कोटा. शहर के चंबल घड़ियाल सेंचुरी की सहायक नदी चंद्रेसल नदी में एक दिन पहले मृत पड़े मिले दोनों मगरमच्छ का मंगलवार को पोस्टमार्टम देवली अरब स्थित कोटा वन मंडल की वन चौकी पर किया गया. पोस्टमार्टम में सामने आया है कि मृत मिला एक उम्रदराज नर मगरमच्छ है, जिसकी लंबाई 11 फीट और इसका वजन करीब 250 किलो है. दूसरा मगरमच्छ मादा है, जिसकी लंबाई 7 फ़ीट और वजन करीब 150 किलो है.
मेडिकल बोर्ड की प्राथमिक रिपोर्ट के मुताबिक मादा मगरमच्छ की मौत करीब 48 घंटे तो नर 24 घंटे पहले मौत हुई है. प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक दोनों मगरमच्छ की मौत श्वसन तंत्र में संक्रमण के फैल जाने से बताई गई है. बताया जा रहा है यह दोनों ही मगरमच्छ इंफेक्शन के चलते चल फिर नहीं पा रहे थे. काफी दिनों से पानी से भी दूर ही थे. इस मेडिकल बोर्ड में मौखापाड़ा बहुद्देशीय पशु चिकित्सालय के उपनिदेशक डॉ. गणेश नारायण दाधीच, डॉ. अखिलेश पांडे और डॉ. अशफाक खान शामिल थे.
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शरीर पर मिले चोटों के निशान, पॉलिथीन भी मिली-
मृत मिले दोनों मगरमच्छों के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान भी मिले हैं. नर मगरमच्छ के आगे के दोनों पंजे कटे हुए हैं. साथ ही शरीर पर बड़े भारी पत्थर की चोट के निशान शरीर पर मिले हैं. वहीं मादा मगरमच्छ का ऊपरी जबड़ा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मिला और जबड़े की हड्डियां टूटी हुई मिली है. चौंकाने वाली बात यह सामने आई जब तीन चिकित्सकों ने मेडिकल बोर्ड के रूप में पोस्टमार्टम किया तो नर मगरमच्छ के पेट से एक साबूत पॉलिथीन और कई पॉलिथीन के टुकड़े भी निकले.
मगरमच्छ के पेट के अंदर से पॉलिथीन निकलने पर मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर भी चौक गए. उन्होंने मामले को बड़ा गंभीर बताया कहा हमारी नदिया, तालाब और पोखर भी पॉलिथीन से अछूते नहीं हैं. साथ ही नर मगरमच्छ के अंदर पेट में लकड़ी के टुकड़े, कांच के टुकड़े, पत्थर के टुकड़े भी मिले हैं. मगरमच्छ के पेट के अंदर शिकार किए गए जानवर के चारों पंजे मिले हैं. मादा मगरमच्छ के पेट के अंदर लकड़ी, कांच और पत्थर के टुकड़े निकले हैं.
सड़ा मांस खाने और प्रदूषित पानी से फैला संक्रमण-
नर मगरमच्छ के दोनों पंजे आगे से कटे हुए हैं. वह काफी दिनों से पानी से बाहर था, ऐसे में वह हाइड्रेट भी मिला. साथ ही डॉ. अखिलेश पांडे ने बताया कि पोस्टमार्टम के दौरान बड़े मगरमच्छ के पेट के अंदर से कई शिकार का सड़ा गला मांस मिला. संभव मगरमच्छ ने बहुत पुराना सड़ा गला मांस भी खाया है.
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डॉक्टरों ने कहा कि जिस नदी में मगरमच्छ मृत पड़े मिले उसका पानी काफी ज्यादा प्रदूषित है. ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि नदी के पानी के कारण संक्रमण मगरमच्छ के शरीर में फैला हो.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज होगा मुकदमा-
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मगरमच्छ के शरीर पर चोट लगे थे. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा. साथ ही आरोपियों की पड़ताल की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. मेडिकल बोर्ड से दोनों मगरमच्छ के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद वन विभाग ने शवों को डिस्पोजल कर दिया. पोस्टमार्टम के दौरान लाडपुरा रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी संजय नागर और चंबल घड़ियाल सेंचुरी के प्रतिनिधि के रूप में इटावा रेंज से वन रक्षक कमलेश मीणा भी मौजूद रहे.