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कोरोना के दौर में भी कायम है CAA और NRC का खौफ, संदिग्धों की जांच के लिए वॉरियर्स को करना पड़ा संघर्ष

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Published : Apr 15, 2020, 8:12 PM IST

जोधपुर में पिछले 10 दिनों में कोरोना के 70 मामले सामने आ चुके है. लेकिन कोरोना के दौर में भी लोगों के अन्दर एनआरसी और सीएए का खौफ कायम है जिस वजह से लोग चिकित्सा कर्मियों से जांच कराने में डर रहे थे. लेकिन चिकित्सा कर्मियों ने हार नहीं मानी और डटे रहे. सुनिए क्या कुछ किया उन्होंने लोगों के बचाव के लिए उनकी ही जुबानी

corona warriors news, कोरोना वॉरियर्स की खबर
संदिग्धों की जांच के लिए वॉरियर्स को करना पड़ा संघर्ष

जोधपुर. शहर के परकोटे के अंदर और बाहर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में लगातार कोरोना के पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं. जिसके चलते क्षेत्र कोरोना हॉटस्पॉट बन चुका हैं. लेकिन इन मामलों को सामने लाने में चिकित्सा कर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. क्योंकि इन इलाकों में रहने वाले ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सर्वे के नाम से ही डरे हुए हैं.

संदिग्धों की जांच के लिए वॉरियर्स को करना पड़ा संघर्ष

जब कोई परिवार के मुखिया का नाम पूछता है तो उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं एनआरसी या सीएए के लिए तो सर्वे नहीं हो रहा इसके चलते चिकित्साकर्मियों को भी बहुत परेशानी हो रही है. बावजूद इसके इन दोनों क्षेत्रों में कार्यरत महिला चिकित्सक एएनएम जीएनएम व आशा सहयोगिनियों ने पूरी मेहनत से रोगियों को खोजा उन्हें टेस्ट के लिए तैयार किया जिससे कि कोरोना के अगर कोई मामले हो तो सामने आ सके. जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने इन क्षेत्रों में काम करने वाली इन महिला कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित भी किया. इनमें से कुछ को क्वॉरेंटाइन के लिए भी भेजा गया है.

पढ़ेंः कोरोना प्रकोप: डोर-टू-डोर सर्वे और स्क्रीनिंग करने गई टीम पर फेंके पत्थर

डॉक्टर हिना आफताब कहती है कि मुझे सर्वे का कोई अनुभव नहीं था. स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही मैं भी फील्ड में निकल गई सभी तरफ से नेगेटिव रिस्पॉन्स मिल रहा था. जहां भी जाते एनआरसी सीएए का डर लोगों में अभी भी है साथ ही उन्हें यह भी लगता कि कहीं हम उन्हें उठाकर ना ले जाए. इसके बाद तय किया कि क्षेत्र के लोगों को जोड़ा जाए, उनकी भाषा में उनको जवाब दिया जाए तब कहीं जाकर हम घरों में घुसने में कामयाब हुए. नया तालाब क्षेत्र में पॉजिटिव मामले सामने आने लगे.

पढ़ेंः जोधपुर के बाप कस्बा स्थित सीएचसी में स्वचालित सैनिटाइजर मशीन का शुभारंभ

एएनएम हेमलता व्यास कहती है कि उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया कि जब भी उन्हें जांंच करानी हो वह उन्हें फोन कर सकते है. उनकी बात का असर हुआ, लोग जांच के लिए घरों से बाहर आने लगे. इसी तरह उदय मंदिर क्षेत्र की निरमा चौधरी बताती है कि पहले तो कोई भी जांच के लिए तैयार नहीं हुआ जबकि वह ढाई साल से इसी डिस्पेंसरी में काम कर रही थी. फिर तय किया कि समाज के कुछ जिम्मेदार लोगों को समझा कर उनके नमूने लिए जाएं ताकि बाकी लोग आगे आएं.

