कोटा. मानसून की बेरुखी से अब किसान परेशान होने लगे हैं. हालात ऐसे हैं कि कोटा संभाग में किसान अपनी फसलों की बुवाई तक नहीं कर पा रहे हैं, जबकि इस समय तक पूरी बुवाई हो जाती है और किसान आगे की तैयारी शुरू कर देते हैं. जहां कृषि विभाग की ओर से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिसके मुताबिक अभी तक 70 फीसदी कृषि भूमि पर बुवाई नहीं हुई है. हालात ऐसे हैं कि अगर बीते 10 दिनों में बारिश नहीं हुई, तो किसानों के सामने खरीफ की फसल का संकट खड़ा हो जाएगा.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि हाड़ौती में जहां पर लक्ष्य 1240000 हेक्टेयर में फसल बुवाई का है, यह इस बार अभी तक 336000 हेक्टेयर ही बुआई हो पाई है. बारिश अधिकांश इलाकों में नहीं हुई है, जिसके चलते यह देरी हुई है. किसानों के चेहरे इसके चलते मुरझाए हुए हैं, वे मायूस हैं, क्योंकि बारिश का समय से नहीं होना, उनकी फसल के लिए खतरा है. कुछ किसानों का तो यह भी कहना है कि खेत खाली रखने की नौबत आ सकती है.
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कोटा जिले में बुआई की बात की जाए तो महज 5 से 6 फीसदी कृषि भूमि पर ही बुआई हो पाई है, बाकी बची हुई कृषि भूमि को बारिश का इंतजार है. बूंदी में यह 3 से 4 फीसदी ही है. हालांकि झालावाड़ में 52 और बारां में 38 फीसदी ज्यादा कृषि भूमि पर बुवाई पूरी हो गई है.
सोयाबीन से कम होगा रुझान, मक्का या उड़द बढ़ेगी
हाड़ौती संभाग पीला सोना यानी सोयाबीन की पैदावार में प्रदेश में सबसे आगे है. इस बार सोयाबीन की बुवाई का लक्ष्य 718000 हेक्टेयर के आसपास कोटा संभाग में है, लेकिन कम बारिश होने के चलते कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि लोगों का रुझान इससे कम होगा. बारिश देरी से होने के चलते उसकी बुवाई अभी तक नहीं हो पाई है. ऐसे में लोग मक्का या उड़द की तरफ जाएंगे.
बिजली का खर्चा बढ़ा
बोरखेड़ा निवासी रमेश कुमार के अर्जुनपुरा गांव में खेत हैं. उन्होंने इस बार धान (चावल) की फसल अपने खेत में की है, बारिश के पहले ही नर्सरी में उन्होंने धान लगा ली थी. अब उसमें से रोपाई का काम किया जा रहा है, लेकिन बारिश नहीं होने के चलते संकट खड़ा हुआ है, क्योंकि एक तो बिजली का खर्चा 500 रुपए रोज बढ़ गया है. वहीं बोरिंग से ही खेत को पानी दे रहे हैं, क्योंकि धान के खेत में पानी भरा रखना होता है, साथ ही पानी नहीं बरसने से पैदावार भी कम होगी और रोक भी ज्यादा लगेगा. आसपास के खेत जिनमें सोयाबीन या अन्य फसल होनी है, वह नहीं हो पाएगी. ऐसे में जानवरों का खतरा भी बना हुआ है.
पिछले साल से काफी पिछड़े
पिछले साल की ही बात की जाए तो वर्ष 2020 में 15 जुलाई के आसपास 90 फीसदी एरिया में बुवाई हो चुकी थी, करीब 10 लाख हेक्टेयर एरिया में सोयाबीन, मक्का, धान और उड़द को दी गई थी. जिससे कि किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिला था. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार 15 जुलाई के आसपास करीब 5 लाख से ज्यादा हेक्टेयर एरिया में बारिश हो चुकी है. ऐसे में किसान एक-दो दिनों में वहां पर बुवाई शुरू कर देंगे, जिससे कि 20 तारीख के आसपास तक बुवाई का एरिया बढ़कर पांच से साढ़े पांच लाख हैक्टेयर हो जाएगा.
सीजन भी निकल गया, देरी से नुकसान
बारां रोड पर खेती करने वाले प्रभु का कहना है कि इस बार बुवाई का सीजन बारिश के इंतजार में निकल गया है. जहां हर साल बीते 15 तारीख तक सभी जगह पर बुवाई पूरी हो जाती थी, ऐसे में इस बार सोयाबीन के खेत खाली हैं और लोग चावल की फसल भी नहीं लगा पा रहे हैं. मक्का और उड़द के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. उनका कहना है कि बारिश नहीं होने से सभी कुछ 15 दिन लेट हो गए हैं, क्योंकि 1 जुलाई से ही सोयाबीन की बुवाई शुरू हो जाती है. सीजन लगभग निकल गया है, जिससे किसानों को फसल उप्पादन का डर सता रहा है.
हाड़ौती के जिलों में 55 से 140 एमएम बारिश
कोटा संभाग के चारों जिले बारां, बूंदी, झालावाड़ और कोटा के जिलों की बात की जाए तो करीब 55 से 140 एमएम बारिश पूरे संभाग में हुई है. हालांकि कुछ जगह पर कम बारिश हुई है और कुछ जगह पर ज्यादा बारिश हुई है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि मौसम विभाग ने 17 जुलाई से मानसून के दोबारा सक्रिय होने की रिपोर्ट दी है. इससे अच्छी बारिश हो सकती है, जिसके बाद बुवाई का रकबा ज्यादा बढ़ जाएगा.