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महामारी में लाचारी : अर्थी को 4 कंधे भी नसीब ना हो सके, ठेले पर रखकर शव मुक्ति धाम लाए परिजन

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Published : May 5, 2021, 12:26 PM IST

Updated : May 5, 2021, 2:17 PM IST

कोरोना काल में यह नजारा भी देखने को मिल रहा है, जब अपने ही पराए हो गए. ऐसे ही तस्वीर कोटा से सामने आई है. जहां सामान्य बीमारी से महिला की मौत होने के बाद कंधा देने के लिए ना ही कोई व्यक्ति मिला और ना ही शव ले जाने के लिए कोई वाहन.

woman died in kota
ठेले पर शव रखकर मुक्ति धाम लाए परिजन

कोटा. राज्य सरकार ने भी कोरोनावायरस कॉल के तहत अंतिम संस्कार में 20 जनों को जाने की परमिशन दे रखी है, लेकिन कोरोना के खौफ के चलते अंतिम संस्कार में इतने लोग भी जमा नहीं हो पा रहे हैं. कोटा शहर के पुलिस कंट्रोल रूम के पास स्थित दुर्गा बस्ती में रहने वाली एक 65 वर्षीय महिला की मंगलवार को सामान्य बीमारी की वजह से घर पर मौत हो गई.

पढ़ें : जोधपुर में पाक विस्थापितों की बस्तियों में फैला कोरोना, अब तक 5 की मौत

जिसके बाद अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली गई. कुछ रिश्तेदार शहर से बाहर थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते वह नहीं आ सके. मोहल्ले के लोग कोरोना के खौफ और लॉकडाउन के कारण साथ न जा सके. केवल एक दो पड़ोसी ही आए. महिला के पति ने शव वाहन के लिए संस्थाओं को फोन किया तो शव वाहन शाम तक बुक होने की बात सामने आई.

पति के साथ दो जने ही हुए सम्मिलित...

ऐसी स्थिति में महिला के पति और दो लोग ही शव यात्रा में शामिल हो सके. तीन जने अर्थी को मुक्तिधाम तक नहीं ले जा सकते थे, जिस पर पति ने हाथ ठेला लिया और उसमें अर्थी रखकर किशोरपुरा मुक्तिधाम पहुंचा. वहां व्यवस्थाएं संभालने वाले लोगों ने परिजनों के साथ में लगकर चीता से लेकर अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था की.

कोटा. राज्य सरकार ने भी कोरोनावायरस कॉल के तहत अंतिम संस्कार में 20 जनों को जाने की परमिशन दे रखी है, लेकिन कोरोना के खौफ के चलते अंतिम संस्कार में इतने लोग भी जमा नहीं हो पा रहे हैं. कोटा शहर के पुलिस कंट्रोल रूम के पास स्थित दुर्गा बस्ती में रहने वाली एक 65 वर्षीय महिला की मंगलवार को सामान्य बीमारी की वजह से घर पर मौत हो गई.

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जिसके बाद अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली गई. कुछ रिश्तेदार शहर से बाहर थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते वह नहीं आ सके. मोहल्ले के लोग कोरोना के खौफ और लॉकडाउन के कारण साथ न जा सके. केवल एक दो पड़ोसी ही आए. महिला के पति ने शव वाहन के लिए संस्थाओं को फोन किया तो शव वाहन शाम तक बुक होने की बात सामने आई.

पति के साथ दो जने ही हुए सम्मिलित...

ऐसी स्थिति में महिला के पति और दो लोग ही शव यात्रा में शामिल हो सके. तीन जने अर्थी को मुक्तिधाम तक नहीं ले जा सकते थे, जिस पर पति ने हाथ ठेला लिया और उसमें अर्थी रखकर किशोरपुरा मुक्तिधाम पहुंचा. वहां व्यवस्थाएं संभालने वाले लोगों ने परिजनों के साथ में लगकर चीता से लेकर अंतिम संस्कार तक की व्यवस्था की.

Last Updated : May 5, 2021, 2:17 PM IST
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