कोटा. कोरोना महामारी के दौरान जहां पर पूरा देश मरीजों के लिए काम कर रहा है, वहीं कोटा के एक अस्पताल में मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जगह पानी के इंजेक्शन लगा दिए गए. इसके चलते एक मरीज की मौत हो गई, तो वहीं दूसरे मरीज की स्थिति गंभीर बनी हुई है. इस मामले में पहले कोटा शहर पुलिस ने भी अस्पताल को क्लीन चिट दे दी थी. लेकिन, ईटीवी भारत के खुलासे के बाद पुलिस प्रकरण की गंभीरता से जांच कर रही है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन का कहना है कि मेडिकल टीम की रिपोर्ट में अगर यह सामने आता है कि जिन मरीजों को यह इंजेक्शन लगने थे, उनके इंजेक्शन चोरी कर लगा लिए गए और मरीज को इंजेक्शन लगते ही उनकी मौत हो गई, तो मामले में अन्य धाराएं भी जुड़ जाएगी.
कॉल डिटेल्स से सामने आएगी अस्पताल के अन्य कार्मिकों की भूमिका
पुलिस का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में आरोपी मनोज कुमार रेगर और उसके भाई राकेश कुमार रेगर की कॉल डिटेल निकाली गई है. साथ ही मनोज कुमार ने जबसे श्रीजी अस्पताल में ड्यूटी देना शुरू किया है, उसकी ड्यूटी कब-कब रही और उस समय किन-किन मरीजों का उपचार उसने किया है, इसकी भी जांच की जा रही है.
बता दें कि इस मामले में इंजेक्शन जिन मरीजों के चोरी किए गए थे, उनमें से एक मरीज माया की मौत हो गई है. इस तथ्य को भी छुपा लिया गया था. साथ ही पुलिस जांच में भी यह नहीं आया था. पुलिस का कहना था कि दोनों मरीजों डिस्चार्ज हो गए हैं. जबकि दूसरा मरीज रतनलाल अस्पताल में गंभीर स्थिति में भर्ती है. साथ ही अस्पताल को भी क्लीन चिट दे दी गई थी.
थोक विक्रेता से लिया जा रहा है पूरा रिकॉर्ड
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन का कहना है कि अस्पताल को जहां से इंजेक्शन आवंटित हुए थे, उस थोक विक्रेता को बैच के अनुसार रिकॉर्ड तलब किया गया है. साथ ही जो इंजेक्शन आरोपियों से बरामद किए गए थे, उनका मिलान किया जाएगा. इंजेक्शन मरीजों को कब अलॉट किए गए, यह भी देखा जा रहा है.
राजावत ने भी अस्पताल पर खड़े किए सवाल
लाडपुरा के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने भी मरीजों को पानी के इंजेक्शन लगा देने और उनकी मौत हो जाने के मामले में अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि निजी अस्पताल के मालिक और स्टाफ की मिलीभगत नजर आती है. उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा है कि इस मामले में पुलिस निष्पक्षता के साथ जांच करें.