कोटा. प्रदेश के कोटा जिले को शिक्षा नगरी के नाम से भी जाना जाता है. जिले में मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए बाहर के राज्यों और अन्य जिलों से लगभग दो लाख छात्र आते हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान यहां के ज्यादातर छात्रों को उनके गृह राज्यों में भेजा गया है. कोरोना काल के चलते सभी कोचिंग संस्थाए बंद हैं.
इसकी वजह से कोचिंग सेंटरों में सन्नाटा पसरा है, और छोटी कोचिंग संस्थान चलाने वालों पर रोजी-रोटी का संकट गहराया हुआ है. आर्थिक संकट से गुजरते हुए शनिवार को कोचिंग संचालकों के सब्र का बांध टूट गया. कोचिंग संचालक हाथों में तख्तियां लेकर शनिवार को घटोत्कच चौराहे पर एकत्रित हुए और मानव श्रृंखला बनाकर राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
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वहीं, कोचिंग संचालकों ने बताया कि सरकार ने कोरोना काल मे लॉकडाउन के बाद सभी चीजें चालू कर दी हैं. हर व्यवसाय के लिए गाइडलाइन आ चुकी है, लेकिन कोचिंग संस्थानों को अभी तक शुरू नहीं किया गया है. संचालकों ने कहा कि वे कब तक बंद कोचिंग का किराया देते रहेंगे. कोचिंग संचालकों का कहना है कि हमारा भी परिवार है, बच्चे हैं खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है. सरकार हमे बताए की कब तक हम कोचिंग बंद रखेंगे या फिर अगर चालू नहीं करना हो तो वह भी बताए ताकि हम धंधा बदल लें. वरना इसी तरह सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करते रहेंगे.
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कोचिंग संचालकों ने चेतावनी दी है कि, अगर सरकार हमारी मांगे नही मानती तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे. संचालकों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कम से कम आठ- दस बच्चे ही बैठाने की व्यवस्थाओं की गाइडलाइन जारी कर हमारी आर्थिक स्तिथि को सुधारा जाए.