जोधपुर. ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन में अलग-अलग बदलाव को राजस्थान हाईकोर्ट में दी गई चुनौती की याचिकाओं पर फैसला आ गया है. राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और जस्टिस डॉ. पीएस भाटी की खंडपीठ ने अपने निर्णय में 15 नवम्बर के बाद किए गए सभी बदलाव निरस्त कर दिए हैं, जिसके तहत प्रदेश में 15 नवंबर के बाद जारी किए गए सभी 178 ग्राम पंचायतों और 6 समितियों के संशोधनों को रद्द कर दिया है.
राज्य सरकार की ओर से की जा रही पंचायत चुनाव से पहले हाईकोर्ट ने सरकार को बड़ा झटका दिया है. राज्य सरकार ने लगातार संशोधन कर प्रदेश में पंचायत समितियों का निर्माण किया था, जिसको लेकर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य पीठ में 45 याचिकाएं दायर की गई थी. याचिका में नहीं बनाई गई पंचायत और पंचायत समितियों के परिसीमन को चुनौती दी गई थी. इसमें यह भी कहा गया था जो नई पंचायत और पंचायत समिति बनाई गई है उनमें जनसंख्या का ध्यान नहीं रखा गया है. साथ ही कई जगहों पर नए संस्थान लोगों के लिए परेशानी बन रहे हैं.
खंडपीठ ने विस्तृत निर्णय देते हुए कहा कि चुनावी और विधायक कार्यों में एक बार अंतिम अधिसूचना जारी होने के बाद किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. यह संवैधानिक रूप से भी सही नहीं है. निर्णय में यह भी कहा गया है कि 15 नवंबर के बाद जो भी संशोधन कर नए गठन किए गए हैं, वह राजनीतिक रूप से प्रेरित नजर आते हैं.
गौरतलब है कि गत सुनवाई में ही खंडपीठ ने सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था. मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि पंचायत परिसीमन में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती. खंडपीठ ने अपने निर्णय में अलग-अलग जगह पर संविधान के अनुच्छेद और अधिकारों का भी जिक्र किया है.
दायर हुई थी 45 याचिकाएं
45 याचिकाकर्ताओं की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कोर्ट को बताया गया कि गत 15 नवंबर 2019 को राज्य सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां गठित कर दी गई. इसके बाद 23 नवंबर 2019 और 1 दिसंबर 2019 को 4 अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी कर नए गठन किए गए जो सही नहीं है.