कोटा. बारां जिले के खान मंत्री एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं. कभी खुद की सरकार के विधायक भरत सिंह उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हैं, तो कभी विपक्ष के विधायक मदन दिलावर उन पर अवैध खननकर्ताओं को संरक्षण देने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं. अब एक और मामले में भाजपा के प्रदेश महामंत्री और रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
विधायक मदन दिलावर ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि डीएमएफटी (डिस्ट्रिक माइनिंग फाउंडेशन ट्रस्ट) की राशि को जिले में ही खर्च किया जा सकता है. इस राशि में से आधी राशि स्टेट मिनरल फंड में जमा होती है, जिसे विभिन्न मदों में खर्च किया जा सकता है. इस पर पूरे राजस्थान का हक है, लेकिन खान मंत्री प्रमोद भाया ने स्टेट मिनरल फंड के 114 करोड़ रुपये बारां जिले की दो ग्राम पंचायतों में सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत करवा दिए. ये दोनों पंचायतें उनकी विधानसभा की ही हैं. अकेले अंता व बारा पंचायत में लगभग 100 करोड़ रुपए सड़कों पर लगाए जा रहे हैं, जबकि छबड़ा, छीपाबड़ौद, किशनगंज सहित अन्य इलाकों की उपेक्षा की जा रही है.
भाजपा विधायक ने मंत्री पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
डीएमएफटी फंड खर्च करने के संदर्भ में केंद्र सरकार ने 23 अप्रैल को आदेश जारी किया था. इसके तहत जिला कलेक्टर गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन हैं. वहीं स्थानीय सांसद और विधायक उसके सदस्य जिनकी मीटिंग के बाद ही इस फंड का उपयोग निर्धारित किया जा सकता है, लेकिन खान मंत्री ने भ्रष्टाचार करते हुए उसी 23 तारिख को मीटिंग भी कर ली और 23 तारीख को ही 114 करोड़ रुपए के कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी कर दी. जबकि एक ही दिन में ये संभव नहीं है और इस मीटिंग में झालावाड़ बारां सांसद दुष्यंत सिंह को भी नहीं बुलाया गया.
ऐसे में बिना कमेटी की अप्रूवल के स्टेट मिनरल फंड का दुरुपयोग किया जा रहा है. मामले पर विधायक मदन दिलावर ने खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल से शिकायत की जिस पर शासन सचिव ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है. वहीं बारां जिला कलेक्टर को दिलावर ने नियम संगत कार्य करने की हिदायत दी. मीडिया से बात करते हुए मदन दिलावर ने इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है. वहीं खान मंत्री प्रमोद भाया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.
यह होता है डीएमएफटी और एसएमएफटी
डिस्ट्रिक माइनिंग फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी), जिसमें माइनिंग विभाग की रॉयल्टी का कुछ प्रतिशत अलग से भारत सरकार ने निकाला हुआ है. यह पैसा सामान्यत: उस जिले के विकास के लिए काम आता है. उसमें अलग-अलग मदों का निर्धारण भी किया हुआ है जैसे पर्यावरण, शिक्षा, पेयजल, निर्माण और सड़कें अन्य पर कितना-कितना खर्च होगा. राजस्थान सरकार ने यह व्यवस्था की है कि आधा पैसा जिले में और आधा स्टेट माइनिंग फाउंडेशन ट्रस्ट (एसएमएसटी) में भेजा जाता है.
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जिस दिन आदेश आया, उसी दिन स्वीकृति से संदेह
विधायक का कहना है कि भारत सरकार ने इसका आदेश 23 अप्रैल को दिया था. इसमें डीएमएफटी के चेयरमैन जिला कलेक्टर होंगे. इसके अलावा स्थानीय सांसद, राज्यसभा सांसद और स्थानीय विधायक उसमें मेंबर होंगे. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 23 अप्रैल को केंद्र का पत्र आया था और उसी दिन एक मीटिंग करके एसएमएफटी से राजस्थान सरकार ने 114 करोड़ रुपए का अनुमोदन बारां जिले के दो पंचायत समिति के लिए कर दिया. उन पंचायत समिति में अंता में 90 और बारां में 24 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए. यह एक विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. ऐसे में 114 करोड़ रुपए एक विधानसभा क्षेत्र में स्वीकृत कर दिए हैं. यह पूरा मामला संदेह के घेरे में है.
नियमानुसार ये नहीं किया जा सकता
भाजपा प्रदेश मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि बारां के लिए माइनिंग की जो इनकम है, फंड में वह दो करोड़ के आसपास है. उस दो करोड़ रुपए के अंतर्गत ही यह पैसा खर्च किया जा सकता था, लेकिन स्टेट माइनिंग फाउंडेशन ट्रस्ट से 114 करोड़ रुपए स्वीकृति जारी कर दी गई है. स्टेट माइनिंग फाउंडेशन ट्रस्ट का दायित्व है कि जहां-जहां से भी प्रस्ताव आते हैं, सभी पर विचार किया जाए. फिर उनकी स्वीकृति निकालनी चाहिए, लेकिन यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि सभी विधायकों और सभी सांसदों के क्षेत्र में पैसा जाए. लेकिन अधिकांश पैसा बारां जिले के अंता विधानसभा क्षेत्र में चला गया है. यह आश्चर्य का विषय है. इसमें एक बड़ा भ्रष्टाचार है.
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नहीं बुलाया सांसद को भी, सब गड़बड़झाला
विधायक दिलावर का कहना है कि वह यह भी मानने को तैयार नहीं हैं कि इस मीटिंग में सभी विधायकों और सांसदों को बुलाया गया है. यह आनन फानन में मीटिंग की गई है और केवल रिकॉर्ड में ही यह दिखाया गया है कि वह आए हैं. यह बहुत बड़ा गड़बड़झाला है. माइनिंग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुबोध अग्रवाल से इस संबंध में बात हुई है, उनका कहना है कि जो पत्र आया था, उसको कानून विशेषज्ञों को भेजा गया है. वहां से अभी कोई जवाब नहीं आया है. ऐसे में जब तक वहां से जवाब नहीं आता, यह स्वीकृति नहीं होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि 114 करोड़ रुपए एक विधानसभा क्षेत्र को दिया गया है, तो सभी विधानसभा क्षेत्रों को इतना रुपया देना चाहिए. अगर नहीं दिया तो क्यों नहीं दिया गया.