ETV Bharat / city

कोटा में कोरोना से 15 बच्चे हुए अनाथ, 81 बच्चों के सिर से उठा पिता का साया - पीएम केयर्स फंड

कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है. ऐसे में लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं और लाखों अभी भी इसकी चपेट में है. इस कोरोना की वजह से कई ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने अपने माता पिता दोनों को खो दिया है. ऐसे ही बच्चों की सूची बनाने के निर्देश राज्य सरकार ने दिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अनाथ हुए बच्चों के लिए स्टाइपेंड और 23 साल की उम्र होने पर उन्हें एक फिक्स राशि देने की घोषणा की है

15 बच्चे हुए अनाथ, 15 children orphaned
कोटा में कोरोना से 15 बच्चे हुए अनाथ
author img

By

Published : Jun 1, 2021, 3:48 PM IST

कोटा. कोविड-19 के इस दूसरी लहर में हजारों की संख्या में मौत पूरे प्रदेश में हुई है. कई परिवार ऐसे हैं, जिनमें कमाने वाले व्यक्ति की मौत हो गई और बच्चे अपनी मां के सहारे ही रह गए हैं. साथ ही कई परिवार ऐसे भी हैं. जिनमें मां पिता दोनों की मौत हो गई है और बच्चे अब अनाथ हैं.

कोटा में कोरोना से 15 बच्चे हुए अनाथ

पढ़ेंः राजस्थान में 80 लाख कर्मचारियों को वेतन कटौती के लिए मानने की कवायद, इन अधिकारियों को दी जिम्मेदारी

ऐसे ही बच्चों की सूची बनाने के निर्देश राज्य सरकार ने दिए थे. जिस पर कोटा बाल अधिकारिता विभाग ने काम भी शुरू कर दिया है. केवल 2 दिन में ही कोटा में ऐसे 15 बच्चे सामने आ गए हैं. जिनके मां पिता इस महामारी के चलते इस दुनिया को छोड़ गए हैं और अब यह बच्चे अनाथ हो गए हैं.

इनके परिवार में कोई कमाने वाला भी नहीं है या तो यह अपने दादा-दादी, चाचा-चाची या फिर मामा-नाना के भरोसे ही अभी है. साथ ही 96 ऐसे बच्चे भी हैं, जो महामारी में अपने पिता को खो चुके हैं. उनके परिवार में पिता ही कम आने वाले थे. ऐसे में अब मां के कंधे पर ही पूरी जिम्मेदारी आ गई है. बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामराज मीणा का कहना है कि ऐसे बच्चे जिनके मां पिता दोनों का देहांत हो चुका है या फिर मां पिता में से एक का देहांत पहले हो गया था.

पढ़ेंः हर्षवर्धन ने कहा-टीकों की बर्बादी की जांच करें, गहलोत सरकार कराएगी ऑडिट

वहीं, दूसरे की डेथ कोविड-19 के दौरान हुई है. इन सब बच्चों को चिन्हित कर रहे हैं. इसके लिए मेडिकल विभाग से भी सूचना मंगवाई गई है. साथ ही स्टैटिकल जो ऑफिसर हैं, उनसे भी जानकारी ली गई है. मीडिया के जरिए भी नंबर साझा किए हैं, ताकि सामाजिक संस्थाएं या लोग भी जानकारी दे सकें. इसके लिए 1 अप्रैल 2020 के बाद का डाटा हम चेक कर रहे हैं. जिसमें परिवार में 18 साल तक कोई बच्चा अनाथ है या केवल उसकी मां है, तो उसकी लिस्ट बनाई जा रही है. साथ ही इस परिवार को चिन्हित कर केंद्र सरकार के बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है.

जिला बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा ने कहा कि अभी 96 बच्चों की जानकारी हम अपडेट कर चुके हैं, जिनमें 15 बच्चे ऐसे हैं, जो पूरी तरह से अनाथ की श्रेणी में है. इसके अलावा 81 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपने पिता को खोया है. इस सूची का काम अभी जारी है. ऐसे में संख्या और बढ़ सकती है.

पढ़ेंः पंचतत्व में विलीन हुए देश के सबसे युवा सांसद रहे हेमेन्द्र सिंह बनेड़ा, कोरोना से हुआ था निधन

इसके अलावा भी विभाग की टीम ऐसे बच्चों को भी वह चिन्हित कर रहे हैं जिनके मां पिता कोविड-19 से संक्रमित हैं और उनकी देखरेख करने वाला कोई भी नहीं है. साथ ही जो बच्चे अनाथ हुए हैं. उनमें से किसी का पुनर्वास हो सकता है, तो उसे जिला बाल कल्याण समिति के जरिए पुनर्वास करवाएंगे. इसके अलावा कोई बच्चा अनाथ की श्रेणी में गोद जाने लायक है, उसकी देखरेख करने वाला कोई भी नहीं है, तो उसे गोद भेजने की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी. उसको सीडब्ल्यूसी जरिए लीगल फ्री करवाया जाएगा.

