा. उसके चलते वहां की खेती बर्बाद हो जाएगी.

सीडा और केचमेंट एरिया भी हो गया बर्बाद: कोटा जिले में नहरी सिंचाई के लिए केचमेंट एरिया बनाया हुआ था. ऐसे में इन खेतों के नजदीक से हाईवे निकलने के चलते यह केचमेंट एरिया पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. इससे वहां पर आने वाले समय में पानी भरेगा. क्योंकि कई जगह पर केचमेंट एरिया से जुड़ी ड्रेन से पानी खेतों के बाहर चला जाता था. खेतों में ज्यादा पानी होता था. इसी तरह से सीडा पाइप के जरिए भी कनाडा सरकार की मदद से कई खेतों को तैयार करवाया गया था, ताकि उनमें होने वाला एक्सेस पानी भूमि के 5 फीट नीचे बिछाए पाइपों के जरिए निकल जाए. साथ ही इन खेतों में फास्फोरस की मात्रा ज्यादा भी नहीं रहती थी. नमी भी कम हो जाती थी. यह सीडा सिस्टम भी एक्सप्रेस-वे के निर्माण के चलते प्रभावित हुआ है.

पढ़ें: मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर राजस्थान सुस्त, हरियाणा में दिल्ली-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे का काम हुआ शुरू, अलवर में किसानों को अब तक नहीं मिला मुआवजा

पांच जगह शिकायत, तीन जगह दर्ज हुआ मुकदमा: सीएडी के अधिकारियों ने पांच जगह पर अलग-अलग मुकदमे दर्ज करवाने के लिए लिखा था. इनमें से तीन मुकदमे दर्ज हुए हैं. जिसमें कोटा जिले में सुल्तानपुर और बूंदी जिले में देईखेड़ा में मुकदमा दर्ज हुआ है. जबकि कोटा जिले के बूढ़ादीत और दीगोद इलाके में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. सुल्तानपुर थाने के सब इंस्पेक्टर महावीर भार्गव का कहना है कि उन्हें सीएडी के अधिकारियों से शिकायत मिली थी. जिसमें ड्रेन व धोरे तोड़ने का मामला है. इस पर निर्माण कर रही कंपनी सीडीएस व एनएचएआई पर मुकदमा दर्ज किया है.

बूंदी जिले के देईखेड़ा थाने के एसएचओ सत्यनारायण का कहना है कि एनएचएआई और जीआर इंफ्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इस मामले की जांच चल रही है व मौका निरीक्षण कर बयान भी लिए गए हैं. जबकि इसी तरह की शिकायत दीगोद थाने को भी दी थी. वहां के एसएचओ रमेश सिंह का कहना है कि हमें केवल जांच के लिए कहा था और कंपनी प्रतिनिधियों ने हमें जवाब दिया है. जिसमें उन्होंने बताया है कि जमीन ही अवाप्त कर ली, तो फिर किसी तरह का कोई मुकदमा उनके खिलाफ नहीं बनता है. इसी तरह से बूढ़ादीत थाना एसएचओ अविनाश कुमार का कहना है कि उन्हें शिकायत मिली है. इसकी जांच चल रही है.

कोटा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Delhi Mumbai Industrial Corridor Project) का निर्माण कर रही कंपनियों व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया पर कोटा और बूंदी जिले में मुकदमा दर्ज हुआ (FIR against NHAI and agencies in Kota) है. यह मुकदमा किसी और ने नहीं राज्य सरकार के कमांड एरिया डेवलपमेंट (चंबल) विभाग (सीएडी) ने दर्ज करवाया है. मामला नहरी तंत्र को जर्जर करने का है, जिसमें सरकारी संपत्ति विरूपण अधिनियम 3 पीडीपी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. अधिकारियों का मानना है कि अगर अभी इन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगामी एरिया में करीब 15000 हेक्टेयर के किसानों को परेशानी उठानी पड़ेगी. उनके खेतों में पानी भर जाएगा, जिसका निकास भी नहीं होगा.

सीएडी के अतिरिक्त क्षेत्रीय विकास आयुक्त नरेश कुमार मालव का कहना है कि कोटा व बूंदी जिले में 182 जगह पर हाईवे निर्माण के लिए कंपनियों ने नहरी तंत्र को तोड़ा है, जिसमें से उन्होंने अनुमति केवल 29 जगह पर अनुमति ली है. अन्य जगह पर अनुमति लेने के लिए कई बार पत्र लिखा है. इसको लेकर हर स्तर पर मीटिंग हो चुकी है, कई मुद्दों पर सहमति भी बनी, लेकिन उन पर अमल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में हमने अभी मार्च महीने में ही निर्माण कंपनियों और एनएचआई पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए पत्र पुलिस को भेजे थे. इसमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का 3-पीडीपी का मुकदमा दर्ज किया गया है.

