कोटा. जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है, जिसमें कर्फ्यू एरिया में एंबुलेंस नहीं पहुंचने के चलते मरीज को समय पर उपचार नहीं मिला. परिजन मरीज को ठेले पर लेकर कर्फ्यू एरिया के बाहर लेकर आए और बड़ी मुश्किल से उसे एमबीएस अस्पताल पहुंचाया गया. लेकिन उसके पहले ही मरीज ने दम तोड़ दिया. परिजनों का आरोप है कि प्रशासन का डेढ़ घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची. इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो गई.
घटना सुबह 11:30 बजे के आसपास की है. रामपुरा फतेह घड़ी हनुमान मंदिर के पास रहने वाले सतीश अग्रवाल घर पर ही बाथरूम में गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गए और बेहोशी की हालत में चले गए. उनके परिजन बेटे मनीष अग्रवाल और पत्नी गायत्री ने एम्बुलेंस को बुलाने का प्रयास किया, लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से 1:30 घंटा इंतजार करने के बाद भी कोई एंबुलेंस वाला उनके घर के नजदीक नहीं पहुंचा.
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घटना की जानकारी आसपास में रहने वाले पड़ोसियों को दी, तो उन्होंने एक ठेले पर सतीश अग्रवाल को लिटाया. वहीं बमुश्किल परिजन ठेले को चलाते हुए चलाते हुए लाडपुरा होते हुए नयापुरा पहुंचे. जहां पर इनके परिचित हिमांशु अग्रवाल ने एक एंबुलेंस की व्यवस्था करवाई. इस दौरान सतीश अग्रवाल अपने परिजनों से बोलने की कोशिश कर रहे थे और उनकी सांस भी चल रही थी, जिसे लेकर तुरंत एमबीएस अस्पताल पहुंचे, लेकिन चिकित्सकों ने सतीश अग्रवाल को मृत घोषित कर दिया. अस्पताल प्रबंधन ने भी कोरोना हॉट स्पॉट एरिया से आने के चलते, मृतक सतीश अग्रवाल की बॉडी को मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भिजवा दिया. जहां पर मोर्चरी में रखवा दिया गया है. वहीं कोरोना जांच के नमूने लिए गए हैं.
एमबीएस स्टॉफ ने की लापरवाही...
मृतक के रिश्तेदार अंशु का कहना है कि जब वह नयापुरा तक सतीश अग्रवाल को लेकर आए थे, वे बोलने की कोशिश कर रहे थे. यहां तक कि उनकी सांसें भी चल रही थी. इसके बाद जब एमबीएस में आए तो अस्पताल में बैठे हुए चिकित्सक उन्हें 104 और 125 नंबर कमरे की ओर ही टालते रहे. किसी ने भी मरीज को नहीं देखा. बाद में उन्हें रैन बसेरे में संचालित कोरोना ओपीडी में भेजा गया. जहां पर मरीज की ईसीजी लिखी और ईसीजी की रिपोर्ट मिलने पर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.