जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस विजय विश्नोई और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने शुक्रवार को जयपुर के सांगानेर स्थित खुली जेल में रखी गई भीलवाड़ा की महिला कैदी फेफा देवी उर्फ पद्मादेवी को सिर्फ एक लाख रुपए की व्यक्तिगत बॉन्ड पर स्थायी पैरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए हैं. खंडपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता फैफादेवी की ओर से दायर अपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता मोहम्मद अकबर ने कहा कि याची विगत 15 वर्ष से जेल में सजा काट रही है. उसे स्टेट लेवल पैरोल कमेटी ने 24 सितंबर 2019 को स्थायी पैरोल ग्रांट की गई थी. लेकिन कमेटी की ओर से 50 हजार के व्यक्तिगत बॉन्ड के अलावा 50-50 हजार की 2 गारंटी पेश करने की भी शर्त रखी गई थी. इसे याचिकाकर्ता के रिश्तेदार भरने में असमर्थ हैं और इस कारण से 24 सितम्बर 2019 को पैरोल स्वीकृत किए जाने के बावजूद वह रिहा नहीं हो सकी है.
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याचिकाकर्ता की ओर से पेश दलीलों का अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता महिपाल विश्नोई ने किसी तरह का एतराज नहीं किया. इस पर खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए जयपुर के सांगानेर स्थित खुली जेल में रखी गई याचिकाकर्ता फेफा देवी को एक लाख के व्यक्तिगत बॉन्ड पर स्थायी पैरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए. हालांकि पैरोल की अन्य शर्तें स्टेट कमेटी की ओर से 24 सितम्बर 2019 को जारी आदेशानुसार ही रहेगी.
उदयपुर की फर्म मेसर्स अलंकार इंजीनियर्स की ओर दायर याचिका पर हुई सुनवाई
राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस विजय विश्नोई और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने उदयपुर की फर्म मेसर्स अलंकार इंजीनियर्स की ओर दायर याचिका की सुनवाई के बाद जीएसटी सेंट्रल और जीएसटी स्टेट ऑथेरिटीज को नोटिस जारी करते हुए 10 जून तक जवाब तलब किया है.
याचिकाकर्ता की ओर से वीसी पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता सर्वेश जैन की ओर से कहा गया कि लॉकडाउन के कारण समय पर रिटर्न नहीं भरने के कारण विभाग की ओर से लाइसेंस कैंसिल करने बाबत नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान रिटर्न फाइल करने में देरी हुई और जल्द ही फाइल कर दिया जाएगा. इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
जीएसटी सेंट्रल की ओर से अधिवक्ता राजवेन्द्र सारस्वत ने और जीएसटी स्टेट की ओर से अधिवक्ता भांडावत ने नोटिस प्राप्त किए. दोनों की ओर से आरंभिक जवाब पेश करने के लिए समय दिए जाने की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 जून 2020 तक स्थगित कर दी है.