कोटा. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने परिवार के परिवार उजाड़ दिए कई परिवारों में तो मुखिया के चले जाने के बाद पीछे बच्चे और महिलाएं खाने पीने की तक मोहताज होने लगे हैं. ऐसा ही एक मामला कोटा शहर के रावतभाटा रोड स्थित नया गांव का है. जहां किराए के मकान में 4 बच्चों के साथ पति पत्नी पिछले 20 साल से जीवन यापन कर रहे थे.
22 मई को परिवार के मुखिया को कोरोना ने छीन लिया. जिसके बाद बच्चे और पत्नी के सामने विकट संकट आ खड़ा हुआ. परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार 33 वर्षीय वीरेंद्र पांचाल नया गांव में किराए के मकान में पिछले 20 वर्षों से रह रहा है और फर्नीचर का काम करता था. 7 मई को तबीयत बिगड़ी तो एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया जहां तबीयत में सुधार होने पर 13 मई को डिस्चार्ज करवा दिया गया. कुछ समय तक घर पर ही यह स्वस्थ रहे. बाद में 22 मई को अचानक तबीयत बिगड़ी सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो एंबुलेंस बुलवाकर अस्पताल लेकर जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया
एक बेटी और 3 बेटे छोड़ गए पीछे
वीरेंद्र पांचाल के 3 बेटे और 1 बेटी हैं जिसमें सबसे बड़ी बेटी दिव्या 15 वर्ष की है जो कि दसवीं कक्षा में पढ़ रही है. दूसरा बेटा मोनीष 15 वर्ष का है जो सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है. तीसरा बेटा हेमंत पांचाल 12 वर्ष का है जो की छठी कक्षा में पढ़ रहा है. वही छोटा बेटा ललित पांचाल 10 साल का है जो कि चौथी कक्षा में पढ़ रहा है.
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मृतक वीरेंद्र की पत्नी बबीता ने बताया कि वह एक ग्रहणी है जिसने कभी बाहर जाकर काम नहीं किया. पति ही राशन पानी लाकर दे देते थे, अब जिम्मेदारियां भी बढ़ गई है. पति के इलाज में भी काफी पैसा खर्च हो गया, इससे कर्जा भी बढ़ गया. बबीता पांचाल ने बताया कि किराए के मकान में रह रहे हैं. अब यही सोचना है कि आगे क्या होगा. अब इन बच्चों का भविष्य कैसे सवरेगा.