जोधपुर. प्रदेश भर की 200 गौधन से कम वाली गौशालाओं का इस वित्तीय वर्ष से अनुदान बंद करने पर अखिल भारतीय संत समिति राजस्थान प्रदेश की ओर से दायर जनहित याचिका का बुधवार को जस्टिस संदीप मेहता व जस्टिस कुमारी प्रभा शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के नाम निर्देश जारी करने के साथ ही याचिका का निस्तारण कर दिया.
खंडपीठ ने अपने आदेश में लिखा है कि सरकार याचिकाकर्ताओं की ओर से 50 से 199 तक के पशुधन वाली गौशालाओं को अनुदान पुनः शुरू करने बाबत पेश आवेदन तथा इस मामले से सम्बंधित आदेश के साथ सम्पर्क करेंगे.
कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के अंदर अखिल भारतीय संत समिति के प्रतिवेदन पर निष्पक्ष विचार विमर्श करते हुए युक्तिपूर्ण निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं से इस मामले में सरकार की ओर से किसी तरह के विपरीत आदेश जारी किया जाता है, तथा याचिकाकर्ता मामले को पुनः सुना जाने के अधिकार को सिद्ध करना चाहते हो तो उनके फ्रेश पीआईएल दायर करने की छूट दी जाती है.
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इससे पहले सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए एएजी अनिल गौड ने कहा कि मामले में हालांकि विचार विमर्श किया जा चुका है, लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश प्रतिवेदन पर निष्पक्ष रूप से विचार विमर्श किए जाने के बाद ताजा निर्णय लिया जाएगा.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने बताया कि अखिल भारतीय संत समिति की राजस्थान प्रदेश शाखा की ओर से 8 मई 2020 को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर दो प्रस्ताव प्रेषित किए गए थे.
जिसमें से पहले प्रस्ताव के तहत 200 गौधन से कम वाली गोशालाओं को पहले की तरह पुनः अनुदान जारी करने व दूसरे प्रस्ताव के तहत साधू संतों की सुरक्षा को लेकर प्रतिवेदन भेजा गया था. जिसमें यह लिखा गया था कि राज्य सरकार की ओर से पूर्व में 50 से 199 तक की गौधन वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष अनुदान जारी किया जाता था.
जिससे गायों के लिए चारा आदि की समस्या काफी हद तक सुलझ जाती थी, लेकिन अब 200 से कम गौधन वाली गौशालाओं को अनुदान बंद कर देने से छोटी गौ शालाओं के समक्ष गौधन के चारा आदि की समस्या खडी हो गयी है. इसलिए पहले की तरह 50 से 199 गौधन तक वाली गौशालाओं का अनुदान शुरू किया जाए. इसके साथ ही साधू समाज व सेवकों के साथ मारपीट व धमकियों की घटनाओं के मद्देनजर उनको सुरक्षा की गुहार भी लगायी गयी थी.
जमानत अर्जी पर अगली सुनवाई पर केस डायरी तथा पीडिता के बयानों की प्रति कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए
राजस्थान हाईकोर्ट में जोधपुर ग्रामीण पुलिस के तहत ओसियां थाने में आईपीसी की धारा 376 डी के तहत दर्ज एफआईआर में नामजद आरोपी की ओर से जमानत आवेदन पेश किए जाने पर जस्टिस अरूण भंसाली की अदालत ने अभियोजन पक्ष से अगली सुनवाई पर केस डायरी व पीडिता के सीआरपीसी की धारा 161 व 164 के तहत दर्ज बयानों की प्रति पेश करने के निर्देश दिए हैं.
जमानत आवेदन का विरोध करते हुए लोक अभियोजक एआर चौधरी व अधिवक्ता निखिल भंडारी ने जित्सी मीट ऐप व वीसी के तहत पैरवी करते हुए कहा कि ओसियां थाना इलाके में हुई इस घटना के तहत आरोपी आवेदन कर्ता ने शिकायतकर्ता की पुत्री को धोखे से घर पर बुला कर चाकू की नोक पर उसके अलावा एक अन्य ने भी दुष्कर्म किया.
जिसकी रिपोर्ट शिकायतकर्ता ने पुलिस थाने में जा कर लिखवायी. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता आरोपी व उनके सहयोगियों की ओर से पीडिता के परिजनों को जान से मारने की धमकी भी दी गयी थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई पर 12 जून 2020 को मामले की केस डायरी तथा पीडिता के 161 व 164 के तहत बयानों की प्रति कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए.