कोटा. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को हाड़ौती के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे (CM Gehlot Aerial survey in Hadoti) किया. इस दौरान मीडिया से बातचीत में सीएम ने कहा कि हाड़ौती के कई इलाकों में चंबल और अन्य सहायक नदियों में उफान आने के चलते बाढ़ जैसे हालात हड़ताल बनते हैं. ऐसे में ईआरसीपी प्रोजेक्ट की जरूरत है. इसके चलते लाखों लोग परेशान हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि ईआरसीपी योजना को स्वीकृति नहीं मिलने से भारी मात्रा में पानी समुद्र में मिल जाएगा. अगर योजना को स्वीकृति मिलती, तो कई जिलों को पानी और फसलों को जीवनदान मिलता.
कोटा में उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला (Gehlot targets Center on ERCP) बोला. उन्होंने कहा कि भारी मात्रा में पानी व्यर्थ जाकर समुद्र में ही मिल जाएगा. अगर ईस्टर्न राजस्थान केनाल योजना को स्वीकृति मिलती है और इस पानी को रोका जाता है, तो कई जिलों को पानी और फसलों को भी जीवनदान मिलेगा. इसके अलावा 80 हजार हेक्टेयर में फैला नहरी तंत्र दोबारा से सुदृढ़ हो जाएगा.
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उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस योजना को बिना कारण ही होल्ड पर डाला जा रहा है. जबकि हमने चंबल नदी में जा रहे हाड़ौती की नदियों के पानी का कैलकुलेशन करवाया है. धौलपुर में हमने अधिकारियों से इसका गेज करवाया है. उन्होंने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का बिना नाम लिए हुए कहा कि राजस्थान के नेता केंद्र सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं, लेकिन एक योजना को वह राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने में सफल नहीं हो पाए हैं.
वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कन्वेंस नहीं कर पा रहे हैं. गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी हमें पत्र लिखकर ईआरसीपी प्रोजेक्ट के काम को बंद करने के लिए कह रहे हैं. जबकि उन्होंने कोई पैसा नहीं दिया है और यह पानी का विषय भी राज्यों का आपसी होता है. उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना से समृद्धि आई है. बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली सहित कई जिलों में पीने का पानी आ गया. बीकानेर के रेगिस्तानी इलाके को भी इससे फायदा हुआ है.
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जिसने बनाई, वही अब मना कर रहा : गहलोत ने कहा कि यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने योजना बनाई थी. इसको मैं समझता हूं कि यह पॉलिटिकल मामला है. केंद्र सरकार चाहती है कि कांग्रेस की सरकार आ गई है, तो क्यों इस योजना को लागू किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति ने यह योजना बनाई थी वह मिस्टर वैदेरे हैं. इन्होंने ही राजस्थान में बतौर कंसलटेंट और एडवाइजर इस योजना को बनाया था. अब वही मिस्टर वैदेरे केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय में कंसलटेंट हैं. वे भी ही इस योजना को बंद करने के लिए कह रहे हैं. केंद्र सरकार को इस पूरे मसले पर जवाब देना चाहिए. वे हमेशा ही 75 और 50 की बात कर गुमराह कर रहे हैं. यह योजना स्टेट गवर्नमेंट ने बनाई थी.
मध्य प्रदेश क्यों कर रहा ऑब्जेक्शन : सीएम गहलोत ने कहा कि यह प्रोजेक्ट राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की बैठक में समझौता के आधार पर ही बनी है. मध्यप्रदेश ने अपने बड़े-बड़े बांध इसमें बना लिए हैं. राजस्थान सरकार ने उनको एनओसी भी दी है. इन बांधों में राजस्थान से होकर ही पानी जाएगा. ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार ईआरसीपी प्रोजेक्ट पर ऑब्जेक्शन कर रही है या फिर राजनीतिक रूप से उनसे केंद्र सरकार करवा रही है, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है.
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रिफाइनरी की तरह इसकी भी बढ़ेगी लागत: गहलोत ने आरोप लगाया कि राजस्थान में हमारी सरकार बदलने के बाद 2013 से ही रिफाइनरी के काम को रोक दिया गया था. ऐसे में उसकी लागत 40,000 करोड़ से बढ़कर 70,000 करोड़ रुपए हो गई है. इसी तरह से यह ईआरसीपी प्रोजेक्ट भी 40,000 करोड़ रुपए का है. इसकी भी लागत आने वाले दिनों में बढ़ जाएगी. राज्यों के पास पैसा नहीं होता है, इसके बावजूद भी हमने इसके लिए 9000 करोड़ का बजट रखा है.
गलत बोले बड़ा नुकसान हुआ, हर संभव मदद करेंगे: गहलोत ने कहा कि लोगों को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में भी पानी अभी भरा हुआ है. साथ ही उनके मकान भी टूट गए हैं. इन सब का सर्वे करवाया जाएगा और जितना संभव होगा, उतनी मदद की जाएगी. साथ ही कहा कि पानी भी लगातार कम हो रहा है. इससे भी लोगों को राहत मिल रही है. इस पूरे बाढ़ के मामले में हजारों लोगों का रेस्क्यू किया गया है. जिसमें एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस, सेना और नगर निगम की रेस्क्यू टीम में शामिल रही हैं. हेलीकॉप्टर से भी से 9 लोगों को बचाया है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के सवाल पर जोड़ें अशोक गहलोत ने हाथ: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के सवाल पर गहलोत ने हाथ जोड़ते हुए प्रेस कांफ्रेंस समाप्ति की घोषणा कर दी. इससे पहले गहलोत ने यूडीएच मंत्री धारीवाल की तारीफ करते हुए कोटा शहर में चल रहे विकास कार्यों की बात कही. उन्होंने कहा कि धारीवाल ने कोटा शहर का नक्शा बदल दिया है. यहां पर एक रिवर फ्रंट नहीं, कई रिवर फ्रंट बन रहे हैं. गहलोत ने कहा कि मंत्री धारीवाल ने कसम खा रही थी कि जब तक मेरी कलम चलेगी, मैं कोटा का नक्शा बदल दूंगा और यह इस तरह से नक्शा बदल भी रहे हैं.
अपने दौरे के दौरान गहलोत ने कोटा में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और उन्हें सर्वे करवाकर मुआवजा दिलाने की बात भी कही. इसके साथ ही उन्होंने फसलों को हुए नुकसान के मसले पर कहा कि गिरदावरी करवाई जा रही है. जिसके बाद किसानों को मुआवजे की घोषणा भी की जाएगी. इस दौरान गहलोत के साथ यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, खनन एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, कोटा के प्रभारी व चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा, विधायक भरत सिंह और रामनारायण मीणा भी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री के जाते ही फिर बदल गई व्यवस्था: मुख्यमंत्री के कोटा में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात का कार्यक्रम था. जिसको लेकर मोंटेसरी स्कूल में आनन-फानन में प्रशासन ने सभी व्यवस्थाएं की थीं. कूलर, पंखे, गद्दे, रेड कारपेट और सब कुछ व्यवस्था माकूल कर दी गई थी. पानी के कैंपर लगा दिए गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जाते ही, यह सभी व्यवस्थाएं काफूर हो गईं. जिस जगह कूलर लगे थे, वहां पर बाढ़ पीड़ितों की मोटरसाइकिल खड़ी हो गई है.