कोटा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (Central Board of Secondary Education) ने दसवीं, बारहवीं के परीक्षा पैटर्न में जो बदलाव किये हैं, उन पर कोचिंग हब कोटा (Coaching Hub Kota) के कुछ एक्सपर्ट्स ने अपनी राय जाहिर की है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोटा में तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए यह सोने पर सुहागे जैसा होगा. क्योंकि यहां उन्हें पहले से ही मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन (Multiple Choice Questions) के आधार पर तैयारी करवाई जा रही है.
स्टूडेंट्स की दुविधा होगी समाप्त...
कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि सीबीएसई बोर्ड का नया एग्जाम पैटर्न स्टूडेंट्स के लिए काफी उपयोगी होगा. इसमें आमूलचूल परिवर्तन किया गया है. इसमें पहली परीक्षा नवंबर-दिसंबर में आयोजित होगी. यह पहले पूरी तरह से सब्जेक्टिव होती थी. ऐसे में स्टूडेंट्स के सामने दुविधा रहती थी कि अगर उसमें सब्जेक्टिव तरीके से तैयारी की तो कंपीटिटिव एंट्रेंस एग्जाम में उसके अंक नहीं आएंगे.
अगर उसने एमसीक्यू बेस्ड क्वेश्चन की तैयारी की तो बोर्ड में कम अंक आने का खतरा रहता था. अब बैलेंस बन गया है, क्योंकि नवंबर-दिसंबर की परीक्षा ऑब्जेक्टिव मोड में होगी और अप्रैल माह की परीक्षा सब्जेक्ट मोड पर होगी. विद्यार्थी दोनों तरह की तैयारी कर लेगा. सबसे महत्वपूर्ण है कि सिलेबस को दोनों अलग-अलग भागों में बांट दिया गया है. स्टूडेंट्स पर किसी तरह का कोई प्रेशर नहीं होगा. वह तनाव मुक्त होकर पढ़ सकेगा.
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कोटा के बच्चों के लिए नहीं है नया पैटर्न...
निजी कोचिंग के निदेशक नितिन विजय का कहना है कि कोटा में कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. जो बच्चे अभी 11वीं-12वीं में हैं और नवीं में ही कोटा आ गए थे, वे तो बीते 2 सालों से ही एमसीक्यू बेस्ड क्वेश्चन की तैयारी कर रहे हैं. उनके लिए यह पैटर्न बिल्कुल अलग या नया नहीं है.
वे तो ऐसा समझेंगे कि वह अपने कोचिंग का ही एक टेस्ट दे रहे हैं. क्योंकि हर सप्ताह उन्हें एमसीक्यू क्वेश्चन के टेस्ट देना होता है. कोटा से तैयारी करने वाले छात्रों के लिए ऐसा कहा जाता है कि उनके बोर्ड में नंबर कम आते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है, फिर भी बच्चे अब एमसीक्यू क्वेश्चन पर होल्ड रखते हैं. ऐसे में पहली टर्म में उन्हें काफी फायदा होगा.
नितिन विजय का कहना है कि बोर्ड जो एमसीक्यू के प्रश्न पूछे जाएंगे, वह पूरी तरह से न्यूमेरिकल नहीं होंगे. इसमें थ्योरी के अनुसार भी प्रश्न पूछे जाएंगे. ऐसे में जो बच्चे कोटा में नीट और जेई की तैयारी करते हैं, उनसे इस तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं. हालांकि, इनकी संख्या कम रहती है. ऐसे में विद्यार्थियों को इसकी तैयारी भी हो जाएगी.
पहले टर्म के बाद कंपीटिटिव एक्जाम पर कर सकेंगे फोकस...
कोटा के निजी कोचिंग के सीनियर फैकल्टी जीवन ज्योति का कहना है कि बच्चों को पिछले डेढ़ साल से लिखने की हैबिट नहीं मिल पा रही है. उनको अवसर भी नहीं मिल पा रहा है. उनको लिखने में जो असुविधा होने वाली है, उससे भी नए पैटर्न में निजात मिलेगी. जो बच्चे जेईई की तैयारी कर रहे हैं वे भी नवंबर के भी पहले 50 फीसदी सिलेबस पूरा कर लेंगे. 12वीं का सिलेबस नीट जेईईमेन या अन्य एग्जाम में हेल्प करता है.
इसमें सुविधा रहेगी कि उन्हें तैयारी में भी हेल्प मिलेगी. नवंबर तक इस बात की मानसिक शांति होगी कि 50 फीसदी का बोर्ड का हो चुका है. अब केवल 50 फीसदी पर ही फोकस करना है. पूरी तरह से जेईईमेन फरवरी में आमतौर पर होने लगा है, पहली टर्म के बाद पूरी तरह से जेईई मेन का एग्जाम दे सकते हैं. जबकि पिछले वर्षों में बच्चों को बोर्ड दिसंबर जनवरी का मुख्य समय होता था, वह बोर्ड पर लगाना पड़ता था. जबकि जनवरी-फरवरी में ही जेईई मेन एग्जाम होते थे, बच्चों को लाभ मिलेगा. बच्चे इन कंपीटिटिव एक्जाम एक्जाम की प्रैक्टिस कर लेंगे.
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बढ़ेगा कोटा का रुतबा...
सीबीएसई के नए पैटर्न से कोटा कोचिंग का रुतबा और बढ़ेगा. मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के साथ ही अब सीबीएसई विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं की कोचिंग के लिए भी कोटा की तरफ रुख करेंगे. कोटा में पहले से ही इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के दौरान विद्यार्थियों को एनसीईआरटी सिलेबस की तैयारी ऑब्जेक्टिव पैटर्न पर करवाई जाती है.
एनसीईआरटी सिलेबस के ऑब्जेक्टिव पैटर्न व ओएमआर शीट पर उसके इवेल्यूशन सिस्टम पर कोटा कोचिंग संस्थानों का वर्षों का अनुभव है. यही कारण है कि मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन्स का कोटा सिस्टम के पास सबसे बड़ा क्वेश्चन बैंक है.
स्कूली किताब नहीं हैं नए पैटर्न के अनुसार...
वर्तमान स्कूली शिक्षा की एनसीईआरटी बेस्ड स्टडी में विद्यार्थियों को सिर्फ सब्जेक्टिव पेपर पैटर्न पर आधारित पढ़ाई कराई जाती है. इस पैटर्न में मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन एमसीक्यू आधारित शिक्षा का पूर्णतया अभाव होता है. एनसीईआरटी की किताबों में सब्जेक्टिव टाइप क्वेश्चंस तो उपलब्ध हैं, लेकिन ऑब्जेक्टिव टाइप क्वेश्चंस का अभाव है. विद्यार्थियों को अपनी बोर्ड प्रिपरेशन स्ट्रेटजी पूरी तरह बदलनी होगी. ओएमआर शीट फिलअप करने की प्रैक्टिस भी करनी होगी.
बोर्ड के अनुसार 10वीं में पीरियोडिक टेस्ट होंगे तो वहीं 12वीं में यूनिट टेस्ट होंगे. बोर्ड ने 12वीं का सिलेबस जारी कर दिया है. जबकि दसवीं के विद्यार्थियों को अभी इंतजार करना है. इसके साथ इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को अब सैंपल पेपर्स का भी इंतजार है. ताकि वे अपनी पढ़ाई की गाड़ी को परीक्षा पैटर्न के अनुरूप पटरी पर ला सकें.