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विशेष : कैंसर मरीजों की राह में कोरोना बन रहा रोड़ा, 450 से ज्यादा बायोप्सी रिपोर्ट पेंडिंग

कैंसर जैसे गंभीर रोगियों की जांच रिपोर्ट कोटा मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी लैब में पेंडिंग पड़ी हुई हैं. जो रिपोर्ट महज 15 दिनों में मिल जानी चाहिए थी. कोरोना की वजह से वो ढाई महीने बाद भी मरीजों को नहीं मिल पाई हैं. कैंसर के गंभीर मरीजों को जल्द से जल्द ट्रीटमेंट का जरूरत होती है. लेकिन रिपोर्ट अटकी रहने की वजह से उनका इलाज शुरू ही नहीं हो पा रहा है. देखें यह खास रिपोर्ट...

कोरोना का कारण कैंसर की जांच प्रभावित, corona virus in kota, Cancer treatment is affected due to corona
कैंसर मरीजों की राह में कोरोना बन रहा रोड़ा
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Published : Aug 27, 2020, 11:52 AM IST

कोटा. कोरोना महामारी (corona virus) ने पूरी दुनिया में दहशत फैलाई हुई है. भारत में संक्रमितों की संख्या 32 लाख को पार कर गई है. आज पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है. अधिकतर अस्पतालों को कोविड वार्ड में तब्दील कर दिया गया है. देशभर के डॉक्टर कोविड मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. ऐसे में कोरोना से परे दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को काफी दिकक्तें आ रही हैं.

कैंसर मरीजों की राह में कोरोना बन रहा रोड़ा

कोविड-19 संक्रमण के चलते अब दूसरी बीमारियों का इलाज प्रभावित हो रहा है. ऐसे कई मामले कोटा जिले में देखने को मिले हैं. यहां कैंसर जैसे गंभीर रोगियों की रिपोर्ट भी मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी लैब में पेंडिंग पड़ी हुई है. जहां पर उन्हें 15 दिनों में रिपोर्ट मिल जानी चाहिए थी. कोरोना की वजह से उन्हें ढाई महीने बाद भी रिपोर्ट नहीं मिल पाई है. ऐसे में मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है. अधिकांश मरीज कैंसर की गंभीर स्टेज पर हैं. जिनका तुरंत इलाज होना जरूरी है. ऐसे मरीजों को जल्द से जल्द कीमोथैरेपी और रेडियोथैरैपी मिलनी चाहिए. लेकिन अब वे इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

सैंपल अटके हुए, ऑपरेशन भी चल रहे पेंडिंग

कई ऐसे मरीज भी इसमें शामिल हैं, जिनकी एफएनएसी ली गई है और कैंसर का शक होने पर शरीर का कोई टुकड़ा लेकर उस की जांच के लिए भी भेजे गए हैं. हालांकि इनकी रिपोर्ट भी अभी नहीं आ रही है. ऐसे में उन मरीजों का ऑपरेशन भी नहीं हो रहा रहा है. कई मरीजों को जून महीने की रिपोर्ट भी अभी तक नहीं मिली है. ऐसे में वह अभी भी अस्पताल के चक्कर ही लगा रहे हैं.

कोरोना का कारण कैंसर की जांच प्रभावित, corona virus in kota, Cancer treatment is affected due to corona
क्या कहते हैं आंकड़े

एमबीएस के 450 नमूनों की नहीं मिल रही रिपोर्ट

एमबीएस अस्पताल में जहां औसत 15 से 20 रोज नमूने सेंट्रल लैब में आते हैं. जिनको अगले ही दिन मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी लैब में हिस्टोपैथोलॉजी के लिए भेज दिया जाता है. ऐसे में जहां पर अभी इस साल 2250 से ज्यादा नमूने आए हैं. इनमें से बीते 3 महीने में जो नमूने आए हैं. उनकी रिपोर्ट नहीं मिली है.

यह भी पढे़ं : Corona Update: प्रदेश में कोरोना के 610 नए केस, कुल संक्रमितों का आंकड़ा 73,935...अबतक 986 की मौत

रिपोर्ट के लिए चक्कर काटने को मजबूर

कई कैंसर मरीज और उनके परिजन रोज एमबीएस सेंट्रल लैब के चक्कर काट रहे हैं. जिनकी रिपोर्ट पेंडिंग पड़ी हुई है. चिकित्सक बायोप्सी की रिपोर्ट के बाद ही उपचार आगे का लिखने की बात करते हैं. यहां तक की कई बार तो मरीज सेंट्रल लैब के स्टाफ से भी झगड़ जाते हैं, क्योंकि उनकी रिपोर्ट 1 से 2 महीने से नहीं मिल रही है, जबकि 15 दिन का समय दिया गया था.