पीएम मोदी ने अनाथ बच्चों के लिए की थी घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अनाथ हुए बच्चों के लिए स्टाइपेंड और 23 साल की उम्र होने पर उन्हें एक फिक्स राशि देने की घोषणा की है. इसके अलावा बच्चों को फ्री शिक्षा देने की बात भी कही है. यह पूरी राशि का खर्चा पीएम केयर्स फंड से ही किया जाएगा. वहीं राज्य सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. सुमित शर्मा ने भी कॉविड 19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के बारे में जानकारी मांगी है.

कोटा. कोविड-19 के इस दूसरी लहर में हजारों की संख्या में मौत पूरे प्रदेश में हुई है. कई परिवार ऐसे हैं, जिनमें कमाने वाले व्यक्ति की मौत हो गई और बच्चे अपनी मां के सहारे ही रह गए हैं. साथ ही कई परिवार ऐसे भी हैं. जिनमें मां पिता दोनों की मौत हो गई है और बच्चे अब अनाथ हैं.

कोटा में कोरोना से 15 बच्चे हुए अनाथ

पढ़ेंः राजस्थान में 80 लाख कर्मचारियों को वेतन कटौती के लिए मानने की कवायद, इन अधिकारियों को दी जिम्मेदारी

ऐसे ही बच्चों की सूची बनाने के निर्देश राज्य सरकार ने दिए थे. जिस पर कोटा बाल अधिकारिता विभाग ने काम भी शुरू कर दिया है. केवल 2 दिन में ही कोटा में ऐसे 15 बच्चे सामने आ गए हैं. जिनके मां पिता इस महामारी के चलते इस दुनिया को छोड़ गए हैं और अब यह बच्चे अनाथ हो गए हैं.

इनके परिवार में कोई कमाने वाला भी नहीं है या तो यह अपने दादा-दादी, चाचा-चाची या फिर मामा-नाना के भरोसे ही अभी है. साथ ही 96 ऐसे बच्चे भी हैं, जो महामारी में अपने पिता को खो चुके हैं. उनके परिवार में पिता ही कम आने वाले थे. ऐसे में अब मां के कंधे पर ही पूरी जिम्मेदारी आ गई है. बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामराज मीणा का कहना है कि ऐसे बच्चे जिनके मां पिता दोनों का देहांत हो चुका है या फिर मां पिता में से एक का देहांत पहले हो गया था.

पढ़ेंः हर्षवर्धन ने कहा-टीकों की बर्बादी की जांच करें, गहलोत सरकार कराएगी ऑडिट

वहीं, दूसरे की डेथ कोविड-19 के दौरान हुई है. इन सब बच्चों को चिन्हित कर रहे हैं. इसके लिए मेडिकल विभाग से भी सूचना मंगवाई गई है. साथ ही स्टैटिकल जो ऑफिसर हैं, उनसे भी जानकारी ली गई है. मीडिया के जरिए भी नंबर साझा किए हैं, ताकि सामाजिक संस्थाएं या लोग भी जानकारी दे सकें. इसके लिए 1 अप्रैल 2020 के बाद का डाटा हम चेक कर रहे हैं. जिसमें परिवार में 18 साल तक कोई बच्चा अनाथ है या केवल उसकी मां है, तो उसकी लिस्ट बनाई जा रही है. साथ ही इस परिवार को चिन्हित कर केंद्र सरकार के बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है.

जिला बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश शर्मा ने कहा कि अभी 96 बच्चों की जानकारी हम अपडेट कर चुके हैं, जिनमें 15 बच्चे ऐसे हैं, जो पूरी तरह से अनाथ की श्रेणी में है. इसके अलावा 81 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपने पिता को खोया है. इस सूची का काम अभी जारी है. ऐसे में संख्या और बढ़ सकती है.

पढ़ेंः पंचतत्व में विलीन हुए देश के सबसे युवा सांसद रहे हेमेन्द्र सिंह बनेड़ा, कोरोना से हुआ था निधन

इसके अलावा भी विभाग की टीम ऐसे बच्चों को भी वह चिन्हित कर रहे हैं जिनके मां पिता कोविड-19 से संक्रमित हैं और उनकी देखरेख करने वाला कोई भी नहीं है. साथ ही जो बच्चे अनाथ हुए हैं. उनमें से किसी का पुनर्वास हो सकता है, तो उसे जिला बाल कल्याण समिति के जरिए पुनर्वास करवाएंगे. इसके अलावा कोई बच्चा अनाथ की श्रेणी में गोद जाने लायक है, उसकी देखरेख करने वाला कोई भी नहीं है, तो उसे गोद भेजने की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी. उसको सीडब्ल्यूसी जरिए लीगल फ्री करवाया जाएगा.

पीएम मोदी ने अनाथ बच्चों के लिए की थी घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अनाथ हुए बच्चों के लिए स्टाइपेंड और 23 साल की उम्र होने पर उन्हें एक फिक्स राशि देने की घोषणा की है. इसके अलावा बच्चों को फ्री शिक्षा देने की बात भी कही है. यह पूरी राशि का खर्चा पीएम केयर्स फंड से ही किया जाएगा. वहीं राज्य सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. सुमित शर्मा ने भी कॉविड 19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के बारे में जानकारी मांगी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.