कोटा. कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने अब प्रशासन की तरफ से हथियार के लाइसेंस पर की जाने वाली देरी पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसके लिए ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोला है. साथ ही प्रदेश के गृहमंत्री अशोक गहलोत को भी पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सामान्य व्यक्ति को लाइसेंस 3 साल तक नहीं दिया जाता है, जबकि प्रशासनिक अधिकारियों को चंद महीनों में ही लाइसेंस उपलब्ध करा दिए जा रहे हैं. इसमें कोटा में लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारी एडीएम सिटी आरडी मीणा को भी उन्होंने अपने निशाने पर रखा है.
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मामले के अनुसार विधायक भरत सिंह ने पत्र में सांगोद विधानसभा इलाके के सावनभादो निवासी कांग्रेस नेता पवन कुमार शर्मा के पिता के निधन के बाद 2 साल में भी लाइसेंस जारी नहीं करने की बात लिखी है. इसके अलावा एक अन्य आवेदक एडवोकेट वाहिद खान का भी जिक्र किया है, जिनके पिता की मौत के बाद उनकी बंदूक को वे नए लाइसेंस में दर्ज करवाना चाहते थे, लेकिन आवेदन को 3 साल पूरे होने के बाद भी घुमाए जाने की बात लिखी है. रोज उन्हें आज और कल जारी कर देने की बात कही जा रही है.
प्रशासनिक अधिकारी को रिटायरमेंट के बाद लाइसेंस की क्या जरूरत...
विधायक भरत सिंह ने पत्र में जिक्र किया है कि कोटा के पूर्व संभागीय आयुक्त एलएन सोनी को जिला प्रशासन ने आवेदन के 1 महीने के उपरांत ही लाइसेंस जारी कर दिया है. भरत सिंह ने पत्र में सवाल उठाया है कि रिटायरमेंट के बाद जान को कोई खतरा है क्या. साथ ही लिखा है कि अपराध जगत से जुड़े लोगों को सहजता से अवैध हथियार उपलब्ध हो जाते हैं जबकि भला आदमी लाइसेंस लेने के लिए चक्कर ही काटता रहता है.
एडीएम सिटी का बेटा बैंक कार्मिक फिर हथियार की क्या जरूरत
कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों पर भी आरोप लगाया है कि वे अपने या अपने परिजनों के लाइसेंस तुरंत जारी करवा देते हैं. जबकि आम लोगों को नए लाइसेंस देने में परेशान किया जाता है. भरत सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि कोटा शहर में एडीएम सिटी आरडी मीणा ही लाइसेंस जारी करवाते हैं, लेकिन उनके बेटे विनायक कृष्ण मीणा ने 1 फरवरी 2021 को नया आवेदन फॉर्म जमा कराया गया था, जिसको 3 महीने के अंदर ही जारी कर दिया गया है या फिर कर दिया जाएगा,
जबकि विनायक कृष्ण मीना बैंक में नौकरी करते हैं. इनको आर्म्स लाइसेंस की आवश्यकता ही क्यों है. साथ ही उन्होंने आरएएस आरडी मीणा पर आरोप लगाया है कि ये वही अधिकारी हैं जो आवेदकों को लाइसेंस जारी करने में परेशान करते हैं. जबकि इनके स्वयं के लिए नियम अलग इन्होंने बनाए हैं.