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे निर्माण को लेकर NHAI व एजेंसियों पर FIR दर्ज

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उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट, सरकार के स्तर पर मामला: बाईं मुख्य नहर के अधीक्षण अभियंता राधा मोहन शर्मा का कहना है कि उनके यहां पर हाईवे निर्माण कंपनी ने 44 नहरी स्ट्रक्चर पर निर्माण कार्य किया है. इनमें से 33 धोरे और 7 कैनाल माइनर हैं, जिनमें स्वीकृति पांच की ही ली गई है. इसी तरह से दाईं मुख्य नहर के अधीक्षण अभियंता लखनलाल गुप्ता का कहना है कि उनके एरिया में 142 स्ट्रक्चर पर काम हुआ है. इनमें से केवल 24 के निर्माण की ही अनुमति ली गई है. अन्य के लिए उन्हें पत्र भी लिखा हुआ है. वह अनुमति नहीं ले रहे हैं, जबकि निर्माण लगातार जारी है. हमने इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है. साथ ही राज्य सरकार तक भी यह बात पहुंचा दी है.

पढ़ें: Delhi Mumbai Expressway : किसानों ने रोका एक्सप्रेस-वे का काम, PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में 2500 मजदूरों का छूटा रोजगार...पलायन को मजबूर

नहरी तंत्र का बदल दिया एलाइनमेंट: सीआईडी के अधिकारियों का मानना है कि कई जगहों पर बिना स्वीकृति के ही निर्माण शुरू कर दिया गया. इसके साथ ही सिंचाई तंत्र का भी एलाइनमेंट बदल दिया है. अब वहां नया स्ट्रक्चर तैयार करवाया जा रहा है. इसके चलते आगे जाकर पानी में बैरियर हो रहा है. कई जगह पर किसानों को रास्ता देना था, ताकि उनके कृषि उपयोगी उपकरण और ट्रैक्टर ट्रॉली निकल सकें, लेकिन यह भी नहीं हो पाया. इस हाइवे निर्माण के चलते कई धोरे बंद हो गए हैं और अब उन खेतों में पानी भरेगा. उसके चलते वहां की खेती बर्बाद हो जाएगी.

सीडा और केचमेंट एरिया भी हो गया बर्बाद: कोटा जिले में नहरी सिंचाई के लिए केचमेंट एरिया बनाया हुआ था. ऐसे में इन खेतों के नजदीक से हाईवे निकलने के चलते यह केचमेंट एरिया पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. इससे वहां पर आने वाले समय में पानी भरेगा. क्योंकि कई जगह पर केचमेंट एरिया से जुड़ी ड्रेन से पानी खेतों के बाहर चला जाता था. खेतों में ज्यादा पानी होता था. इसी तरह से सीडा पाइप के जरिए भी कनाडा सरकार की मदद से कई खेतों को तैयार करवाया गया था, ताकि उनमें होने वाला एक्सेस पानी भूमि के 5 फीट नीचे बिछाए पाइपों के जरिए निकल जाए. साथ ही इन खेतों में फास्फोरस की मात्रा ज्यादा भी नहीं रहती थी. नमी भी कम हो जाती थी. यह सीडा सिस्टम भी एक्सप्रेस-वे के निर्माण के चलते प्रभावित हुआ है.

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पांच जगह शिकायत, तीन जगह दर्ज हुआ मुकदमा: सीएडी के अधिकारियों ने पांच जगह पर अलग-अलग मुकदमे दर्ज करवाने के लिए लिखा था. इनमें से तीन मुकदमे दर्ज हुए हैं. जिसमें कोटा जिले में सुल्तानपुर और बूंदी जिले में देईखेड़ा में मुकदमा दर्ज हुआ है. जबकि कोटा जिले के बूढ़ादीत और दीगोद इलाके में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. सुल्तानपुर थाने के सब इंस्पेक्टर महावीर भार्गव का कहना है कि उन्हें सीएडी के अधिकारियों से शिकायत मिली थी. जिसमें ड्रेन व धोरे तोड़ने का मामला है. इस पर निर्माण कर रही कंपनी सीडीएस व एनएचएआई पर मुकदमा दर्ज किया है.

बूंदी जिले के देईखेड़ा थाने के एसएचओ सत्यनारायण का कहना है कि एनएचएआई और जीआर इंफ्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इस मामले की जांच चल रही है व मौका निरीक्षण कर बयान भी लिए गए हैं. जबकि इसी तरह की शिकायत दीगोद थाने को भी दी थी. वहां के एसएचओ रमेश सिंह का कहना है कि हमें केवल जांच के लिए कहा था और कंपनी प्रतिनिधियों ने हमें जवाब दिया है. जिसमें उन्होंने बताया है कि जमीन ही अवाप्त कर ली, तो फिर किसी तरह का कोई मुकदमा उनके खिलाफ नहीं बनता है. इसी तरह से बूढ़ादीत थाना एसएचओ अविनाश कुमार का कहना है कि उन्हें शिकायत मिली है. इसकी जांच चल रही है.

Last Updated : Mar 26, 2022, 11:35 PM IST
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