पढ़ेंः पांच के पंच से COVID-19 पस्त, अजमेर कोरोना वायरस से मुक्त

इस तरह से क्रम शुरू हुआ और अब उदय मंदिर क्षेत्र में भी लोग जांच के लिए आगे आ रहे हैं. आशा सहयोगिनी नरगिस ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि हाथीराम का ओडा क्षेत्र में अयूब गली है वहां एक संदिग्ध के होने की सूचना मिली लेकिन कोई भी सहयोग करने के लिए तैयार नहीं था. काफी समझाने के बाद उनकी जांच करवाई तो दोनों बाप बेटे पॉजिटिव निकले. पिछले 10 दिन में इन क्षेत्र में 70 से ज्यादा कोरोना मामले सामने आ चुके है.

जोधपुर. शहर के परकोटे के अंदर और बाहर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में लगातार कोरोना के पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं. जिसके चलते क्षेत्र कोरोना हॉटस्पॉट बन चुका हैं. लेकिन इन मामलों को सामने लाने में चिकित्सा कर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. क्योंकि इन इलाकों में रहने वाले ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सर्वे के नाम से ही डरे हुए हैं.

संदिग्धों की जांच के लिए वॉरियर्स को करना पड़ा संघर्ष

जब कोई परिवार के मुखिया का नाम पूछता है तो उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं एनआरसी या सीएए के लिए तो सर्वे नहीं हो रहा इसके चलते चिकित्साकर्मियों को भी बहुत परेशानी हो रही है. बावजूद इसके इन दोनों क्षेत्रों में कार्यरत महिला चिकित्सक एएनएम जीएनएम व आशा सहयोगिनियों ने पूरी मेहनत से रोगियों को खोजा उन्हें टेस्ट के लिए तैयार किया जिससे कि कोरोना के अगर कोई मामले हो तो सामने आ सके. जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने इन क्षेत्रों में काम करने वाली इन महिला कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित भी किया. इनमें से कुछ को क्वॉरेंटाइन के लिए भी भेजा गया है.

पढ़ेंः कोरोना प्रकोप: डोर-टू-डोर सर्वे और स्क्रीनिंग करने गई टीम पर फेंके पत्थर

डॉक्टर हिना आफताब कहती है कि मुझे सर्वे का कोई अनुभव नहीं था. स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही मैं भी फील्ड में निकल गई सभी तरफ से नेगेटिव रिस्पॉन्स मिल रहा था. जहां भी जाते एनआरसी सीएए का डर लोगों में अभी भी है साथ ही उन्हें यह भी लगता कि कहीं हम उन्हें उठाकर ना ले जाए. इसके बाद तय किया कि क्षेत्र के लोगों को जोड़ा जाए, उनकी भाषा में उनको जवाब दिया जाए तब कहीं जाकर हम घरों में घुसने में कामयाब हुए. नया तालाब क्षेत्र में पॉजिटिव मामले सामने आने लगे.

पढ़ेंः जोधपुर के बाप कस्बा स्थित सीएचसी में स्वचालित सैनिटाइजर मशीन का शुभारंभ

एएनएम हेमलता व्यास कहती है कि उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया कि जब भी उन्हें जांंच करानी हो वह उन्हें फोन कर सकते है. उनकी बात का असर हुआ, लोग जांच के लिए घरों से बाहर आने लगे. इसी तरह उदय मंदिर क्षेत्र की निरमा चौधरी बताती है कि पहले तो कोई भी जांच के लिए तैयार नहीं हुआ जबकि वह ढाई साल से इसी डिस्पेंसरी में काम कर रही थी. फिर तय किया कि समाज के कुछ जिम्मेदार लोगों को समझा कर उनके नमूने लिए जाएं ताकि बाकी लोग आगे आएं.

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इस तरह से क्रम शुरू हुआ और अब उदय मंदिर क्षेत्र में भी लोग जांच के लिए आगे आ रहे हैं. आशा सहयोगिनी नरगिस ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि हाथीराम का ओडा क्षेत्र में अयूब गली है वहां एक संदिग्ध के होने की सूचना मिली लेकिन कोई भी सहयोग करने के लिए तैयार नहीं था. काफी समझाने के बाद उनकी जांच करवाई तो दोनों बाप बेटे पॉजिटिव निकले. पिछले 10 दिन में इन क्षेत्र में 70 से ज्यादा कोरोना मामले सामने आ चुके है.

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