कोरोना का कारण कैंसर की जांच प्रभावित, corona virus in kota, Cancer treatment is affected due to corona
क्या कहते हैं आंकड़े

लोकसभा स्पीकर के हस्तक्षेप से मिली थी रिपोर्ट

एमबीएस अस्पताल में ऑपरेशन के बाद में सुगना बाई की रिपोर्ट 52 दिनों तक नहीं मिली. ऐसे में उनके बेटे ने ट्वीट के जरिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को अपनी समस्या बताई. लोकसभा स्पीकर बिरला ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया. उनके ट्वीट के बाद ही एमबीएस अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी लैब से पेंडिंग पड़े हुए सुगना बाई के बायोप्सी के नमूने की जांच करवाई. इसके बाद सुगना बाई की रिपोर्ट जारी कर उनके परिजनों को सौंप दी गई.

देरी का यह है कारण

पहले जहां मरीजों को 7 से 15 दिन के बीच बेसिक रिपोर्ट दी जाती थी. इसके बाद वे चिकित्सक को दिखाकर उसका उपचार शुरू कर देते थे, लेकिन अप्रैल से ही कोरोना संक्रमण के चलते तकनीशियन की ड्यूटी बदल गई, उन्हें सैंपल कलेक्शन से लेकर कोरोना वायरस जांच के लिए लगा दिया गया. इसके बाद से ही समस्या शुरू हो गई, जो अभी तक जारी है.

यह भी पढे़ं : SPECIAL : अजमेर का किला और किंग एडवर्ड मेमोरियल हेरिटेज इमारतें होंगी स्मार्ट, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

एचओडी को भेजा पत्र, जवाब नहीं मिला

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि रिपोर्टों के देर से मिलने को लेकर एक मीटिंग आयोजित की गई थी. इसमें 300 सैंपल अभी प्रोसेस में नहीं आए हैं. वहींं 150 सैंपल की रिपोर्ट अवेटेड है. एचओडी डॉ. नीलू वशिष्ठ और सेंट्रल लैब के इंचार्ज डॉ. राकेश कुमार सिंह को भेज पत्र भेजा गया है, अभी उनका जवाब नहीं आया है. इसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ट्वीट जिसमें रिपोर्ट के लेटलतीफी होने की बात का हवाला दिया है.

वहीं मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना का कहना है कि उन्हें लेटलतीफी के बारे में जानकारी नहीं है. अगर ऐसी कोई चीज है, तो एचओडी को पाबंद किया जाएगा. हालांकि कोविड-19 में ड्यूटी के चलते कुछ समस्या तो आ रही है.

कोटा. कोरोना महामारी (corona virus) ने पूरी दुनिया में दहशत फैलाई हुई है. भारत में संक्रमितों की संख्या 32 लाख को पार कर गई है. आज पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है. अधिकतर अस्पतालों को कोविड वार्ड में तब्दील कर दिया गया है. देशभर के डॉक्टर कोविड मरीजों की देखभाल में लगे हुए हैं. ऐसे में कोरोना से परे दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को काफी दिकक्तें आ रही हैं.

कैंसर मरीजों की राह में कोरोना बन रहा रोड़ा

कोविड-19 संक्रमण के चलते अब दूसरी बीमारियों का इलाज प्रभावित हो रहा है. ऐसे कई मामले कोटा जिले में देखने को मिले हैं. यहां कैंसर जैसे गंभीर रोगियों की रिपोर्ट भी मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी लैब में पेंडिंग पड़ी हुई है. जहां पर उन्हें 15 दिनों में रिपोर्ट मिल जानी चाहिए थी. कोरोना की वजह से उन्हें ढाई महीने बाद भी रिपोर्ट नहीं मिल पाई है. ऐसे में मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है. अधिकांश मरीज कैंसर की गंभीर स्टेज पर हैं. जिनका तुरंत इलाज होना जरूरी है. ऐसे मरीजों को जल्द से जल्द कीमोथैरेपी और रेडियोथैरैपी मिलनी चाहिए. लेकिन अब वे इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

सैंपल अटके हुए, ऑपरेशन भी चल रहे पेंडिंग

कई ऐसे मरीज भी इसमें शामिल हैं, जिनकी एफएनएसी ली गई है और कैंसर का शक होने पर शरीर का कोई टुकड़ा लेकर उस की जांच के लिए भी भेजे गए हैं. हालांकि इनकी रिपोर्ट भी अभी नहीं आ रही है. ऐसे में उन मरीजों का ऑपरेशन भी नहीं हो रहा रहा है. कई मरीजों को जून महीने की रिपोर्ट भी अभी तक नहीं मिली है. ऐसे में वह अभी भी अस्पताल के चक्कर ही लगा रहे हैं.

