कोटा. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया अपनी ही पार्टी में उपेक्षा हो रही है. यह खुद उन्हीं की खेमे के नेता भवानी सिंह राजावत मानते हैं. राजावत का यह भी कहना है कि अगर लंबे समय तक ऐसा चला तो पार्टी को भारी नुकसान भी इससे हो सकता है.
पूर्व विधायक और वसुंधरा समर्थक भवानी सिंह राजावत ने यहां तक भी कह दिया कि उनसे बिना पूछे फैसले लिए जा रहे हैं. राजस्थान में जो हालात हुए हैं और चुनावों में जो हार का मुंह पार्टी को देखना पड़ा है. यह वसुंधरा राजे सिंधिया की उपेक्षा का ही नतीजा है. सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दो बार पार्टी को बड़ी जीत दिलाई है. ऐसे में अब दोबारा उन्हें सीएम प्रोजेक्ट करना ही होगा. इसी का फायदा आने वाले पंचायत और विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी को मिलेगा. साथ ही सत्ता में भी भाजपा की वापसी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जरिए ही हो सकती है.
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वसुंधरा राजे को सीएम प्रोजेक्ट करें
बता दें कि लगातार तीन बार कोटा की लाडपुरा सीट से विधायक रहे भवानी सिंह राजावत वसुंधरा खेमे के नेता माने जाते हैं. उन्होंने ही भाजपा का राजनीतिक चिंतन शिविर आयोजित किया था. जिसमें हाड़ौती के वसुंधरा समर्थक नेता एकजुट हुए थे. ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत करते हुए भवानी सिंह राजावत ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 'मोदी तुझसे बैर नहीं वसुंधरा तेरी खैर नहीं' के नारे के सवाल पर कहा कि कुछ हमारे लोगों ने दुर्भावना में यह नारा लगा लिया था. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य की खुशहाली के लिए ही काम किया था. उनकी समय शुरु गई की गई कई योजनाओं को बंद किया गया है. हम आलाकमान से मांग करते हैं और जनता की भावना भी यही है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीएम प्रोजेक्ट करें. कांग्रेस का शासन और प्रशासन पूरी तरह फेल है. इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही बात और प्रदेश की सौंपनी होगी.
वरिष्ठ नेताओं को कर रहे दरकिनार
पूर्व विधायक ने यह भी कहा कि अभी जो पंचायत चुनाव हुए. इसके अलावा स्थानीय निकाय चुनाव में भी जो प्रभारी बनाए गए हैं. वह गिने-चुने लोग ही हैं और वे पार्टी के कार्यकर्ता तो हैं लेकिन ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी गई जो कि नए हैं. इसके चलते पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. इसी पर हमने चिंता प्रकट की है क्योंकि जो टिकट बांटे गए हैं. उन्हीं के चलते हार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की हुई है.
कांग्रेस घुसपैठ कर रही है
राजावत ने कहा कि हिंदुस्तान में कोटा संभाग बीजेपी का गढ़ माना जाता है. पिछले दिनों में स्थानीय निकाय चुनाव से लेकर पंचायतों कोटा नगर निगमों के चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया और हार का सामना करना पड़ा है. इसलिए हमने चिंता प्रकट की है. कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के सभी प्रमुख नेता बैठे और जो कांग्रेस लगातार घुसपैठ कर रही है और हमारे गढ़ को ध्वस्त करना चाहती है. पहले कांग्रेस बिखरी हुई थी, जो एकजुट हो रही है. जबकि वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा एकजुट थी, जो अब बिखर रही है. ऐसे में कांग्रेस की हर चुनौती का कैसे मुकाबला हम करेंगे. आने वाले समय में पंचायत और उपचुनाव भी है. इस तरह की बैठक उन्होंने कोटा के बाद राजस्थान में जगह-जगह करने का निर्णय लिया गया है. जिसमें मेवाड़, मारवाड़, जयपुर और भरतपुर संभाग में भी बैठकें आयोजित की जाएगी.
वसुंधरा-गहलोत गठजोड़ पर राजावत बोले-हनुमान बेनीवाल नागौर तक सीमित
पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत से जब हनुमान बेनीवाल के वसुंधरा गहलोत गठजोड़ के बयान पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आरएलपी के नेता हनुमान बेनीवाल बेबुनियाद आरोप लगाते हैं. वह मेरे मित्र जरूर हैं. मैं उनको भी पहले कह चुका हूं कि जिस तरह के आरोप अपने मन से ही बिना तथ्यों के लगा देते हैं. साथ ही राजावत ने कहा कि बेनीवाल हमारे सहयोग से सांसद बन गए हैं. उनके एक दो पार्टी के नेता विधायक भी बने हैं.
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उन्होंने कहा कि अब किसान आंदोलन में भाजपा का साथ छोड़कर राजनीति कर रहे हैं उनका जनाधार पूरे राजस्थान में नहीं है और हो भी नहीं सकता है. वे केवल नागौर तक ही सीमित हैं. आने वाले समय में हनुमान बेनीवाल से हमारा कोई संबंध भी नहीं रहेगा.
कई विधायक राजे को ही अपना नेता मानते हैं
वसुंधरा समर्थकों की बात करते हुए भवानी सिंह राजावत ने कहा कि पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल, विद्याशंकर नंदवाना, कंवरलाल मीणा, झालावाड़ से श्रीकृष्ण पाटीदार, श्याम शर्मा, बूंदी के पूर्व विधायक गोपाल पचेरवाल, बाबूलाल वर्मा के अलावा बारां के विधायक प्रताप सिंह सिंघवी के साथ-साथ हाड़ौती और प्रदेश के वर्तमान भी कई विधायक हमारे साथ हैं, जो कि वसुंधरा राजे सिंधिया कोई अपना नेता मानते हैं.
भैरोंसिंह शेखावत से भी ज्यादा लोकप्रिय है वसुंधरा
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भैरों सिंह शेखावत से भी ज्यादा लोकप्रिय बताते हुए राजावत ने कहा कि आजादी के बाद से भैरों सिंह शेखावत सरकार से भी ज्यादा सीटें वसुंधरा राजे के नेतृत्व में आई, जो कि 120 सीटें थी. पहली बार पूर्ण बहुमत में भाजपा सत्ता में आई थी.
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इसके बाद दूसरा चुनाव हुआ, उसमें भी एतिहासिक रिकॉर्ड बनाते हुए 162 सीटें भाजपा लेकर आई है. वसुंधरा राजे सिंधिया के कुशल नेतृत्व में जो भरोसा जनता ने दिखाया था. इसीलिए दोबारा भी वसुंधरा राजे सिंधिया को ही आगे करना होगा और उन्हीं के कुशल नेतृत्व में भाजपा को जनता सत्ता में लेकर आएगी.