कोरोना का कारण कैंसर की जांच प्रभावित, corona virus in kota, Cancer treatment is affected due to corona
क्या कहते हैं आंकड़े

एमबीएस के 450 नमूनों की नहीं मिल रही रिपोर्ट

एमबीएस अस्पताल में जहां औसत 15 से 20 रोज नमूने सेंट्रल लैब में आते हैं. जिनको अगले ही दिन मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी लैब में हिस्टोपैथोलॉजी के लिए भेज दिया जाता है. ऐसे में जहां पर अभी इस साल 2250 से ज्यादा नमूने आए हैं. इनमें से बीते 3 महीने में जो नमूने आए हैं. उनकी रिपोर्ट नहीं मिली है.

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रिपोर्ट के लिए चक्कर काटने को मजबूर

कई कैंसर मरीज और उनके परिजन रोज एमबीएस सेंट्रल लैब के चक्कर काट रहे हैं. जिनकी रिपोर्ट पेंडिंग पड़ी हुई है. चिकित्सक बायोप्सी की रिपोर्ट के बाद ही उपचार आगे का लिखने की बात करते हैं. यहां तक की कई बार तो मरीज सेंट्रल लैब के स्टाफ से भी झगड़ जाते हैं, क्योंकि उनकी रिपोर्ट 1 से 2 महीने से नहीं मिल रही है, जबकि 15 दिन का समय दिया गया था.

कोरोना का कारण कैंसर की जांच प्रभावित, corona virus in kota, Cancer treatment is affected due to corona
क्या कहते हैं आंकड़े

लोकसभा स्पीकर के हस्तक्षेप से मिली थी रिपोर्ट

एमबीएस अस्पताल में ऑपरेशन के बाद में सुगना बाई की रिपोर्ट 52 दिनों तक नहीं मिली. ऐसे में उनके बेटे ने ट्वीट के जरिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को अपनी समस्या बताई. लोकसभा स्पीकर बिरला ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया. उनके ट्वीट के बाद ही एमबीएस अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी लैब से पेंडिंग पड़े हुए सुगना बाई के बायोप्सी के नमूने की जांच करवाई. इसके बाद सुगना बाई की रिपोर्ट जारी कर उनके परिजनों को सौंप दी गई.

देरी का यह है कारण

पहले जहां मरीजों को 7 से 15 दिन के बीच बेसिक रिपोर्ट दी जाती थी. इसके बाद वे चिकित्सक को दिखाकर उसका उपचार शुरू कर देते थे, लेकिन अप्रैल से ही कोरोना संक्रमण के चलते तकनीशियन की ड्यूटी बदल गई, उन्हें सैंपल कलेक्शन से लेकर कोरोना वायरस जांच के लिए लगा दिया गया. इसके बाद से ही समस्या शुरू हो गई, जो अभी तक जारी है.

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एचओडी को भेजा पत्र, जवाब नहीं मिला

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि रिपोर्टों के देर से मिलने को लेकर एक मीटिंग आयोजित की गई थी. इसमें 300 सैंपल अभी प्रोसेस में नहीं आए हैं. वहींं 150 सैंपल की रिपोर्ट अवेटेड है. एचओडी डॉ. नीलू वशिष्ठ और सेंट्रल लैब के इंचार्ज डॉ. राकेश कुमार सिंह को भेज पत्र भेजा गया है, अभी उनका जवाब नहीं आया है. इसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ट्वीट जिसमें रिपोर्ट के लेटलतीफी होने की बात का हवाला दिया है.

वहीं मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना का कहना है कि उन्हें लेटलतीफी के बारे में जानकारी नहीं है. अगर ऐसी कोई चीज है, तो एचओडी को पाबंद किया जाएगा. हालांकि कोविड-19 में ड्यूटी के चलते कुछ समस्या तो आ रही है.

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